Bogda Bridge Streets
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15 सालों का विकास 15 दिन में बहा, सड़कों पर पैदल तक चलना दुश्वार

भोपाल में बोगदा पुल पर सड़कों के हाल ऐसे हो गए हैं कि, यहां पैदल चलना मुश्किल हो चुका है, यह दर्दभरी आह शहरवासियों के मुंह से निकल रही है, क्यों कि शहर में अब ऐसी कोई सड़क नहीं, जिसपर चलना आसान हो।

हाइलाइट्स :

  • शहर में अब ऐसी कोई सड़क नहीं, जिसपर चलना आसान

  • 15 साल पहले इन्हीं सड़कों ने कर दिया था सत्‍ता परिवर्तन

  • पूर्व CM ने एमपी की सड़कें यूएस से बेहतर बताईं थी

  • 15 साल का विकास 15 दिन में बह गया

  • शहर में कुल 3200 किलो मीटर की सड़के

राज एक्‍सप्रेस। मध्‍यप्रदेश के भोपाल में बोगदा पुल सहित कई सड़कों (Bogda Bridge Streets) पर अब पैदल चलना भी मुश्किल हो चुका है। किसी काम से बाहर निकलना हो तो रास्ता बदलकर मंजिल तक पहुंचना पड़ रहा है, और जरूरी नहीं है कि, बदला रास्ता भी आसान हो, लेकिन मजबूरी में और इस महंगाई भरे दौर में हम जोखिम उठा रहे हैं। यह दर्दभरी आह शहरवासियों के मुंह से निकल रही है, क्‍योंकि शहर में अब ऐसा कोई रोड नहीं बचा, जिस पर चलना आसान हो। 15 साल पहले भी ऐसे ही हालात शहर और प्रदेश के थे, जिसकी वजह से सत्‍ता परिवर्तन हो गया, हालांकि इस बार खराब सड़कों की 2 वजह हैं, जिसका खामियाजा पूरा शहर भुगत रहा है।

4 महीने में ही उखड़ गई सड़कें :

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2018 के पहले वोटरों को लुभाने के लिए एक दिन पहले भूमि-पूजन और दूसरे दिन सड़क निर्माण हो गया। जनता पहले से ही खराब सड़कों की वजह से परेशान थी, इसलिए गुणवत्‍ता पर सवाल भी नहीं उठाए। निर्माण होते रहे और जनता देखती रही, नतीजा यह हुआ कि, चार महीने में ही सड़कों ने दम तोड़ दिया।

सड़कों को लेकर कोइ प्लानिंग नहीं :

बरसात का मौसम सर पर था, फिर भी शासन और प्रशासन ने सड़कों की गुण्वत्ता की तरफ ध्यान नहीं दिया। ऊपर से इस बार बरसात भी ऐसी कि, 15 साल का विकास 15 दिन में बह गया। अब हालात और भी खराब होते जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन स्तर पर सड़कों को लेकर कोइ प्लानिंग नहीं बनी, जिससे साफ जाहिर होता है कि, प्रशासन एक बार फिर 15 साल पुराना शहर बनाने की तैयारी में है।

शिवराज ने की थी MP की सड़कों की तारीफ :

पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अक्‍टूबर 2017 में अमेरिका की यात्रा पर थे, जब वह वॉशिंगटन पहुंचे, तो उन्होंने मध्यप्रदेश की सड़कों की तारीफ करते हुए कहा था कि, यहां से तो हमारे प्रदेश की सड़कें बेहतर हैं। इस बयान को लेकर काफी मजाक भी बना, लेकिन राजधानी की 25 लाख आबादी में 24 लाख आबादी इससे इत्तेफाक नहीं रखती कि, अमेरिका की सड़कें कैसी हैं? उन्हें तो तब तक ऐसी सड़कें पसंद थीं, जो बिना गड्ढों वाली हों, लेकिन अब ऐसे हालात बन चुके हैं, जो ग्रामीण इलाकों से भी बदतर हैं।

एक सलाह हमारी भी :

उल्लेखनीय है कि, शहर में कुल 3200 किलो मीटर की सड़कें हैं, जिसमें से 2500 किमी नगर निगम की सड़क, 392 पीडबल्यूडी और 350 सीपीए की सड़कें हैं। देखने में आता है कि, तीनों विभागों का आपस में ताल-मेल नहीं है। हाल ही में जब अशोका गार्डन 80 फीट की सड़क पर सीपीए परत चढ़ाई, तो अगले ही दिन नगर-निगम नालों का निर्माण करने पहुंच गया, जिससे सड़कें वापस खराब हो गईं। अगर दोनों विभागों का आपस में ताल-मेल होता, तो सड़क बनते ही खराब नहीं होती। यहींं स्थिति पूरे शहर की है। वहीं निगम के विभागों में भी ताल-मेल की कमी है, कभी पाइप लाइन की खुदाई तो कभी केबल लाइन के लिए खुदाई शुरू हो जाती है। आपस में तालमेल होगा तो सड़क बनने से पहले नालानाली निर्माण किया जाए।

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