राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक विन्सेन्ट रहीम के अनुसार माह अगस्त-सितम्बर 2018 में छत्तीसगढ़ से पांच हाथियों का एक दल संजय टाइगर रिजर्व में प्रविष्ट हुआ था एवं 103 किलोमीटर का प्रवास कर यह दल सीधी एवं शहडोल जिले की सीमा पर आबादी के मध्य पहुंच गया था। इस दल द्वारा व्यापक पैमाने पर फसल एवं घरों को नुकसान पहुंचाया गया तथा दो व्यक्तियों की मृत्यु भी इन जंगली हाथियों के कारण हुई थी।
बाघों की गतिविधियों पर रख रहे नजर
तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के निर्देश पर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय टाइगर रिजर्व एवं सीधी वनमण्डल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के दल द्वारा इन पांच हाथियों को रेस्क्यू किया गया, जिनमें से चार हाथी बाघ अनुश्रवण हेतु प्रशिक्षित करने के लिए बांधवगढ़ स्थानांतरित किए गए, इन हाथियों के दल का नेतृत्व जिस मादा हाथी द्वारा किया जा रहा था उसे बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में काजल नाम दिया गया। इन सभी हाथियों को ताला स्थित हाथी कैम्प के समीप एक क्रॉल बनाकर प्रशिक्षित किया गया एवं वर्तमान में इनमें से तीन हाथी प्रशिक्षित होकर सीमित पैमाने पर बाघ अनुश्रवण का कार्य करने लगे हैं।
हो गया था गर्भपात
हाथी दल की प्रमुख मादा (काजल) को भी प्रशिक्षित करने के प्रयास किए गए एवं अन्य हाथियों की तरह इसे भी लगभग आठ माह पूर्व क्रॉल से बाहर निकाला गया परंतु काजल द्वारा उग्र व्यवहार का प्रदर्शन किया गया जिसके फलस्वरूप इसे पुन: क्रॉल में रखकर क्रॉल में पार्टीशन डालकर स्थान को सीमित किया गया एवं पुन: प्रशिक्षण प्रारंभ किया गया। इस मध्य मादा हाथी काजल का अज्ञात कारणों से जनवरी 2020 में गर्भपात हो गया।
काजल आई कैद से बाहर
वन्यजीव शल्यज्ञों द्वारा इस मादा हाथी के स्वास्थ्य का निरंतर परीक्षण किया गया तथा सलाह दी गई कि अब इसे क्रॉल से मुक्त किया जाए वन्यजीव विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार 26 फरवरी को पूर्वान्ह क्षेत्र संचालक विन्सेन्ट रहीम की उपस्थिति में वन्यजीव पशु शल्यज्ञ डॉ.अभय सेंगर, परिक्षेत्र अधिकारी ताला के.बी. सिंह की उपस्थिति में पालतू हाथी की मदद से क्रॉल के लट्ठे हटवाए गए एवं मादा हाथी काजल को क्रॉल से बाहर छोड़ा गया।
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