पतखई जलाशय में भ्रष्टाचार करने वाले तीन अधिकारी निलंबित

शहडोल : पतखई जलाशय में चल रहे निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार करने वाले तीन अधिकारियों को निलंबित किया गया है। जानें क्या है मामला...
पतखई जलाशय में भ्रष्टाचार करने वाले तीन अधिकारी निलंबित
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राज एक्सप्रेस। शहडोल के सोहागपुर विकास खण्ड के ग्राम पतखई में वर्ष 2011-12 में बांध और नहर स्वीकृत हुई थी। जिसकी लागत 8 से 9 करोड़ रूपये थी, उपयंत्री और एसडीओ ने ठेकेदार के साथ मिलकर जमकर शासकीय राशि से गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य कराने के साथ ही घटिया कार्य भी कराया गया। इस की जांच जल संसाधन विभाग जबलपुर की टीम ने 2017 में की थी और कृषकों की शिकायत के आधार पर मरम्मत और सुधार कराने के निर्देश दिये थे, लेकिन लापरवाह अधिकारियों ने विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की भी अवहेलना की।

इस मामले को लेकर कमिश्नर के पास किसान लगातार शिकायत कर रहे थे। जिसकी जांच आयुक्त ने अधीक्षक यंत्री जल संसाधन विभाग शहडोल से कराई, तो यह बात सामने आई कि अधिकारियों ने न तो मरम्मत कराया और न ही वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन किया। रिपोर्ट मिलते ही कमिश्नर ने तीनों अधिकारियों को निलंबित करते हुए तात्कालीन कार्यपालन यंत्री को आरोप पत्र जारी किया है।

जबलपुर से पहुंची थी टीम :

ग्राम पंचायत पतखई में बांध एवं नहर निर्माण का कार्य कराया गया। जिसमें गुणवत्ता खराब होने तथा नहर क्षतिग्रस्त होने की शिकायत पर अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग जबलपुर द्वारा उक्त बांध एवं नहर की जांच की गई। जांच में बाध एवं नहर का निर्माण कार्य गुणवत्ताहीन पाया गया और शिकायत के तथ्य सही पाये गए । जांच में बांध एवं नहर निर्माण क्षतिग्रस्त एवं कमियां पाई जाने के बाद भी वर्ष 2017 से अभी तक उक्त बांध एवं नहर का मरम्मत व सुधार कार्य नहीं कराया गया, जिससे किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है, आपके द्वारा गुणवत्ताहीन एवं घटिया निर्माण कार्य कराया जाकर शासन का लाखों रूपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई गई।

दो वर्ष में ही परियोजना के टूटे दम :

ग्राम पतखई में बनाए गए बांध एवं नहर का कार्य दो वर्ष में ही क्षतिग्रस्त हो गया। उक्त कार्य गुणवत्ताहीन होने के कारण अधीक्षण यंत्री के द्वारा सुधार कार्य कराए जाने के निर्देश के बाद भी कार्य दुरूस्त नही कराए जाने के कारण किसानों को सिंचाई सुविधा से प्रभावित होना पड़ रहा है। संबंधित अधिकारियों को जबलपुर की टीम ने मरम्मत और सुधार करने के निर्देश दिये थे, लेकिन उसे भी नजर अंदाज किया गया, जिसका खामियाजा किसानों ने अपनी फसलों को बर्बाद करके चुकाया।

क्षतिग्रस्त हुई नहर :

पतखई जलाशय की कैचमेंट एरिया में गड़बड़ी पाई गई, 500 मीटर नहर में मिट्टी का भराव होने के चलते पानी किसानों को नहीं मिल पाया। तकनीकी स्वीकृति के अनुसान कार्य को नहीं कराया गया। जिसके चलते दो वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी जब अधीक्षण यंत्री जल संसाधन विभाग शहडोल ने इस मामले की जांच की तो उन्होंने पाया कि नहर क्षतिग्रस्त होने के चलते किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला, जिससे उनकी फसलों को नुकसान हुआ और अधिकारियों ने अपने दायित्वों की अवहेलना करने के साथ ही गुणवत्ता विहीन व घटिया कार्य कराया।

इन पर गिरी गाज :

पतखई जलाशय के निर्माण की जिम्मेदारी सम्भाल रहे दो एसडीओ जिनमें यू.पी. विश्वकर्मा अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक-1, बी.एन.एस. तिवारी अनुविभागीय अधिकारी जल संसाधन विभाग संभाग क्रमांक-2 व उपयंत्री के.सी. दुबे जल संसाधन क्रमांक-1 को कमिश्नर ने तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए तात्कालीन कार्यपालन यंत्री डी.आर. आंकरे को भी आरोप पत्र जारी किया है, क्योंकि इनकी पदस्थापना के दौरान ही घटिया निर्माण कार्य पर कोई कार्यवाही के साथ ही मरम्मत और सुधार का कार्य नहीं हुआ।

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