संडे लॉकडाउन : सब कुछ बंद, बाहर निकलने वाले लोगों पर पुलिस ने बरसाई लाठियां

इंदौर, मध्यप्रदेश : इस संडे लॉकडाउन ने गत वर्ष के लॉकडाउन की यादें ताजा कर दीं। पहले रविवार को एक बार फिर सन्नाटा नजर आया। सुबह से ही चाय-पान, पोहे-जलेबी की दुकानें जहां बंद रहीं।
संडे लॉकडाउन : सब कुछ बंद, बाहर निकलने वाले लोगों पर पुलिस न बरसाई लाठियां
संडे लॉकडाउन : सब कुछ बंद, बाहर निकलने वाले लोगों पर पुलिस न बरसाई लाठियांRaj Express

इंदौर, मध्यप्रदेश। कोरोना के बढ़ते संक्रमण से भयभीत प्रदेश में एहतियात के तौर पर पहले नाइट कर्फ्यू के संडे लॉकडाउन की घोषणा की गई है। इस संडे लॉकडाउन ने गत वर्ष के लॉकडाउन की यादें ताजा कर दीं। पहले रविवार को एक बार फिर सन्नाटा नजर आया। सुबह से ही चाय-पान, पोहे-जलेबी की दुकानें जहां बंद रहीं। हालांकि अत्यावश्यक सुविधाओं की छूट के चलते अस्पताल से लेकर दवाई की दुकानें एवं अत्यावश्यक सेवाएं जारी रहीं।

सुबह-सुबह बंटा दूध :

दूध की दुकानों को सुबह 10 बजे तक खुला रखने और दूध विक्रेताओं को भी घर-घर दूध पहुंचाने के लिए 10 बजे तक का ही समय दिया गया था।। बाद में इन दुकानों को बंद करवा दिया और मोटर साइकल पर दूध वितरण करने वाले लोगों को भी रोका गया। कई मोहल्ले और कालोनियों में किराना दुकानें भी खुली मिलीं जिसे पुलिस के मोटरसाइकल दस्तों ने बंद करवा दिया।

बहाने बनाए, लेकिन पुलिस को नहीं मानी :

पूरे शहर में चौराहों पर पुलिस ने चैकिंग पॉइंट लगाए हैं। यहां पुलिस के साथ-साथ क्षेत्र के प्रशासनिक अधिकारियों को भी तैनात किया गया है। मधुमिलन चौराहे पर जरूर पुलिस की सख्ती दिखाई दी और आने-जाने वाले वाहनों को पुलिसकर्मी रोककर पूछताछ करते रहे। राजबाड़ा चौक पर भी यही स्थिति थी। बेवजह घर से निकलने वालों को कुछ देर तक रोका गया और समझाइश दी गई कि वे घर से न निकलें, नहीं तो कार्रवाई की जाएगी। शहर के अन्य चौराहों, विजय नगर, देवास नाका, पलासिया रिगल व अन्य चौराहों पर भी पुलिस की सख्ती दिखाई दी। कई लोगों ने बताया कि वे शादी समारोह में काम करने जा रहे है, तो किसी ने अपने परिजन की तबियत खराब होने का बहाना बनाया।

ऑटो वालों ने बाहरी व परीक्षार्थियों की मदद :

जिला प्रशासन सार्वजनिक परिवहन को रविवार को पूरी तरह से बंद रखने के लिए कहा है। सिटी बस केवल पीएससी के विद्यार्थियों के लिए चलाई गई। मैजिक और सिटी वैन जैसे वाहन बंद हैं, लेकिन शहर में सुबह-सुबह ऑटो रिक्शा जरूर चलते मिले। ऑटो रिक्शा एसोसिएशन ने शहर में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ऑटो सुविधा चालू रखने की घोषणा की थी, लेकिन ऑटो वाले आम लोगों को भी बिठाते दिखे। रेल्वे स्टेशन और बस स्टैंड पर आए लोगों को भी आटो वालों ने बैठाया और गंतव्य तक पहुंचाया। हालांकि कई जगह पुलिस ने ऑटो वालों को वापस भेज दिया और कहा कि उन्हें किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई है।

चौराहे पर मजदूरों की भीड़ :

चंदनगर और बजरंग नगर चौराहे पर मजदूरों की भीड़ नजर आई। इन चौराहों पर रोज दिहाड़ी मजदूर इकठ्ठा होते हैं। हालांकि इन्हें लॉकडाउन से कोई मतलब नहीं था। मजदूर दोपहर 12 बजे तक काम का इंतजार रहे, लेकिन उन्हें आज काम नहीं मिला। बाद में पुलिस ने इन्हें चौराहों पर से हटा दिया।

नहीं मिली कैब, परेशान हुए यात्री :

लॉकडाउन में एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर आने वाले यात्रियों को आने-जाने की छूट थी, लेकिन लोकल परिवहन बंद था। इससे कई यात्री परेशान होते दिखाई दिए और अपना सामान ढोते हुए अपने गंतव्य को पहुंचे। एयरपोर्ट पर यात्री तो आए, लेकिन उनके लिए टैक्सी की सुविधा नहीं थी। यात्री लोकल टैक्सी ढूंढते रहे, लेकिन उन्हें टैक्सी नहीं मिली। रेलवे स्टेशन पर कुछ यात्रियों को परीक्षार्थियों के लिए चलाई गई सिटी बसें मिल गईं। नवलखा, गंगवाल और स्टेशन के सामने बस स्टैंड पर रविवार सुबह भरी हुई बसें आईं, लेकिन यहां से जाने वाली बसों में यात्रियों का टोटा रहा। दूसरी ओर ट्रकों और यात्री वाहनों को शहर से निकलने की छूट के चलते रिंगरोड से लेकर बायपास तक यातायात सामान्य रहा।

घरों से बाहर निकलने वालों पुलिस ने लौटाया :

लॉकडाउन के चलते सड़कों पर पुलिस की गाडिय़ां घूमती रहीं और लॉकडाउन की घोषणा करते हुए फालतू तफरीह करते लोगों को घर में पहुंचने की हिदायत दी गई। हालांकि लॉकडाउन के चलते लोग वैसे भी घर से बाहर निकलने में परहेज करते नजर आए, लेकिन रविवार को छुट्टी का लुत्फ उठाने वाले लोग घरों में कैद होकर रह गए। रविवार के दिन होटल आदि बंद होने के कारण होम डिलीवरी की सर्विस तक बंद रही। बाजार में सब्जी वाले जरूर घूमते नजर आए उन्हें भी पुलिस की गाडिय़ां कई जगह फटकारती नजर आईं, जबकि दूध-सब्जी अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल हैं। इंदौर में लॉकडाउन के चलते शहर के बाहरी इलाकों में मौजूद पर्यटन स्थलों पर भी लोगों की भीड़ कम रही।

पेट्रोल खत्म, पुलिस कांस्टेबल ने की मदद :

रीगल चौराहे पर एक पिता अपनी बेटी का परीक्षा के बाद घर लेकर रहा था। रास्ते में गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो गया। पेट्रोल पंप बंद होने की वजह से दोनों गाड़ी को धकेलते हुए पैदल जाने लगे। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस के हेड कांस्टेबल रंजीत ने उन्हें रोका और गाड़ी धकलेने का कारण पुछा। इसके बाद रंजित ने अपनी बाइक से पेट्रोल निकालकर उनकी गाड़ी में डाला। बेटी का रविवार को बाल विनय मंदिर में प्रैक्टिकल था, जिसे लेने के लिए पिता स्कूल गया था, लेकिन रास्ते में पेट्रोल खत्म हो गया। शहर के तमाम पेट्रोल पंप बंद रहे।

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