अनदेखी से करोड़ों में पहुंचा बकाया जल कर, डेढ़ साल से जारी नगर निगम की ढिलाई

लगभग डेढ़ साल पत्राचार में बीत गया मगर शहरी क्षेत्र में वितरित हो रहे पेयजल के लिए नदी से लिए जाने वाले जल की सही गणना की व्यवस्था में नाकामी ही सामने आई है।
अनदेखी से करोड़ों में पहुंचा बकाया जल कर, डेढ़ साल से जारी नगर निगम की ढिलाई
अनदेखी से करोड़ों में पहुंचा बकाया जल कर, डेढ़ साल से जारी नगर निगम की ढिलाईप्रेम एन गुप्ता
Submitted By:
Prem N Gupta

सिंगरौली, मध्य प्रदेश। लगभग डेढ़ साल पत्राचार में बीत गया मगर शहरी क्षेत्र में वितरित हो रहे पेयजल के लिए नदी से लिए जाने वाले जल की सही गणना की व्यवस्था में नाकामी ही सामने आई है। नगर निगम को इसके लिए पानी लिए जाने वाले दो स्त्रोत पर मीटर लगवाना है और ऐसा करना अनुबंध का हिस्सा है। मगर अनदेखी और जिम्मेवारों की नींद दोनों नहीं टूट रहे।

इस बीच नदी से लिए जा रहे पानी का अब तक एक पैसा नहीं चुकाया गया। इसलिए नगर निगम पर जल संसाधन विभाग की करोड़ों रुपए जल कर की देनदारी खड़ी हो गई तथा यह रकम हर माह बढ़ती जा रही है। इस प्रकार मीटर लगाना और जल कर का मामला दोनों विभागों के बीच उलझ कर रह गया है।

शहरी नागरिकों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति के लिए नगर निगम की ओर से फरवरी 2020 से बैढ़न व मोरवा में नदी से पानी लिया जा रहा है। अमृत पेयजल योजना के तहत नगर निगम ने दोनों पेयजल योजनाओं के लिए नदी से पानी लेने के लिए जल संसाधन विभाग से करार किया था। इसकी पालना में ही जल संसाधन विभाग ने मांग के अनुसार शहरी क्षेत्र की बैढ़न योजना के लिए रिहंद डैम से तथा मोरवा समूह की योजना के लिए वहां बिजुल नदी से नगर निगम को पानी मंजूर किया।

नगर निगम मोरवा समूह के लिए 2.84 एमसीएम व बैढ़न समूह की योजना के लिए रिहंद डैम से 22.70 एमजीएम पानी प्रतिवर्ष लेता है। इसी पानी की नागरिकों को पेयजल के रूप में आपूर्ति की जाती है।

मैनुअल बिल की मजबूरी

अधिकृत सूत्रों के अनुसार दोनों पेयजल योजनाओं के लिए नगर निगम की ओर से डेढ़ साल से दो जगह नदियों से पानी लिया जा रहा है। नियमानुसार दोनों जगह लिए जाने वाले पानी की सटीक गणना के लिए निगम को मीटर लगाना था पर इसकी पालना आज तक नहीं की गई।

जल संसाधन विभाग अधिकारियों की पीड़ा है कि नगर निगम की ओर से दोनों जगह मीटर नहीं लगाए जाने के कारण यह व्यवस्था कम्प्यूटर से नहीं जुड़ सकी। इस कारण मुख्यालय भोपाल से पानी का कम्प्यूटर आधारित बिल जारी नहीं हो पा रहा और प्रदेश मुख्यालय से इसकी नियमित मॉनिटरिंग भी नहीं हो सकती। पाया गया कि इस अहम मामले में अनुबंध शर्तों की पालना को लेकर नगर निगम के स्तर लापरवाही मुद्दे को उलझाने का काम कर रही है। जल संसाधन विभाग ने मामला जिला प्रशासन तक पहुंचाने की बात कही है। देखना दिलचस्प होगा कि रिहंद डैम व बिजुल नदी से पानी लिए जाने वाली जगहों पर मीटर कब लगता है?

करोड़ों रुपए का सवाल :

सामने आया कि पेयजल के लिए बैढ़न में रिहंद डैम से तथा मोरवा के लिए बिजुल नदी से नियमित पानी तो लिया जा रहा है पर इसके बदले अनुबंध के अनुसार जल कर की रकम अदा करने की जिम्मेदारी निगम के अफसर भूल गए। हालत यह है कि निगम की ओर से आज तक करीब डेढ वर्ष बीतने के बाद जल कर का एक पैसा नहीं चुकाया गया। इसका नतीजा है कि जल संसाधन विभाग की कई करोड़ रुपए की वसूली और नगर निगम की देनदारी खड़ी हो गई। मीटर नहीं लगने के कारण पानी का मासिक बिल भी विभाग को स्थानीय स्तर से जारी करना पड़ रहा है। हालांकि यह प्रक्रिया विभाग के भोपाल मुख्यालय से संचालित होनी चाहिए।

लंबा पत्राचार पर नतीजा सिफर

अनदेखी की इस हालत के बीच स्थानीय जल संसाधन विभाग की ओर से पानी लिए जाने वाली दोनों जगह मीटर स्थापित करने और जल कर की राशि का भुगतान करने के लिए नगर निगम को बहुत बार पत्र लिखा गया। बताया गया कि हाल में 12 जून शनिवार को इसी सम्बंध में विभाग की ओर से एक बार फिर नगर निगम अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। इसमें भी दोनों जगह मीटर लगाने सहित मई माह तक के जल कर का भुगतान करने का आग्रह किया गया है। जल संसाधन विभाग के स्थानीय अधिकारी सूत्रों ने बताया कि उनकी ओर से इस पूरे मामले को लेकर जिला कलेक्टर को भी अवगत कराया गया है। अधिकारियों ने कलेक्टर से मामले का संज्ञान लेने और नगर निगम से अनुबंध शर्तों का पालन कराने का आग्रह भी किया है।

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