प्राचीन इतिहास को स्वीकार नहीं कर रहा पुरातत्व विभाग

मध्यप्रदेश के जिला उज्जैन से सटी तहसील खाचरौद के गांव भीकमपुर में शुक्रवार को बहादुर पिता बगदीराम चौधरी के मकान की खुदाई के दौरान तीन शंख धान पीसने की घट्टी निकली...
प्राचीन इतिहास को स्वीकार नही कर रहा पुरातत्व विभाग
प्राचीन इतिहास को स्वीकार नही कर रहा पुरातत्व विभागGaurav Kapoor

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के जिला उज्जैन से सटी तहसील खाचरौद के गांव भीकमपुर में शुक्रवार को बहादुर पिता बगदीराम चौधरी के मकान की खुदाई के दौरान तीन शंख धान पीसने की घट्टी निकली है वहीं 1 माह पूर्व चंद्रवंशी समाज के एक व्यक्ति के घर की खुदाई के दौरान भी शिव पार्वती की मूर्ति मिली, गाँव के नीम के पेड़ के नीचे मूर्ति की स्थापना कर दी। गांव भीकमपुर एक धार्मिक नगरी के रूप में उभर कर सामने आ रहा है। वर्ष 2016 में शौचालय के टैंक की खुदाई के दौरान 800 साल पुरानी दिगंबर जैन समाज की मूर्तियां निकली थीं। उसके पश्चात 500 मीटर की दूरी पर घोड़ा रुंडी स्थान पर एक शिवलिंग निकला इस गाँव में बहुत सारे उदाहरण हैं जहां आसपास खुदाई के दौरान बाबा महाकाल की शिवलिंग एवं अन्य पात्र मिले हैं जो पुरात्व जीवन की अमूल्य धरोहर के रूप में ग्राम में संग्रहित हैं।

भीकमपुर वर्ष 2016 में 11 जैन तीर्थंकरों की प्राचीन प्रतिमाएं मिलने के बाद से सुर्खियों में आया था ...

भीकमपुर के प्राचीन इतिहास को पुरातत्व विभाग ने नहीं किया स्वीकार ऐसा लगता है जैसे गांव का प्राचीन इतिहास पुरातत्व विभाग स्वीकार नहीं करना चाहता। यह आरोप यहां के ग्रामीणों ने लगाया है। ग्रामीण बताते हैं गांव के चप्पे-चप्पे पर प्रागैतिहासिक काल की निशानियां मौजूद हैं। गांव के चारों तरफ प्राचीन इतिहास के अवशेष बिखरे पड़े हैं। कई बार पुरातत्व विभाग को खबर की लेकिन विभाग ने कभी गांव में आने की जहमत नहीं उठाई।

ग्रामीणों का कहना है गांव सम्राट विक्रमादित्य की जन्मस्थली है। यहां उज्जैन महाकाल मंदिर जैसा हूबहू वृद्धकालेश्वर मंदिर है। भीकमपुर में प्रतिमा निकलने का यह पहला मामला नहीं है बल्कि सालों से यहां थोड़ी खुदाई में ही प्राचीनकालीन अवशेष निकलते आ रहे हैं। 24 साल पहले भी इसी तरह की प्रतिमाएं निकली थी, लेकिन पुरातत्व विभाग ने ध्यान नहीं दिया।भीकमपुर के 3 किमी क्षेत्र में हैं प्राचीन अवशेषों का भंडार। सरपंच अर्जुन सिंह, सम्राट विक्रमादित्य दल स्काउट के दल नायक डॉ. रामसिंह कुशवाह ने बताया गांव के चारों ओर मंदिर बने हुए हैं। जहां जमीन में से निकली प्रतिमाएं ही स्थापित की गई हैं। पश्चिम में खाचरौद रोड पर कालिका माता मंदिर, दक्षिण नदी किनारे गोराजी का मंदिर, उत्तर में कुंड, भेरूजी व सती माता का मंदिर बना हुआ है।

वटवृक्ष गिरा तो निकला शिवलिंग

डॉ. कुशवाह के मुताबिक कब्रिस्तान के पास स्थित वटवृक्ष के गिरने पर जब इसे काटा गया था तो इसके नीचे से शिवलिंग की जलाधारी निकली थी, जो खंडित हो गई। हालांकि उसे उसी स्थान पर ही स्थापित कर दिया गया। इसी तरह मिडिल स्कूल की खुदाई, घरों की खुदाई के दौरान जैन तीर्थंकर, हनुमान प्रतिमा, मंदिरों के खंभे सहित अन्य प्राचीन पत्थर निकले हैं। जमीन से निकली देव प्रतिमाएं इस तरह गांव में बिखरी हैं। गांव के प्राचीन इतिहास की पुष्टि करते है ।

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