जंगल के रास्ते से हो रहा रेत के वाहनों का परिवहन

विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के समीप ही पनपथा वन्य जीव अभ्यारण है, जहां पर वन्य जीवों का भारी संख्या में विचरण होता है, बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघों की संख्या है और क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है
वन नाको पर नहीं होती वाहनों की जांच
वन नाको पर नहीं होती वाहनों की जांचShubham Tiwari

राज एक्सप्रेस। विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सटा हुआ पनपथा वन्य जीव अभ्यारण है, जहां पर वन्य जीवों का भारी संख्या में विचरण होता है, बांधवगढ़ में सबसे अधिक बाघों की संख्या है और क्षेत्रफल सिकुड़ता जा रहा है, प्रबंधन कुछ बाघों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट भी करने की तैयारी में है, वैसे तो जंगल विभाग में जंगल का कानून चलता है।

लेकिन रेत के कारोबार से मिलने वाली मलाई के चलते अधिकारियों और कर्मचारियों ने वन सम्पदा और वन्य प्राणियों को ही खतरे में डाल दिया है, प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से रेत के ओव्हर लोड भारी वाहन इन क्षेत्रों से रोजाना गुजरते हैं, जो कभी भी कोई हादसा वन्य प्राणियों के साथ कर सकते हैं, वन विभाग के भारी-भरकम फौज वाला महकमा है, लेकिन रेत के कारोबार में सभी ने आंखे मूंद ली हैं।

नाकों में नहीं होती चेकिंग

वैसे तो वन विभाग और टाइगर रिजर्व व अभ्यारण के दायरों में आने वाले संदेनशील क्षेत्रों में नाके चेकिंग के लिये बनाये गये हैं, लेकिन यहां पर रेत के वाहनों की कोई जांच होती नहीं होती है, बल्कि इन्हें आसानी से जाने दिया जाता है। चाहे कोई रेत के वाहन की आड़ में बेश कीमती लकड़ी या वन्य प्राणी शिकार करके क्यों न ले जाये, इतना ही नहीं वाहनों की एंट्रियां भी रजिस्टरों में नाममात्र को ही देखी जा सकती हैं।

रात में होता है परिवहन

वैसे तो रात को वन क्षेत्रों से भारी वाहनों की आवाजाही पर सुबह तक रोक रहती है, लेकिन रेत के वाहनों के लिये बनाई गई इन चेक पोस्टों में कोई असर दिखाई नहीं देता, लिफाफा चाहे रेत कारोबारी दे या वाहन चालक, उसके वाहन को यहां पर बैठे हुए लोग आसानी से जाने देते हैं, आम आदमी या जरूरतमंद कभी इस रास्ते से निकल जाये तो उसे मशक्कत करनी पड़ती है।

प्रतिबंध भी बेअसर

नियमों के तहत वन क्षेत्र से रेत के वाहनों के परिवहन पर रोक है, चाहे वह वन विभाग का आदेश हो या फिर प्रदेश सरकार या केन्द्र सरकार के द्वारा बनाये गये नियम, लेकिन जिले में इसका असर होता दिखाई नहीं दे रहा है, टाइगर रिजर्व, अभ्यारण हो या सामान्य वन मंडल सभी जगह उसे रेत के बड़े वाहन चौबीसों घंटे दौड़ते नजर आते हैं, खासतौर पर रात के समय इन वाहनों की संख्या बढ़ जाती है।

आशियाना छोड़ रहे वन्य प्राणी

आमतौर पर बाघ, तेंदुआ या अन्य वन्य प्राणी अपने क्षेत्र में ही विचरण करते हैं और एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते हैं, लेकिन देखने को यह मिल रहा है कि, भारी वाहनों से न सिर्फ प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि इनके क्षेत्रों में भी बदलाव देखने को मिल रहा है, जिसके चलते वन्य प्राणी अब अपना आशियाना बदल कर दूसरे स्थान पर पहुंच रहे हैं।

हाल ही में यह देखा गया-

बाघ सहित अन्य वन्य प्राणी गांव या शहर की ओर पलायन कर रहे हैं, जो कि वन्य प्राणी मानव संघर्ष की ओर भी इशारा कर रहा है, बांधवगढ़ में 40 हाथी भी विचरण कर रहे हैं, जो कि कभी भी इधर से उधर पहुंचकर नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसके पीछे रेत का कारोबार भी एक बड़ा कारण है, जल्द ही अगर जंगल के अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है।

अगर ऐसा हो रहा है तो आकस्मिक चेकिंग कराई जायेगी, चेक पोस्टों का निरीक्षण कराया जायेगा, लापरवाह कर्मचारियों पर कार्यवाही होगी।

विसेन्ट रहीम क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व

अभी तक 23 गाड़ियां पकड़ी गईं हैं, जिस पर राजसात की कार्यवाही चल रही है, अगर वन क्षेत्रों से रेत के वाहन गुजर रहे हैं तो आकस्मिक जांच कर कार्यवाही की जायेगी।

आर.एस. सिकरवार

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