महरोई में मानव श्रम की जगह मशीनों से काम
महरोई में मानव श्रम की जगह मशीनों से कामराज एक्सप्रेस, संवाददाता

Umaria : महरोई में मानव श्रम की जगह मशीनों से काम

उमरिया, मध्यप्रदेश : जिले की मानपुर जनपद पंचायत में आने वाली ग्राम पंचायत महरोई में मजदूरों की जगह मशीनों से खुले आम कार्य कराए जाने का आरोप है।

हाइलाइट्स :

  • मनरेगा योजना के लिए काल बने पंचायत के जिम्मेदार।

  • कटघरे में सरपंच-सचिव की कार्य प्रणाली।

Summary

कोरोना महामारी में सरपंच-सचिव और रोजगार सहायक की मिलीभगत से मनरेगा योजना के कार्यों में मजदूरों से कार्य न कराकर जेसीबी मशीनों से कार्य कराया जा रहा है। इससे मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है। वहीं, इस कार्य को अंजाम देने ग्राम पंचायत के मनरेगा पोर्टल पर मजदूरों को आनलाइन मनरेगा के पोर्टल पर दर्शाया जा रहा है और मौके पर एक भी मजदूरों से कार्य नहीं कराया जा रहा है।

उमरिया, मध्यप्रदेश। जिले की मानपुर जनपद पंचायत में आने वाली ग्राम पंचायत महरोई में मजदूरों की जगह मशीनों से खुले आम कार्य कराए जाने का आरोप है। ग्रामीणों का कहना है कि मजदूरी करने के लिए अन्य जिला व प्रदेशों में भटक रहे हैं, जिम्मेदारों ने अपने कमीशन के चक्कर मे ग्राम सरपंच सचिवों को खुली छूट दे रखी है, जिससे सरपंच-सचिव मिलकर ग्राम पंचायत में बनने वाले बांध निर्माण, सड़क निर्माण, चैक डैम जैसे कई कार्य मशीनों से करा रहे हैं। इसके बाद मस्टर में अपने चहेतों को फर्जी मजदूर दर्शाकर उनके खातों में मजदूरी के पैसे डालकर निकाल कर अपनी जेबें भरने का काम हो रहा है।

फर्जी राशि का आहरण :

दरअसल ग्रामीण अंचल की बेरोजगारी को कम करने के उद्देश्य से मनरेगा योजना चलाई गई है, जिससे ग्रामीण श्रमिकों को गांव में ही काम मिल जाए, उन्हें रोजगार और रोटी के लिए गांव से पलायन न करना पड़े। मनरेगा योजना के नियम के अनुसार लागत का 60 प्रतिशत हिस्सा मजदूरी का और 40 प्रतिशत हिस्सा मटेरियल के लिए दिया जाता है। मगर हर योजना में कमाई का जरिया खोजने के आदी अधिकारी और पंचायत के कर्ताधर्ता सख्त निर्देशों के बावजूद मनमानी करने से बाज नहीं आते हैं। आरोप हैं कि महरोई सरपंच एवं सचिव द्वारा मनरेगा के कार्यों में मशीनों से कार्य कराकर फर्जी जाबकार्ड में मजदूरी डालकर राशि का आहरण कर लिया जाता है।

मजदूरों को काम की तलाश :

ग्राम पंचायत महरोई में मनरेगा योजना में बड़ी चतुराई से मशीन से निर्माण का काम कराके श्रमिकों के नाम से फर्जी मस्टर भरकर राशि निकाली गई है। जबकि कई निर्माण कार्याे में मजदूरों को काम नहीं दिया गया है। ग्रामीणों में चर्चा है कि मजदूरों के मस्टर पंचायत के लोग कागजों में भरकर उनके नाम से पैसा निकाल लेते हैं, मनरेगा में हो रहे भ्रष्टाचार के कारण गांव के मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल पाती है। इसकी वजह से गांव के मजदूर अन्य जगह जाकर काम की तलाश करते हैं। पंचायत के जिम्मेदार की इस मनमानी से सरकार की इस जनहितैषी योजना को पलीता लग रहा है।

पटरी से उतरी योजना :

मनरेगा में मशीनों से कार्य नहीं कराया जाता है, लेकिन मशीनों से कराए जा रहे कार्य का भुगतान निर्माण एजेंसी के द्वारा मजदूरों के नाम से फर्जी मस्टर रोल भर कर किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत मानपुर की ग्राम पंचायत महरोई में मशीनों से कराए जा रहे कार्याे का मूल्यांकन उपयंत्रियों के द्वारा पूर्व में भी फर्जी रूप से घर बैठ कर ही किया गया है। मशीनों के कार्य को मजदूरों के द्वारा कराया जाना बताया जाकर मूल्यांकन सुविधा शुल्क लेकर पूरी योजना को ही पटरी से उतार कर रख दिया, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जनपद में बैठे जिम्मेदारों को नहीं है, लेकिन आर्थिक लालच में पड़कर जिम्मेदारों ने मौन स्वीकृति दी हुई है।

भ्रष्टाचार से उठ सकता है पर्दा :

जनपद पंचायत मानपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत महरोई में विकास कार्यों की पोल खुल रही है। ग्रामीण का आरोप है कि ग्राम पंचायत में कोई भी कार्य सही तरीके से नहीं किए गए हैं, ग्राम पंचायत के विकास के लिए आई राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है, ग्रामीणजनों का कहना है कि बीते 6 वर्षाे के दौरान शासन द्वारा जितनी राशि पंचायत के विकास के लिए दी गई एवं पंचायत में निर्माण कार्य स्वीकृत होने के साथ निर्माण हुए, उन निर्माण कार्याे का मूल्यांकन सहित वस्तुस्थिति का अवलोकन स्वयं जिला पंचायत के मुखिया ग्राम पंचायत महरोई पहुंचकर देखें तो, भ्रष्टाचार के पूरे खेल से पर्दा उठ सकता है।

इनका कहना है :

मामला मैं जानता हूं, जिसने शिकायत की है, वह दारू के लिए रोज-रोज पैसा मांगता है, मैं कहां से दूंगा, पंचायतों पर ऐसे आरोप लगते रहते हैं, खुद विभाग के मुखिया कभी भ्रमण करके तो देखें।

श्रीमती सुशीला गुप्ता, सरपंच, ग्राम पंचायत, महरोई

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