ठण्ड में खुले आसमान के नीचे किसान
ठण्ड में खुले आसमान के नीचे किसानराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Umaria : ठण्ड में खुले आसमान के नीचे किसान

उमरिया, मध्यप्रदेश : चौरी धान खरीदी केन्द्र में अव्यवस्था का आलम। धान खरीदी केंद्रों में आज भी धान खुले में रखी है। जिम्मेदारों को नहीं किसान की परेशानी से मतलब।
Summary

सरकारी धान खरीद केंद्रों पर किसानों को दिए जाने वाले सुविधाओं के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जिले के अधिकांश धान क्रय केंद्रों पर किसानों को बैठने तक का इंतजाम ही नहीं है। शुद्ध पेयजल और और ठंड से बचने की व्यवस्था तो दूर की बात है। क्रय केंद्रों पर धान विक्रय करने जाने वाले किसानों को दुर्वयवस्था का सामना करना पड़ रहा है, इससे उनमें आक्रोश है।

उमरिया, मध्यप्रदेश। बीते दिनों जिले में बारिश के साथ ओले पड़े थे, इस बारिश ने धान खरीदी केंद्रों में रखी उपज को गीला कर दिया था। जिले में अभी भी हजारों क्विंटल से अधिक धान केंद्रों के बाहर पड़ी हुई है, जो गीली हो गई है। साथ ही खेतों में पानी भर जाने से भी किसान परेशान हैं और अब पाला पड़ने का डर सताने लगा है, लेकिन वहीं धान खरीदी केंद्रों में आज भी धान खुले में रखी है, साथ ही रात में किसानों को ठण्ड में ठिठुरना पड़ रहा है, खरीदी केंद्रों में न तो टेंट लगाये गये हैं और न ही प्रबंधन द्वारा अलाव की ही कोई व्यवस्था है।

नहीं है कोई व्यवस्था :

बेमौसम बारिश से धान खरीदी केंद्रों में खुले में भंडारित धान भीग गई है। इधर, बेमौसम बारिश ने जहां प्रशासन की पोल खोल दी। वहीं बारिश से किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं खरीदी केंद्रों में बिक्री के लिए लेकर गए किसानों की धान भी भीग गई। इसके कारण भी किसानों को काफी नुकसान हुआ है, साथ ही बरसात के बाद अब मौसम खुलने के बाद से ठण्ड बढ़ चुकी है, जिससे किसानों को परेशानी का सामाना करना पड़ रहा है, लेकिन खरीदी केन्द्र पर प्रशासन द्वारा किसी प्रकार कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

एक काटे के भरोसे दर्जनों किसान :

उमरिया जिले की पाली जनपद की चौरी ग्राम पंचायत में दर्जनों किसानों से प्रतिदिन धान खरीदी करने का दावा किया जाता है, किसानों का आरोप है कि खरीदी केन्द्र में तौल के लिए एक कांटा हैं, हमें स्वयं ही कांटा लेकर आना पड़ता है, खरीदी केन्द्र में मजदूरों की व्यवस्था भी नहीं है, हम स्वयं पैसे देकर खरीदी केन्द्र पर अपने मजदूर लाते हैं, बारदाने में छपाई के साथ ही अन्य कार्य भी धान खरीदी केन्द्र में करने पड़ते हैं।

हाथ टूटने का बहाना :

चौरी धान खरीदी केन्द्र पर अपनी धान लेकर आये किसानों का आरोप है कि धान खरीदी केन्द्र के प्रबंधक का हाथ टूट जाने के कारण वह तो, नहीं आ रहे हैं, साथ ही धान खरीदी केन्द्र पर न तो मजदूर हैं और न ही प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार की व्यवस्था दी जा रही हैं, लेकिन जिले में बैठे जिम्मेदारों ने किसानों को हो रही परेशानी को लेकर सुध ही नहीं ली, जिले में बैठे जिम्मेदारों अपने वातानुकूलित कमरे में बैठकर यह कहने से भी नहीं चूकते कि, खरीदी केन्द्र पर धान तो आ रही है।

50 फीसदी हुआ परिवहन :

उपार्जन केंद्रों से समर्थन मूल्य पर खरीदी गई अधिकांश धान परिवहन कार्य की शिथिलता की वजह से खरीदी केंद्र पर ही पड़ी है, हालात इतने खराब है कि खरीदी केंद्र कौड़ियां, नरवार एवम इंदवार में तो महज खरीदी गई धान का 30 फीसदी ही ढुलाई हो पाई है, वहीं आधे दर्जन उपार्जन केंद्र भरेवा, कोइलारी, बिलासपुर, पिंडरा, कछरा टोला, मालाचुआ, नोगवा में सिर्फ 50 फीसदी ही परिवहन हो पाया है, विभागीय आंकड़ों की मानें तो अब तक जिले के 41 उपार्जन केंद्रों में खरीदी गई धान के रेडी स्टॉक के विरुद्ध 73.87 फीसदी परिवहन हो चुका है।

भीग गई थी धान :

जिले के 41 उपार्जन केंद्रों में 10 ऐसे उपार्जन केंद्र है, जहाँ खरीदी स्थल पर ही कैप है, जिस वजह से परिवहन कार्य लगभग शून्य होता है और इन उपार्जन केंद्रों का परिवहन 80 से 100 फीसदी आकड़ों में दर्शाता है। जिले में उपार्जन केंद्रों से सटे कैप उमरिया सब्जी मंडी के अलावा चंदिया कैप बेसहनी, मजमानी कला, छादा खुर्द, ओपन कैप खुटार, छपडोर कैप, सिगुड़ी कैप, कोटरी कैप गड़रिया टोला सहित दूसरे कैप के करीब जितने भी उपार्जन केंद्र है, इनमें लगभग सभी उपार्जन केंद्रों में परिवहन का आंकड़ा 80 फीसदी से अधिक दर्शाता है,जिन कारणों से कुल परिवहन पर इन खरीदी केंद्रों का परिवहन बेहतर दर्शाता है, अधिकांश उपार्जन केंद्रों में बेमौसम बारिश में भारी तादात में धान भी भीग गई थी।

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