उमरिया : मिट्टी से कैप का निर्माण कर 72 करोड़ रूपये लगा दिए दाँव पर

उमरिया, मध्य प्रदेश : ठेकेदार ने मिट्टी से कराया कैप का निर्माण, रेत को बाजार में बेच कमाया लाखों, चंद दिनों में ही कैप की हकीकत आई सामने, अधिकारियों ने शासन के करोड़ों रुपयों की खेली होली।
मिट्टी से कराया कैप का निर्माण
मिट्टी से कराया कैप का निर्माणAfsar Khan

उमरिया, मध्य प्रदेश। अपने जुगाड़ के लिए अधिकारियों ने ऐसा खेल-खेला कि आम के आम गुठलियों के दाम निकाल लिये गये, ठेकेदार अतुल कुरारिया को जिले के चंदिया तहसील के ग्राम बेसहनी व मानपुर तहसील के खुटार में कैप निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जिसका ठेका करोड़ों में हुआ था, निर्माण की आड़ में अधिकारियों ने सोन नदी से रेत निकासी की मंजूरी दी थी, ठेकेदार ने रेत को बाजार में बेच दिया, मिट्टी के साथ ही घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया, नतीजा यह निकला कि चंद दिनों के बाद कैप धराशाही होने लगा है।

पानी में गये 3 करोड़ :

4 लाख क्विंटल गेंहू रखने के लिए वेयर हाउसिंग कारपोरेशन द्वारा ठेकेदार अतुल कुरारिया को ठेका देकर कैप का निर्माण चंदिया के बेसहनी में तीन लाख पचास हजार क्विंटल गेंहू रखने के लिए और मानपुर के खुटार में पचास हजार क्विंटल गेंहू रखने के लिए कैप बनवाया गया, एक कैप की क्षमता 1500 क्विंटल की है, जिसके लिए चंदिया बेसहनी में 252 कैप का निर्माण कराया गया और मानपुर के खुटार में 38 कैप बनवाया गया, यदि दोनों जगह की लागत देखी जाय तो साढ़े तीन करोड़ है, मौजूदा अधिकारियों ने निर्माण में कमीशन तो लिया ही, वहीं रेत के नाम पर भी मोटी रकम लेकर ठेकेदार को बाजार में रेत बेचने की खुली छूट दे दी थी।

दांव पर लगा दिये 72 करोड़ :

चंदिया बेसहनी कैप में 2 लाख 84 हजार 983 क्विंटल गेंहू रखवाया गया, जिसकी सरकारी कीमत लगभग 68 करोड़ 40 लाख रुपये होती है, इस तरह 72 करोड़ रुपये की बर्बाद होने की कगार पर हैं। ठेकेदार द्वारा कैप निर्माण में किसी भी मानकों का पालन नहीं किया गया, रेत की जगह मिट्टी भरवाई गई, कैप में रोलर नहीं चलवाया गया, जिसके कारण कंपेक्शन नहीं हो सका। गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया गया, कमीशनखोरी पूरे चरम पर रही, जिसका नतीजा अब निकलकर सामने आ रहा है, लेकिन जिम्मेदार अब यहां से रफूचक्कर हो चुके हैं।

खेली करोड़ों की होली :

कैप की आड़ में रेत की ऑन द रिकार्ड चोरी करवाई गई, ठेकेदार से मिली मलाई के फेर में अधिकारियों ने उसे खुला अभयदान दे रखा था, सोन नदी के गोवर्धे घाट से रेत तो निकली, लेकिन चंदिया कैप निर्माण स्थल की बजाय, उसे सतना और कटनी में बिकवा दिया गया। मिट्टी युक्त रेत से कैप का निर्माण कराया गया, इस पूरे मामले का खुलासा राज एक्सप्रेस ने पहले भी किया था, लेकिन मौजूदा अधिकारियों ने अपनी आंखे मूंद रखी थीं, आज सच्चाई सबके सामने आ रही है, कैप की गुणवत्ता के साथ हुए खिलवाड़ का नतीजा शासन को करोड़ों में चुकाना पड़ेगा, इस मामले में अगर उच्च स्तरीय जांच हुई तो, कईयों पर कार्यवाही की गाज गिरना तय है, खास तौर पर इनमें वह जिम्मेदार शामिल हैं, जिन्होंने सीएम की प्राथमिकता वाले काम में खुलेआम भ्रष्टाचार किया।

इनका कहना है :

बेसहनी में जो कैप निर्माण हो रहा है, उसमें 150 एमटी का लोहा रहना है और 21 दिन की प्रॉपर क्यूरिंग नहीं करवा पा रहे है, फिर भी 7 दिन की क्यूरिंग करवा रहे हैं, काम लगभग पूरा हो गया है और जो दरार आ रही है या कैप बैठ रहा है उसको देख लेता हूँ।

राहुल गंगवाल, उपयंत्री, कैप प्रभारी

कैप निर्माण की जिम्मेदारी हमारी नहीं है, यह काम वेयर हाउस कार्पाेरेशन का है।

सत्यदेव विरहा प्रबंधक, नागरिक आपूर्ति निगम

यह सही है कि कैप क्रैक हो रहे हैं, इससे नुकसान बहुत होगा, इस पूरे मामले की जानकारी भोपाल मुख्यालय और एई को दे दी गई है।

अरविंद सिंह, प्रबंधक, वेयर हाउस, कार्पाेरेशन

कैप यदि बैठ रहा है और गेंहू खराब होता है तो, इसकी जांच करवाएंगे और जो भी इसमें शामिल होगा, उस पर कार्यवाई की जाएगी, जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जायेगा।

संजीव श्रीवास्तव, कलेक्टर, उमरिया

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