उज्जैन: खाचरौद में हुई 40 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी

उज्जैन, मध्यप्रदेश: मीडिया के दखल के बाद प्रतिष्ठित लोगों ने पुलिस कानून के डर के चलते अमानत में खयानत के लक्जरी वाहनों को थाने में किया सरेंडर।
खाचरौद में हुई 40 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी
खाचरौद में हुई 40 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ीGaurav Kapoor

उज्जैन, मध्यप्रदेश। खाचरौद पुलिस थाना क्षेत्र में लग्जरी महंगी कारो को किराए पर लेकर उन्हे गिरवी रख हेराफेरी करने वाले प्रदेश स्तरीय जालसाजी ठगौरी गेंग के मामले में उज्जैन पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह के निर्देश के बाद खाचरौद थाने पर मुकेश मालवीय जिनेश वर्मा एवं राकेश जायसवाल के विरूद्ध शुक्रवार देर रात को धारा 420/34 में प्रकरण दर्ज किया गया। उक्त प्रकरण खाचरौद निवासी फरियादी बाबूलाल जैन एवं अन्य सहयोगी के हस्ताक्षर युक्त आवेदन पर दर्ज हुआ है।

मध्यप्रदेश की उज्जैन जिले की खाचरौद तहसील से मध्यप्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा धोखाधड़ी जालसाजी का वह धंधा जिसमे कम समय मे धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये अर्जित करने की कला रखने वाले संगठित गिरोह को मीडिया ने उजागर किया है। मामले में उज्जैन के डाबरी पीठा कालिया देह महल के मुख्य सरगना पर 150 से ज्यादा वाहनों की हेराफेरी के आरोप हैं। उक्त जालसाजों की पुलिस को सरगर्मी से तलाश हैं। जालसाजी पूर्वक रुपये ऐंठने के मामले में खाचरोद तहसील में 14 वाहनो से 40 लाख रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की जानकारी सामने आई है।

मध्यप्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से उज्जैन निवासी मुकेश मालवीय ने जान पहचान के माध्यम से शासकीय विभागों में प्रायवेट कंपनियों में अनुबंध के आधार पर लक्जरी कारों को किराये से अटेच करने के नाम पर महंगी गाड़ियों को अनुबंध पर लिया और 10 लाख की कार को 2 से 3 लाख में गिरवी पटक दिया। इस बात का खुलासा तब हुआ जब गाड़ी मालिकों द्वारा मुकेश मालवीय से मोबाइल पर संपर्क साधा संपर्क न होने पर धार निवासी वाहन मालिक दीपक ठाकुर एवं धर्मेद्र चावड़ा जीपीएस ट्रैकर से वाहन को ढुढते हुए खाचरौद पहुँचे। जिन्होंने अपना वाहन भाजपा जिला उपाध्यक्ष संजय मेहता के यहाँ पाया तो मामला उजागर हुआ कि वाहन चलाने को लिया है जो भाजपा नगर उपाध्यक्ष शंकर लाल मंडावलिया ने अनुबंध के आधार पर मुकेश मालवीय से पैसों का लेनदेन कर अपने पास रखा हैं। वाहन मालिकों ने उक्त मामले के संबंध में थाना खाचरौद को लिखित शिकायत भी की लेकिन वाहनों मालिकों की शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई बल्कि उन्हें उन्ही के क्षेत्र में प्रकरण कायम करने की सलाह दी गई ।

खाचरौद के प्रतिष्ठित 16 लोगो को फसाकर 8 से 10 लाख रुपये की लग्जरी गाड़ियों को एक से तीन लाख में प्रतिष्ठित लोगों के यहाँ रखकर रुपयों का लेनदेन किया गया जिसका बकायदा अनुबंध भी किया गया। मामला मीडिया में उजागर होने के बाद सुनियोजित तरीके से पहले तो सभी लक्जरी वाहनों को छुपाया गया। उसके बाद प्रतिष्ठित लोगो के मन मे कानून का डर बैठा दिया गया कि रुपये के चक्कर मे रहोगे तो इज्जत तो जायेगी जेल की हवा भी खानी पड़ेगी। मामले में फसे प्रतिष्ठित लोगो से मीटिंग के बाद मामला जम जाने पर दिनांक 10/6/2020 को सामुहिक रूप से उज्जैन पुलिस अधीक्षक मनोज सिंह को आवेदन प्रस्तुत किया गया। जिसमे नगर के वे सभी प्रतिष्ठित सामुहिक फरियादी बने जिन्होंने रुपयो का व्यवहार कर कम कीमत में लक्झरी कारो का लुत्फ उठाया उज्जैन एसपी को प्रस्तुत आवेदन में मुकेश मालवीय जिनेश वर्मा पर कार्रवाई की मांग की गई थी।

11/6/2020 को फ़िल्म की स्क्रिप्ट बनने के बाद सुनियोजित तरीके से 12/6/2020 को लिखित आवेदन थाना खाचरोद में प्रस्तुत हुआ। शुक्रवार को दिन में ही इस जालसाजी गिरोह मामले में आरोपी बने राकेश जायसवाल ने लक्जरी कारों को बारी बारी से खाचरौद थाने बुलाया जिनके बकायदा नाम पता गाड़ी नंबर भी दर्ज करवाए गए ओरिजनल आर सी कार्ड जमा कराई । देर रात तक महंगी कारो का कारवां थाने पर पहुचता रहा। शुक्रवार- शनिवार रात्रि को पुलिस ने मामले में आरोपी तय कर दिये। जिसका खुलासा शनिवार शाम 5 बजे प्रेसवार्ता में किया गया।

शनिवार को एसडीओपी अरविंद सिंह द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 12 जून शुक्रवार को खाचरौद के 8 लोगों द्वारा की गई लिखित शिकायत में ऑटो डील संचालक राकेश पिता कैलाशचंद्र जायसवाल तथा उज्जैन निवासी मुकेश पिता दरियाव सिंह मालवीय एवं जितेश वर्मा द्वारा पिछले एक वर्ष की अवधि में अलग-अलग वाहनों को अपना बताकर मूल कागजात के साथ अलग-अलग शिकायतकर्ताओं के पास बेईमानी पूर्वक धोखाधड़ी से रुपए प्राप्त कर लिए गए थे।

लक्जरी महंगी कारों की धोखाधड़ी
लक्जरी महंगी कारों की धोखाधड़ीGaurav Kapoor

शिकायतकर्ताओं को जानकारी मिली कि उक्त सभी वाहनों के वास्तविक मालिकों से मुकेश पिता दरियाव सिंह द्वारा मय दस्तावेज के किराएं पर लिए थे और अपने साथी जितेश वर्मा व राकेश जायसवाल की मदद से सभी शिकायतकर्ताओं को उक्त वाहन खुद का होना बताकर विश्वास दिलाने के लिए वाहन के मूल कागजात उन्हें देकर रुपयो का व्यवहार किया था। लेकिन फिलहाल तो पुलिस एवं कानूनी पेचों के डर के चलते न रुपये हाथ आए न धोखेबाज बल्कि वाहन थानों में जमा हो गए ।

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