उप-स्वास्थ्य केंद्र बीमार
उप-स्वास्थ्य केंद्र बीमारसांकेतिक चित्र

सिंहपुर: उप-स्वास्थ्य केंद्र बीमार, कैसे मिले लोगों को उपचार

शहडोल, मध्य प्रदेश: ग्रामीणों का कहना है कि कई दिनों तक इन उप स्वास्थ्य केन्द्रों का ताला नहीं खुलता, जिस वजह से हमें छोटी बीमारियों तक के लिए या तो जिला चिकित्सालय या झोलाछाप की शरण लेनी पड़ती है।

शहडोल, मध्य प्रदेश। जिले के उप स्वास्थ्य केंद्रों पर कहने को तो यहां 24 घंटे एएनएम और इलाज की सुविधा मिलना है, लेकिन ताला नहीं खुलने से ग्रामीणों को जिला मुख्यालय तक इलाज कराने के लिए जाना पड़ रहा है या फिर झोलाछाप डॉक्टरों की शरण लेनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि उपस्वास्थ्य केंद्र पर पदस्थ एएनएम कार्यकर्ता टीकाकरण कराने में समस्या आती है, लेकिन उसके बाद लगभग उप स्वास्थ्य केन्द्रों में ग्रामीणों को दवा तक उपलब्ध नहीं हो पाती है।

उप स्वास्थ्य केन्द्र में लटक रहे ताले :

जिले के सिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत लगभग 56 उपस्वास्थ्य केन्द्र हैं, जिनको एएनएम द्वारा देखा जाता है, इनकी मॉनिटरिंग के लिए सुपर वाईजर से लेकर अन्य अमला भी पदस्थ है, बावजूद इसके इन उप स्वास्थ्य केन्द्रों से ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, लगभग उपस्वास्थ्य केन्द्र अपनी दुर्दशा पर रो रहे हैं, जिला मुख्यालय से ही सटे कई उप स्वास्थ्य में कई दिनों से ताले लटके हैं, वहीं जिले में बैठे जिम्मेदार जांच सहित अन्य के नाम पर वाहन द्वारा डीजल का भुगतान लेते है, लेकिन समझ से परे हैं कि आखिर इनके द्वारा किस चीज की जांच की जाती है।

दिखावा साबित हो रही योजनाएं :

ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराना महज दिखावा बनकर रह गया है, क्योंकि कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर पिछले कई दिनों उप स्वास्थ्य में ताला लटक रहा है। मजे की बात तो यह है कि यहां पदस्थ जिम्मेदार से अगर कोई पूछ ले कि आप कहां हैं, तो इनके द्वारा मीटिंग के साथ भ्रमण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है, वहीं ग्रामीणों का कहना है कि कई दिनों तक इन उप स्वास्थ्य केन्द्रों का ताला नहीं खुलता, जिस वजह से हमें छोटी बीमारियों तक के लिए या तो जिला चिकित्सालय या झोलाछाप की शरण लेनी पड़ती है।

ग्रामीणों का है दुर्भाग्य :

सिंहपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अंतर्गत जोधपुर, दूधी, पंचगांव सहित मौका जैसे अन्य कई ऐसे सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं, जो अपनी दुर्दशा खुद बयां कर रहे हैं, जिला मुख्यालय से सूदूर बसे मौका के ग्रामीणों की अपनी अलग ही पीड़ा है। ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ मुहैया करवाने के उद्देश्य से सरकार ने गांव में उप-स्वास्थ्य केन्द्र खोला था, लेकिन यह ग्रामीणों का दुर्भाग्य ही रहा कि लाखों रुपये की लागत से बने उप-स्वास्थ्य केन्द्र में आये दिन ताला लटका रहता है। ग्रामीण उपचार के लिए झोलाझाप की शरण लेने को मजबूर हैं। लॉक डाउन-1 से गांव से कस्बे तक कोई बस या अन्य वाहन सेवा की सुविधा न होने पर आपातकालीन स्थिति में समय पर मिलने वाली चिकित्सा सुविधा की संभावना क्षीण हो चुकी है।

जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध :

यूं तो मुख्यालय से सटा उप-स्वास्थ्य केंद्र पंचगांव भी है, चिकित्सा सुविधा का लाभ न मिलने पर ग्रामीण परेशान है, इतना सबकुछ होते हुए भी स्वास्थ्य विभाग उप-स्वास्थ्य केंद्र की सुध नहीं ले रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव में स्थित उप-स्वास्थ्य केंद्र पर कई दिनों से ताला बंद पड़ा है, जिससे निर्माण से लेकर आज तक इसका उचित लाभ ग्रामीणों को मिल ही नहीं पाया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र आने वाले उप-स्वास्थ्य केंद्रों के बंद रहने की शिकायत कई ब्लाक सहित जिले में बैठे अधिकारियों से की जा चुकी है, लेकिन जिम्मेदारों ने इसे ओर से पूरी तरह चुप्पी साध रखी है, स्थानीय लोगों ने जनप्रिय कलेक्टर से मांग की है कि इन उप स्वास्थ्य केन्द्रों का औचक निरीक्षण कर वस्तुस्थिति से अवगत होकर संबंधितजनों पर कार्यवाही करते हुए व्यवस्था दुरूस्त कराई जाये।

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