ग्वालियर : पार्टी को वोट दें या प्रत्याशी को, असमंजस में वोटर

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : पूर्व एवं ग्वालियर विधानसभा में लगातार बिगड़ रहे समीकरण वोटर हो रहे असमंजस में कि वोट किस को दे पार्टी को या प्रत्याशी को ?
पार्टी को वोट दें या प्रत्याशी को, असमंजस में वोटर
पार्टी को वोट दें या प्रत्याशी को, असमंजस में वोटरSyed Dabeer Hussain - RE

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। ग्वालियर की पूर्व एवं ग्वालियर विधानसभा का उपचुनाव बेहद रोमांचक होने वाला है। इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जबकि भाजपा ने अभी सूची जारी नहीं की है। हालांकि भाजपा के दोनों प्रत्याशी लगभग तय है, लेकिन जब तक अधिकृत सूची जारी नहीं होगी तब तक किसी भी तरह का बदलाव संभव है। वहीं दूसरी तरफ वोटरों की चुप्पी ने प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लोग खुद भी असमंजस में हैं कि इस बार प्रत्याशी को देखकर वोट दें या फिर पार्टी को देखकर। कुल मिलाकर जीत किसकी होगी यह कहना बहुत मुश्किल है।

मप्र में 15 साल से भाजपा की सत्ताकायम थी। इन वर्षों में विकास कार्य भी हुए और सड़कों का जाल भी हर तरफ फैला। लेकिन औद्योगिक क्षेत्र में उम्मीद के अनुसार विकास नहीं हुआ। बेरोजगार युवाओं को अपना भविष्य अभी भी अंधकार में दिखता है। यही वजह रही कि आम जनता ने वादों से तंग आकर कांग्रेस को वोट दिया। लेकिन यह सरकार 15 महीने भी नहीं चली। आपसी कलह क चलते सरकार गिर गई और भाजपा फिर से सत्ता में आ गई। पिछले पांच माह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सौगातों की झड़ी लगा दी। अब इस पांच महीनों में किए गए कार्यों को लेकर वह जनता के सामने जा रहे हैं। प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव बेहद रोमांचक होने वाले हैं। जिन सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी वहां से जीतने वाले उम्मीदवार अब भाजपा की ओर से मैदान में आ रहे हैं। मतदाताओं को यह समझ नहीं आ रहा है कि वह पार्टी को देखकर वोट दे या प्रत्याशी को देखकर। यह स्थिति ग्वालियर जिले में भी बनी हुई है। ग्वालियर की पूर्व विधानसभा में भाजपा की ओर से पहले सतीश सिकरवार चुनाव लगे थे और कांग्रेस की तरफ से मुन्नालाल गोयल। इसमें मुन्नालाल गोयल ने जीत दर्ज की। वहीं ग्वालियर में कांग्रेस की तरफ से प्रद्युम् न सिंह तोमर चुनाव लगे थे और भाजपा से जयभान सिंह पवैया। इसमें प्रद्युम्न ने जीत दर्ज कराई थी। लेकिन इस बार जीतने वाले उम्मीदवार फिर सामने हैं, लेकिन पार्टी बदल गई है। जो मतदाता पार्टी से जुड़े हुए हैं वह असमंजस में है कि किसे वोट दें। अभी तक कोई भी खुलकर अपनी बात नहीं कह रहा जिससे प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

अशोक शर्मा के भाजपा में जाने से बढ़ी उम्मीदें :

अब तक ग्वालियर विधानसभा का चुनाव ब्राहम्ण एवं ठाकुरों के बीच बंटा हुआ था। हालांकि दोनों तरफ जो भीड़ देखी जा रही हैं उसमें सुनील शर्मा के साथ ठाकुर कार्यकर्ता अधिक दिख रहें हैं जबकि प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ पंडितों की भीड़ अधिक दिखाई जा रही थी। लेकिन बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक शर्मा के भाजपा में जाने के बाद से समीकरण बदल गए हैं। अब भाजपा के खाते में ब्राहम्ण वोटों का प्रतिशत बढ़ गया है। देखना यह है कि आने वाले समय में कितने कांग्रेसी भाजपा में शामिल होते हैं और कितने असंतुष्ट भाजपा नेता कांग्रेस का दामन थामते हैं।

मौहल्लों में शुरू हुई बैठकें, वोटरों का लुभाने का प्रयास :

भाजपा एवं कांग्रेस के प्रत्याशी अपने समर्थकों के साथ विभिन्न वार्डों में घूम रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा ने चुनावी अभियान शुरू कर दिया है वहीं प्रद्युम्न सिंह तोमर के समर्थक वार्ड-वार्ड जाकर प्रचार कर रहे हैं। एक ही क्षेत्र से दो कद्दावर नेताओं के चुनावी समय में उतरने से माहौल गर्मा गया है। कई मौहल्लों में समर्थक दो फाड़ हो गए हैं। जो लोग कुछ समय तक प्रद्युम्न का झण्डा उठा रहे थे वह अब सुनील शर्मा के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं। हालांकि आम जनता के हित में किए गए कार्यों के कारण प्रद्युम्न अधिक लोकप्रिय दिखाई दे रहे हैं। लेकिन जब तक वोटर खुलकर सामने नहीं आयंगे तब तक किसी भी तरह का आंकलन मुश्किल है।

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