छतरपुर: जर्जर होकर बिखर गई कुर्सियां, गंदगी से जूझ रहे यात्री
राज एक्सप्रेस। किसी भी शहर का बस स्टेण्ड बाहर से आने वाले मुसाफिरों की नजर में उस शहर की छवि निर्मित करता है। इसीलिए कई शहरों में नगर पालिकाएं अपने बस स्टेण्ड को सर्वश्रेष्ठ बनाने में विशेष योगदान देती हैं, लेकिन छतरपुर का अंतर्राज्जीय बस स्टेण्ड देश भर के मुसाफिरों की नजर में हमारी गंदी छवि निर्मित कर रहा है। बस स्टेण्ड के मुसाफिरखाने का आलम ऐसा है जैसे इसकी देखरेख को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।
यात्री प्रतीक्षालय में लगभग 15 साल पहले यात्रियों के लिए एक टीवी लगाया गया था जो पिछले 10 सालों से बंद पड़ा है। टीवी के चारों तरफ मकड़ियों के जाले लगे हुए हैं। जिस बस स्टेण्ड से प्रतिदिन देश के विभिन्न कोनों तक पहुंचने के लिए लगभग 300 से अधिक यात्री बसें गुजरती हैं, उस बस स्टेण्ड पर यात्रियों को पीने के लिए मुफ्त का पानी भी नगर पालिका उपलब्ध नहीं करा पाई है। लगभग एक साल पहले एक प्राइवेट वाटर एटीएम लगाया गया था। यह एटीएम भी बंद पड़ा है। नगर पालिका का सरकारी वाटर कूलर लोगों का पीकदान बन गया है।
बस स्टेण्ड पर यदि मुसाफिरों को प्यास लगे तो, उन्हें या तो 15 रूपए लीटर वाली बॉटल खरीदनी पड़ती है या फिर मटके वालों से पानी लेना पड़ता है। नगर पालिका की कुर्सियों पर मीना बाजार का कब्जा मुसाफिरखाने में नगर पालिका ने पिछले दिनों कुछ नई कुर्सियां रखवाई थीं, जिस पर यहां दुकान लगाने वाले कारोबारियों ने कब्जा कर लिया है। पुरानी कुर्सियां जर्जर होकर धराशायी हो गई हैं और नई कुर्सियों पर अतिक्रमण है। ऐसे में मुसाफिरखाने में यात्रियों के बैठने के लिए भी जगह नहीं है। बची-खुची जगह कचरा फेंकने के इस्तेमाल में आ रही है। चारों तरफ मौजूद गंदगी के बीच बैठे यात्री छतरपुर की नकारात्मक छवि लेकर यहां से गुजर रहे हैं।
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