रीडर ने बेनामी संपत्ति से तानी आलीशान हवेली

उमरिया, मध्यप्रदेश: प्रदेश में शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों की हेरा- फेरा के चलते खलेसर में 4 मंजिला इमारत का हो रहा अवैध निर्माण।
रीडर ने बेनामी संपत्ति से तानी आलीशान हवेली
रीडर ने बेनामी संपत्ति से तानी आलीशान हवेलीShubham Tiwari

हाइलाइट्स :

  • रीडर ने बेनामी संपत्ति से तानी आलीशान हवेली!

  • खलेसर में 4 मंजिला इमारत का हो रहा निर्माण

  • एनएच के मुआवजा वितरण में चमकी किस्मत

राज एक्सप्रेस। उमरिया से शहडोल की ओर जाने वाला नया राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 43 ने कई की तकदीर बदल दी, काश अगर ये गरीबों के हक में जाता तो, शायद उनके काम आता, लेकिन अधिकारियों और कर्मचारियों ने शासकीय भूमि में ऐसा हेरफेर किया कि पूंजीपतियों और रसूखदारों को ही इसका लाभ मिला। थोड़ा बहुत भी नहीं करोड़ों रूपये का अवार्ड पारित किया गया, जबकि खबर यह है कि पुराने एनएच-78 के निर्माण के समय ही अधिकांश लोगों को मुआवजे का वितरण हो चुका था, लेकिन फिर से नये एनएच-43 के निर्माण में भी मुआवजा बांट कर शासन के खजाने में क्षति पहुंचाई गई।

गुम हुई पुरानी फाईल

एमपीआरडीसी के अधिकारियों के मुताबिक मुआवजा वितरण में सबसे ज्यादा गड़बड़ी उमरिया जिले में सामने आई है, जहां पर पुराने रिकार्ड जिम्मेदार अधिकारियों के कार्यालय से गायब होने के चलते फिर से मुआवजा वितरण नये राष्ट्रीय राजमार्ग 43 के समय भी करना पड़ा। इसमें रीडर, बाबू जैसे कर्मचारियों की भूमि का संदिग्ध है। रिकार्ड रूम तक में पुरानी फाईलें और रिकार्ड मौजूद नहीं है, अब यह समझ में आ रहा है कि बेनामी संपत्ति कहां से निकलकर सामने आ रही है।

चार मंजिला इमारत का निर्माण

बांधवगढ़ एसडीएम कार्यालय में रीडर के पद पर पदस्थ भूपेन्द्र सिंह चंदेल जो कि मूलत: उमरिया जिले के ही निवासी है और वह 7 वर्षाे से अपनी सेवाएं उमरिया में ही दे रहे हैं। खलेसर के वार्ड नंबर 10 में उनका पुराना घर है, ठीक उसके सामने वार्ड नंबर 11 में उन्होंने हाल ही में बेशकीमती जमीन खरीदी है, जिस पर 4 मंजिला इमारत लाखों रूपये की लागत से बनवाई जा रही है।

हजार रूपये फुट हैं दाम

खलेसर में मौजूदा दौर में जमीन के दाम 1 हजार रूपये फुट हैं, जिस क्षेत्रफल में चार मंजिला हवेली का निर्माण कराया जा रहा है, उसका दायरा साढ़े सात सौ वर्गफुट के आस-पास है, जिसकी कीमत साढ़े सात लाख रूपये रजिस्ट्री छोड़कर होती है, शासन द्वारा निर्धारित रजिस्ट्री शुल्क अतिरिक्त है, बताया गया है कि रसूखदार, पूंजीपतियों को एनएच के मुआवजा वितरण में रिश्वत लेकर फायदा पहुंचाने के बदौलत अर्जित की गई बेनामी संपत्ति से जमीन खरीदी गई है और हवेली का निर्माण भी कराया जा रहा है।

अनुमति का नहीं पता

शासकीय कर्मचारी को भूमि क्रय करने सहित भवन निर्माण के लिए विभागीय अनुमति जरूरी रहती है, इसके साथ ही भवन निर्माण कराने के लिए संबंधित नगर पालिका या ग्राम पंचायत से अनुमति लेना अनिवार्य है, इतना ही नहीं श्रम विभाग से कर्मकार मण्डल योजना के अंतर्गत भवन निर्माण की लागत की एक प्रतिशत राशि उपकर जमा करना होता है, लेकिन एसडीएम के रीडर होने का कथित कर्मचारी को भरपूर लाभ दिया गया। बहरहाल मामले में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच का विषय है, उसके बाद ही पूरे मामले से पर्दा उठ सकता है।

मैंने साढ़े सात सौ वर्गफिट जमीन पथरहटा के पंडित जी से ली है, मेरा गृह जिला उमरिया ही है और मैं जमीन पर मकान भी बना रहा हूं, उक्त जमीन मैनें 2 लाख रूपये में खरीदी है, बाकी जानकारी मैं आपको कार्यालय में दे सकता हूं।

भूपेन्द्र सिंह चंदेल, रीडर एसडीएम कार्यालय, बांधवगढ़, उमरिया

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