रेत बनाने का बसाढ़ में चल रहा कारोबार
रेत बनाने का बसाढ़ में चल रहा कारोबारराज एक्सप्रेस, संवाददाता

रेत बनाने का बसाढ़ में चल रहा कारोबार

उमरिया, मध्यप्रदेश : बिरसिंहपुर नगर में आस-पास के नालों और जंगल से निकाल कर लाई जा रही चोरी की रेत जमकर बेची जा रही है। सुबह जब लोग सोकर उठते हैं तो उनके घरों के सामने रेत के ढेर लगे रहते हैं।
Summary

नदी-नालों की सुनहरी रेत प्रशासन की मुठ्ठी से फिसलती जा रही है, वहां से स्थानीय रेत माफियाओं के द्वारा सैकड़ों ट्रैक्टर अवैध रेत परिवहन खुलेआम किया जाता है, लेकिन रेत कारोबारी प्रशासन को चुनौती देने से बाज नहीं आ रहे है, रेत माफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि अब वह नदी-नालों का स्वरूप भी बदलने में लगे हैं।

उमरिया, मध्यप्रदेश। बिरसिंहपुर नगर में आस-पास के नालों और जंगल से निकाल कर लाई जा रही चोरी की रेत जमकर बेची जा रही है। सुबह जब लोग सोकर उठते हैं तो उनके घरों के सामने रेत के ढेर लगे रहते हैं। बाद में किसी ट्रॉली से इस रेत को उठवा कर दूसरे स्थान पर भेज दिया जाता है। दरअसल रेत चोर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर इस तरह रेत का ढेर लगाकर उसे सुरक्षित कर देते हैं। इस क्षेत्र में जहां भी निर्माण कार्य हो रहे हैं वे सभी चोरी की रेत से ही हो रहे हैं। जिले के जंगल से लगे गांवों में रेत की चोरी लगातार की जा रही है। इस दिशा में न तो पुलिस विभाग के अधिकारी ध्यान दे रहे हैं और न ही वन विभाग के अधिकारी, यही कारण है कि रेत चोरी करने वालों के हौंसले बुलंद हैं।

खेत में कर देते हैं प्लॉटिंग :

पहडिय़ा, अमिलिहा, भिम्माडोंगरी, बड़वाही ग्राम पंचायत में रहने वालों के खेतों में भी रेत चोर अवैध रूप से रेत की प्लॉटिंग कर रहे हैं। इस बारे में बताया गया है कि रेत चोर बिना पूछे खेतों में रेत डाल जाते हैं और जब खेत के मालिक विरोध करते हैं तो वे यह कहकर उन्हें शांत करा देते हैं कि बस एक दो दिन में रेत उठा लेंगे, बीते दिनों बसाढ़ नदी में स्थानीय रेत माफियाओं द्वारा जब मिट्टी लाकर नदी की धार में डालकर रेत मजदूरों के माध्यम से निकाला जा रहा था, वहीं खड़े एक रेत माफिया ने बताया कि मेरा छोटा काम है, शंकर, छोटू, प्रदीप द्वारा बड़े स्तर पर रेत का अवैध कारोबार किया जाता है।

मजदूरों को देते हैं लालच :

एक ओर जिले में अधिकतर रेत खदानें हैं और बंद रेत खदानों से ही रेत की चोरी खुलेआम हो रही है, दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय रेत माफिया स्वयं के ट्रैक्टरों से जिन नदियों में रेत नहीं है, वहां नदी की धार में रेतली मिट्टी डालकर रेत बनाने का कारोबार किया जा रहा है, जिले के अंतिम छोर में बसे घुनघुटी वन परिक्षेत्र से लगे ग्रामीण अंचल में पहडिय़ा ग्राम पंचायत की बसाढ़ नदी में रेत माफिया द्वारा ग्रामीणों को पैसों की लालच में पानी की धार में पूरे दिन काम कर ट्रैक्टर ट्राली भर दी जाती है।

नहीं हो रही कार्यवाही :

रात हो या दिन रेत माफियाओं को कोई फर्क नहीं पड़ता, नदी की धार से मिट्टी रेत निकालने का कारोबार अपने आप में चकित करने वाला है, लेकिन इससे नदियों का स्वरूप बदल रहा है, जहां एक ओर करोड़ों रूपये शासन को देकर रेत ठेकेदारा को नुकसान हो रहा है, वही अवैध उत्खनन कर लाई गई मिट्टी से खनिज विभाग को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है, सूत्रों की माने तो शंकर, छोटू, प्रदीप ने तो स्वयं का बोर लगाकर रेत निकालने का काम खेतों में शुरू कर दिया है, साथ ही कई जगह भण्डारण भी किया हुआ है, लेकिन खनिज विभाग का मैदानी अमला कोई कार्यवाही करने की जहमत नहीं उठा पा रहा है।

पंचायतों में खप रही रेत :

नदियों से रेतीली मिट्टी के माध्यम से बनाई जा रही रेत लगभग पंचायतों में खप रही है, वर्तमान में पहड़िया ग्राम पंचायत में सीसी सड़क का निर्माण किया जा रहा है, अगर पंचायत के जिम्मेदारों से केवल इतना पूछ लिया जाये कि आप किससे रेत ले रहे हैं और कथित वेण्डर से रेत की रॉयल्टी की मांग हो जाये तो, पंचायत में खप रही दोयम दर्जे की रेत के साथ ही चोरी के इस अवैध कारोबार से पर्दा उठ सकता है, साथ ही पंचायत द्वारा घटिया रेत इस्तेमाल पर भी कार्यवाही की गाज गिर सकती है। जागरूक लोगों ने खनिज अधिकारी से मांग की है कि उक्त शासकीय निर्माण स्थल पहुंचकर पूरे मामले की जांच की जाये, जिससे अवैध कारोबार पर अंकुश लग सकता है।

इनका कहना है :

मामला मेरे संज्ञान में आया है, जल्द ही कार्यवाही धरातल पर दिखेगी।

सुश्री फरहत जहां, जिला खनिज अधिकारी, उमरिया

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