लॉकडाउन से घटी पानी की खपत, भेल के टैंकर संचालकों की आमदनी हुई ठप

हर साल जहां गर्मी के मौसम में पानी की खपत बढ़ जाती थी, तो वहीं इस बार लॉकडाउन के लागू होने की वजह से पानी की खपत स्थिर है।
लॉकडाउन से घटी पानी की खपत
लॉकडाउन से घटी पानी की खपतNeha shrivastava

राज एक्सप्रेस। हर साल जहां गर्मी के मौसम में पानी की खपत बढ़ जाती थी, तो वहीं इस बार लॉकडाउन के लागू होने की वजह से पानी की खपत स्थिर है। आमतौर पर गर्मियों के मौसम में पानी की सप्लाई करके मोटी कमाई करने वाले टैंकर संचालकों की आमदनी इस साल पूरी तरह से ठप हो गई है। यह खबर आम जनता के लिए भले ही सुकून देनी वाली हो, लेकिन शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में पानी सप्लाई करने वाले प्रायवेट टैंकर संचालकों के सामने मुसीबत खड़ी हो गई है, लॉकडाउन के बाद से ही निर्माण गतिविधियां बंद हैं और बाहरी लोगों के अपने-अपने घर लौटने से अतिरिक्त पानी की डिमांड एकदम कम हो गई है। आमतौर पर गर्मियों के मौसम में पानी की सप्लाई करके मोटी कमाई करने वाले टैंकर संचालकों की आमदनी इस साल पूरी तरह से ठप हो गई है।

लॉकडाउन से घटी पानी की खपत

राजधानी में प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों के अलावा बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों के स्टूडेंट्स और तमाम लोग रोजी-रोटी के लिए आते हैं। अनुमान के मुताबिक करीब एक लाख छात्र-छात्राएं शहर में बाहर से पढ़ने आते हैं, जो खास तौर से भोपाल के अलग-अलग क्षेत्रों में किराए पर रहते हैं। नगर निगम द्वारा सप्लाई होने वाला पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलने से प्राइवेट टैंकर से पानी की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद छात्र-छात्राओं के घर लौटने और निर्माण गतिविधियां स्थगित होने से प्राइवेट टैंकर से पानी सप्लाई लगभग ठप हो गई है।होशंगाबाद रोड पर टैंकर से पानी की सप्लाई करने वाले मुकेश साहू बताते हैं कि, हर साल गर्मियों में जहां दिन भर में 25 से 30 टैंकर पानी डाला जाता था, लेकिन अब मुश्किल से छह से सात टैंकर की डिमांड आ रही है। निर्माण कार्य बंद है, किराए से रहने वाले छात्र-छात्राएं भी जा चुके हैं, इसलिए अब पानी की खपत भी कम हो गई है।

पानी सप्लायर रूपेश कुमार कहते हैं कि, गर्मियों के 3 माह में ही हर साल पानी सप्लाई का धंधा अच्छा चलता था, लेकिन इस बार यह पूरी तरह से चौपट हो गया है। पहले सुबह से लेकर रात तक पानी की सप्लाई की जाती थी। इस बार कोरोना वायरस के चलते दिन में गिने-चुने ही ऑर्डर मिल रहे हैं। शहर में करीब 5 हजार प्राइवेट टैंकर पानी सप्लाई करते हैं, जिनका काम रुका हुआ है। वहीं भेल क्षेत्र के संतोष सोनी वाटर सप्लायर्स का काम 12 महीने ही पानी सप्लाई व टैंकर भेजने का काम करते हैं, संतोष सोनी ने बताया कि लाकडाउन के कारण पानी की डिमांड कम हो रही है, जहां दिन भर पानी के टैँकर दौड़ते थे, अब बस नाम के लिए ही काम मिल रहा है। संतोष सोनी इन दिनों गोविंदपुरा में गरीबों के लिए खाद्य सामग्री प्रदान कर रहे हैं।

पिछले साल अच्छी बारिश भी एक वजह

राजधानी भोपाल में बीते साल बारिश के सारे रिकॉर्ड टूटे थे। पिछले साल 169 सेंटीमीटर बारिश हुई थी। नतीजा यह हुआ कि, शहर के बड़े तालाब, कोलार डैम, कलियासोत डेम में पर्याप्त पानी उपलब्ध है। नर्मदा नदी में भी भरपूर पानी बना हुआ है। इस पर नगर निगम उपायुक्त राजेश राठौर ने बताया कि, शहर में पानी की पर्याप्त सप्लाई की जा रही है। पानी की कमी की हर साल जैसी शिकायत नहीं आ रही है, जहां भी शिकायतें मिलती हैं, वहां टैंकरों से पानी सप्लाई किया जाता है।

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