इंदौर : एमवायएच में हुआ अनोखा आपरेशन, जुड़वां डेढ़ बच्चे को एक किया

इंदौर, मध्य प्रदेश : प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवायएच में गत दिनों एक ऑपरेशन हुआ जिसमें डेड जुड़वा बच्चों को अलग कर एक बनाया और उसे नया जीवन दिया।
एमवायएच में हुआ अनोखा आपरेशन
एमवायएच में हुआ अनोखा आपरेशनMumtaz Khan

इंदौर, मध्य प्रदेश। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल एमवायएच में गत दिनों एक ऑपरेशन हुआ जिसमें डेड जुड़वां बच्चों को अलग कर एक बनाया और उसे नया जीवन दिया। जुड़वां बच्चे में से एक पूरी तरह से विकसित था, जबकि दूसरा बच्चे के सिर्फ एक ही विकसित हो पाए थे और वह एक दूसरे से जुड़े हुए थे।

अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर पीएस ठाकुर ने शुक्रवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि एम वाय अस्पताल में शिशु सर्जरी यूनिट सन 1963 से कार्यरत है इस शिशु सर्जरी यूनिट में 1 दिन के जन्मे बच्चे से लेकर 12 साल तक के बच्चों के सभी तरह के ऑपरेशन किए जाते हैं। इस वर्ष मेडिकल काउंसिल ने पीडियाट्रिक सर्जरी में डिग्री कोर्स एमसीएच के लिए दो सीटों को मान्यता दी है जो कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज के इतिहास में पहली बार हुआ है।

डॉ ठाकुर ने बताया कि कोरोना समय काल में भी इस डिपार्टमेंट में बहुत सारे जटिल ऑपरेशन किए गए हैं। 12 अक्टूबर को एक चार दिन का बालक जिस की माता का नाम मोनिका पति अल्बुष उम्र 23 वर्ष, पिता का नाम अल्बुष वसुनिया निवासी 20, सीतला माता रोड, मेघनगर तहसील, जिला झाबुआ, मध्य प्रदेश के रहने वाले को भर्ती किया। बच्चे को हेटरोफोगल प्लास्टिक कंजाइंट ट्विंस (जुड़वा बच्चा) नाम की जटिल बीमारी थी। बच्चे के पिता अल्बुष एवं मोनिका का विवाह छह वर्ष पूर्व  हुआ है। इनके 2 और बच्चे हैं, 4 वर्ष की लड़की और 2 वर्ष का लड़का। दोनों बच्चों का जन्म अस्पताल में हुआ था और दोनों बच्चे स्वस्थ हैं। पिता व्वयसाय से किसान हैं और मोनिका उनके साथ में ही खेत में मज़दूरी करती है।

बालक का जन्म पूरे 9 महीने पूर्ण होने के पश्चात् सामान्य प्रसव से घर पर हुआ था। मरीज़ के गर्भ में होने पश्चात् भी माता आखरी दिन तक खेत में काम करती रही। मरीज़ की माता ने गर्भावस्था के दौरान कोई दवाइयों का सेवन नहीं किया था और कोई जांचें या सोनोग्राफी नहीं करवाई थी। माँ को कोई टीके भी नहीं लगे थे। मरीज़ के प्रसव से पूर्व माँ को 2 घंटे तक दर्द रहा था और बच्चे का जन्म 9 अक्टूबर को घर पर ही हुआ था। बालक के जन्म के समय कोई आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या दाई उपस्थित नहीं थी और प्रसव पड़ोस के लोगों ने ही करवाया था। जन्म के पश्चात मरीज़ को सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, मेघनगर अपने परिजनों द्वारा लाया गया। वहां से उसे जिला अस्पताल, झाबुआ रेफर किया गया।  जिला अस्पताल ने बालक को एमवायएच इंदौर रेफर किया गया।

हेटरोफोगल प्लास्टिक कंजाइंट ट्विंस में दो बच्चे एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। इस जुड़वा बच्चे में एक बच्चा पूर्ण तरह से विकसित और दूसरा बच्चा अधूरा बना हुआ था। पहले बच्चे में हार्ट की जटिल बनावट एवं नाभि में एक्सोफोलस नामक डिफेक्ट भी था, इसके अलावा सभी अंग ठीक से बने थे पर दूसरे बच्चे के सिर्फ दो हाथ, दो पाव, पेट की आंते, एक किडनी ही बनी थी। परन्तु ये दोनों बच्चे एक दूसरे से जटिल खून की नसों से जुड़े हुए थे। बच्चे के सम्पूर्ण जाँच के बाद व समस्त तैयारी के साथ आपरेशन किया गया।

आपरेशन शिशु सर्जरी विभाग के डॉ ब्रिजेश लाहोटी, डॉ अशोक लड्ढ़ा, डॉ शशि शंकर शर्मा, डॉ पूजा तिवारी, रेसिडेंट्स डॉ शुभम गोयल, डॉ तनुज अहीरवाल ने किया। इस जटिल आपरेशन में एनेस्थीसिया  डॉ के के अरोरा, डॉ पूजा वास्केल ने दिया। आपरेशन में अविकसित एवं अपूर्ण पैरासाइट को पूर्ण बच्चे से जटिल ऑपरेशन कर अलग किया गया। आपरेशन के बाद बच्चे को  तीसरे दिन माँ का दूध शरू किया गया। अभी बच्चा पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर छुट्टी की जा रही है।

हेटरोफोगल प्लास्टिक कंजाइंट ट्विंस एक दुर्लभ जन्मजात अवस्था है। यह स्थिति 10 से 20 लाख जन्मे बच्चों  में कोई एक जुड़वा बच्चा को होती है और इन जुड़वा बच्चों में 1 प्रतिशत  चांस इस तरह के बच्चे का होता है।

एमवायएच के अधीक्षक डॉ पीएस ठाकुर ने बताया कि इस बीमारी के 4 बच्चों को गत 24 वर्ष में एमवायएच में ऑपरेशन किए गए हैं, एक आपरेशन 1998 में लिम्का बुक में भी प्रकाशित हुआ है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.co