Gwalior : एजेंसी की लापरवाही से समय पर तैयार नहीं हो सका हजार बिस्तर का अस्पताल
ग्वालियर, मध्यप्रदेश। कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आहट हो चुकी है, लेकिन जेएएच के लोड को कम करने के लिए जिस एक हजार बिस्तर के अस्पताल को बनाने की योजना तैयार की गई थी, उसका काम लगातार लेट होता जा रहा है। एजेंसी ने पहले फेस में सी ब्लॉक हेंड ओवर किए जाने की लिमिट अगस्त तय की गई थी, लेकिन निर्माण एजेंसी की लेटलतीफी की वजह से अभी तक यह अस्पताल जीआरएमसी को हैंड ओवर नहीं हो पाया हैं। वहीं जेएएच-केआरएच में मरीजों की संख्या इतनी रहती है कि वहां मरीजों को पलंग तक नसीब नहीं हो पाते हैं।
निर्माणाधीन एक हजार बिस्तर अस्पताल को तैयार करने वाले सरकारी एजेंसी के सभी दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं। सबसे पहले 250 बेड का सी ब्लॉक का अगस्त के बाद सितंबर में हैंड ओवर किए जाने की बात कहीं थी, लेकिन इस तिथि पर भी यह ब्लॉक अस्पताल के सुपुर्द नहीं हो सका। अब निर्माण एजेंसी ने प्रबंधन के आला अधिकारियों को जनवरी में 500 से अधिक बेड का अस्पताल बनाकर देने का वादा किया है। इस मामले में संभागायुक्त ने निर्माण एजेंसी को अब 26 जनवरी तक का समय दिया हैं। अब देखना यह है कि जनवरी में भी यह अस्पताल प्रबंधन का मिल पाता है की नहीं।
वायरल, डेंगू में पड़ी थी बेड की कमी :
जयारोग्य अस्पताल में ग्वालियर के साथ-साथ आसपास के जिलों व राज्यों के मरीज भी उपचार के लिए आते हैं। इसी की वजह से यहां के अस्पताल हमेशा ओवरलोड रहते हैं। इसी के चलते अभी डेंगू के साथ वायरल के प्रकोप ने भी अस्पतालों की व्यवस्थाओं की पोल खोलकर रख दी थी। डेंगू के साथ-वायरल की वजह से केआरएच सहित अन्य सरकारी अस्पतालों की अभी कुछ दिनों पहले यह हालत थी कि बेड फुल थे और एक-एक बेड पर तीन-तीन बच्चे भर्ती किए जा रहे थे। इसी की वजह से समाजसेवियों ने इस मामले में कोर्ट में याचिका भी लगाई थी। वैसे हर साल सर्दियों का सीजन शुरू होने के बाद डेंगू का प्रकोप कम होता जाता था, लेकिन इस बार अभी भी डेंगू का प्रकोप जारी हैं।
पहले-दूसरे फेज में सुपर स्पेशलिटी में मरीज किए थे भर्ती :
कोविड के पहले और दूसरे फेज में दूसरी और कोरोना की दोनों लहर में जिस सुपरस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में ग्वालियर जिले सहित संभाग भर के मरीज यहां पर भर्ती हुए थे, लेकिन इस अस्पताल की परेशानी यह है कि यह अस्पताल जिस उद्देश्य से खोला गया था वह पूरा नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों की कमी की वजह से यहां पर मरीजों को स्पेशिलिस्ट डॉक्टरों का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इस अस्पताल के संचालन के लिए प्रबंधन को 88 स्पेशलिस्ट डॉक्टर चाहिए जबकि वर्तमान में केवल 14 डॉक्टर ही हैं। बार-बार विज्ञप्ति निकाले जाने के बाद भी डॉक्टर रूचि नहीं दिखा रहे हैं।
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