बिन मौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, फसलें चौपट
बिन मौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, फसलें चौपटसांकेतिक चित्र

MP Weather Update : बिन मौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, फसलें चौपट

प्रदेश में पिछले 24 घंटों में हुई तेज बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव ग्वालियर-चंबल अंचल में हुआ है। तेज बारिश की वजह से खेतों में पककर तैयार धान की फसल आड़ी हो गई है।

भोपाल, मध्यप्रदेश। प्रदेश से मानसून की विदाई हो चुकी है, लेकिन पोस्ट मानसून बारिश प्रदेश के किसानों के लिए मुसीबत लेकर आई है। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और राजगढ़ सहित मप्र में पोस्ट मानसून सक्रिय है। बंगाल की खाड़ी में बने इस सिस्टम के कारण जमकर बारिश हो रही है। प्रदेश में पिछले 24 घंटों में हुई तेज बारिश से फसलों को भारी नुकसान हुआ है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव ग्वालियर-चंबल अंचल में हुआ है। तेज बारिश की वजह से खेतों में पककर तैयार धान की फसल आड़ी हो गई है। अचानक हुई बारिश के कारण उन किसानों को भी भारी नुकसान हुआ है जिन्होंने फसल काटकर रख दी थी। खेतों में पानी भर जाने से मूंगफली की फसल को भी नुकसान हुआ है। जहां सरसों की बुआई हो चुकी थी, वहां बीज गल गए हैं। इसके अलावा उड़द, मूंग, ज्वार, बाजरा और तिल की पकी हुई फसल को भी नुकसान पहुंचा है। निमाड़ में कपास, मिर्ची और सोयाबीन को नुकसान पहुंचा है। किसानों के मुताबिक सोयाबीन में 65-70, कपास में 60 और मिर्च में 40 फीसदी नुकसान है। मौसम की मार किसानों के साथ ही आम लोगों पर पड़ेगी और इनकी कीमतों में उछाल आएगा।

धान, सरसों और मूंगफली पर बारिश की मार :

बारिश के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल पूरी तरह खेत में गिर गई है। ग्वालियर-चंबल में रात को मूसलाधार बारिश और तेज हवा से धान की फसल को भारी नुकसान हुआ है। शिवपुरी, श्योपुर, गुना और दतिया में धान की फसल बिछ गई है। इसके अलावा जो फसलें खेतों में कटी पड़ी हैं, वह भी भीग गईं। सिर्फ श्योपुर जिले में 50 हेक्टेयर में धान की फसल को नुकसान पहुंचा है। शिवपुरी के देशराज चौधरी का कहना है कि रातभर हुई बारिश ने मेरे खेत में 23 बीघा धान की फसल बर्बाद हो गई है। खेत में कटी रखी फ सल भी भीग गई है। अब दाने की क्वालिटी खराब हो जाएगी। अहमद खान ने बताया कि पहले बाढ़ और अब भारी बारिश के कारण फसल चौपट होने से भारी नुकसान हुआ है। हमारे क्षेत्र के किसान भई कर्जदार हो गए हैं।

खाद्य तेलों की कीमत बढ़ेगी :

बीते साल भी खाद्य तेलों के दाम अधिक होने से सरसों तेल सामान्य व गरीब लोगों की पहुंच से दूर हो गया था। प्रदेश के भिंड-मुरैना जिलों में सबसे ज्यादा सरसों उत्पादन होती है। बिन मौसम बारिश की वजह से खेत में बोई गई सरसों के बीज नष्ट हो गए हैं। इसका असर आने वाले समय में उपभोगताओं पर पड़ेगा। सिर्फ भिंड में डेढ़ लाख हेक्टेयर में सरसों बोई गई है। भिंड के किसान लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि किसी तरह लोन लेकर फसल लगाई थी, बारिश ने सब कुछ चौपट कर दिया। अब चिंता है कि कर्ज कैसे चुकाऊंगा। निमाड़ के खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर जिलों में कपास, मिर्च, सोयाबीन को नुकसान पहुंचा है। किसान अब उपज निकालने वाले ही थे कि बारिश ने फसल चौपट कर दी।

मौसम विभाग ने किया अलर्ट :

मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटे में 13 जिलों में भारी बारिश के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। इसमें उमरिया, मंडला, बालाघाट, सिवनी, डिंडोरी, श्योपुरकलां, शिवपुरी, बैतूल, बुरहानपुर, राजगढ़ और गुना जिले में शामिल हैं। इसके साथ ही पांच संभाग रीवा, सागर, भोपाल, ग्वालियर एवं चंबल में बिजली चमकने की संभावना है। 30 से 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी। भोपाल, ग्वालियर व चंबल संभाग के अधिकांश जिलों और इंदौर, उज्जैन, होशंगाबाद, जबलपुर एवं शहडोल संभाग में कुछ स्थानों पर गरज चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं।

मौसम विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि दक्षिण पश्चिम मानसून सामान्यत: सितंबर के अंतिम सप्ताह में चला जाता है। इससे बादलों के आने की संभावना बहुत कम हो जाती है, लेकिन पोस्ट मानसून सक्रिय होने से 24 घंटों के दौरान अभी और बारिश होने की संभावना है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार निम्न दाब का क्षेत्र मध्य प्रदेश में सक्रिय है। वहीं पूर्व-पश्चिम में ट्रफ लाइन अरब सागर से निम्न दाब का क्षेत्र बना हुआ है। ऊपरी वायुमंडल में पछुवा हवाओं के बीच एक ट्रफ बना है। इस कारण मप्र में अच्छी बारिश हो रही है।

तैयार फसलों को नुकसान :

साहा ने बताया कि मानसून जाने के बाद सामान्यत: इतनी बारिश नहीं होती है। इसका प्रभाव खेती किसानी करने वाले किसानों पर सबसे ज्यादा होगा। कुछ फसले खेतों में तैयार खड़ी है तो कुछ फसल कट कर खेतों में है। इसके अलावा तेज हवा के साथ हुई बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है, जिससे फसलों के बीज खराब होने की संभावना है। इससे उत्पादन पर असर पड़ेगा। जिन फसलों को कम पानी चाहिए होता है, उन पर भी असर होगा। हालांकि कुछ फसलों के लिए बारिश लाभकारी भी है।

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