ब्यौहारी: तहसील कार्यालय में अनाधिकृत लोगों का डेरा!

जिले के ब्यौहारी तहसील में फोटोकापी दुकान संचालक ने 15 वर्षाे से कब्जा किया हुआ है, वहीं दूसरी ओर जिम्मेदारों की मौन सहमति से हर शासकीय कार्य में कमीशन लेकर काम करने वाले दलालों ने कब्जा किया।
ब्यौहारी: तहसील कार्यालय में अनाधिकृत लोगों का डेरा!
ब्यौहारी: तहसील कार्यालय में अनाधिकृत लोगों का डेरा!सांकेतिक चित्र

हाइलाइट्स :

  • कार्यालय के ही अंदर खोल दी फोटोकापी की दुकान

  • दलालों का रहता है हर शासकीय कार्य में दखल

ब्यौहारी, मध्य प्रदेश। तहसील न्यायालय में अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा न्यायालय भवन में व्यापारिक गतिविधियों का संचालन सालों से किया जा रहा है, यह व्यक्ति कौन है और किसके कहने पर सरकारी भवन में दुकान खोलने की मंजूरी उसे दी गई है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है ? सरकारी कार्यालय में किसी निजी व्यक्ति को दुकान खोलने की अनुमति बिना वरिष्ठ कार्यालय के संभव नहीं है, लेकिन एसडीएम और तहसीलदार न्यायालय के भीतर ऐसे कई बाहरी व्यक्तियों को दुकानदारी करते आसानी से देखा जा सकता है।

बाहरी व्यक्तियों का डेरा :

दशकों से तहसील न्यायालय भवन में फोटोकॉपी मशीन सरकारी कमरे में लगा रखी है, सूत्रों का कहना है कि कथित दुकान संचालक राजस्व विभाग में अपने भाई-भतीजों के साथ दलाली के कार्यों में लगा रहता है, जानकारों का कहना है कि सरकारी भवन में किसी बाहरी व्यक्ति को व्यापारिक प्रतिष्ठान खोलने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यदि दी भी जाए तो कलेक्टर अथवा कमिश्नर कार्यालय से मार्गदर्शन और अनुमति ली जाए। खबर है कि तहसील न्यायालय ने फोटोकॉपी मशीन दुकान संचालन के लिए ऐसी कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। राज्य शासन ने तहसील न्यायालय एवं एसडीएम कार्यालय के विभागीय कार्यों के लिए फोटोकॉपी मशीन पहले ही रखवा दी है, फिर किसी बाहरी व्यक्ति दुकान संचालन की अनुमति क्यों दी गई, यह समझ से परे है।

नियमों की उड़ी धज्जियां :

जानकारों का कहना है कि बाहरी व्यक्ति को सरकारी भवन में कमरा अगर दिया जाता है, तो उसका अनुबंध किया जाता है, लेकिन तहसील न्यायालय में जिम्मेदारों ने नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं, न ही किसी समाचार पत्र में निविदाएं आमंत्रित की गईं और न ही किसी प्रकार की प्रक्रिया हुई, मजे की बात तो यह है कि सालों से दुकान का संचालन हो रहा है और तहसील सहित जिले में बैठे जिम्मेदारों ने इसे हरी झण्डी दी हुई है।

15 वर्षाे से हथिया रखा है कमरा :

गैरकानूनी तरीके से चल रहे कार्य के बारे में पड़ताल करनी शुरू की तो पता चला कि फोटोकॉपी संचालक ने लगभग 15 वर्षों से यह कमरा हथिया रखा है, उसके बदले कोई किराया सरकार को नहीं दिया जा रहा है। न्यायालय और उस दुकानदार के बीच अनुबंध होने की कोई अधिकृत जानकारी नहीं है। विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी भवनों के भीतर दुकान खोलनें की यह खबर उदाहरण है।

दलालों का डेरा :

जानकारों का कहना है कि तहसील न्यायालय में और भी कई अनाधिकृत व्यक्तियों को तहसील कार्यालय में शासकीय कार्य करते देखा जा रहा है। ये व्यक्ति कौन है, क्या इन्हें शासन द्वारा नियुक्त किया गया है, कई ऐसे चेहरे हैं, जो तहसील कार्यालय में शासकीय कार्य में संलग्न देखे जा रहे हैं। जैसे उनकी शासन के द्वारा नियुक्त की गई हो, आखिर इन अनाधिकृत व्यक्तियों को कार्यालय में प्रवेश अधिकारियों की दलाली के लिए है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से पूरे मामले को संज्ञान में लेकर कार्यवाही करने की मांग की है।

इस संबंध में जब तहसीलदार आर.बी. नेताम से जानकारी लेनी चाही गई तो, उन्होंने फोन नहीं उठाया।

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