बारिश से बदहाल प्रदेश, प्रशासन कहां कितना प्रभावी?

मानसून में अभी तक प्रदेश के 32 जिलों में औसत से अधिक वर्षा दर्ज की गई। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश का अनुमान लगाया है। ऐसे में जिला प्रशासन लोगों की मदद के लिए क्या कदम उठा रहा है?
प्रदेश के 32 जिलों में औसत से अधिक बारिश हो चुकी है।
प्रदेश के 32 जिलों में औसत से अधिक बारिश हो चुकी है।Gaurav Jain

राज एक्सप्रेस। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में लगातार बारिश जारी है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की और आने वाले हफ्ते भर भारी बारिश होने का अनुमान लगाया है। राज्य में इस वर्ष मानसून में एक जून से 9 सितम्बर तक 32 जिलों में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई है।

राज्य प्रशासन ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि इनके अलावा 17 जिलों में सामान्य एवं बाकी के जिलों में औसत से कम वर्षा दर्ज हुई है। सर्वाधिक वर्षा जबलपुर जिले में और सबसे कम सीधी जिले में दर्ज की गई।

सामान्य से अधिक वर्षा वाले जिले जबलपुर, सिवनी, मण्डला, नरसिंहपुर, सागर, सिंगरौली, इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, खण्डवा, बुरहानपुर, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम, देवास, शाजापुर, आगर-मालवा, श्योपुरकलां, गुना, अशोकनगर, भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, राजगढ़, होशंगाबाद, हरदा और बैतूल हैं।

वहीं सामान्य वर्षा वाले जिलों में कटनी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, डिण्डौरी, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, रीवा, सतना, अनूपपुर, उमरिया, मुरैना, भिण्ड, ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया शामिल हैं। सामान्य से कम वर्षा वाले जिले शहडोल और सीधी हैं।

भारी बारिश के चलते कई ट्रैनों के रूट को बदला गया है। नागदा से जाने वाली हैदराबाद-जयपुर एक्सप्रेस को कोटा के रास्ते भेजा जा रहा है। भोपाल से रतलाम, अजमेर होकर जयपुर जाने वाली ये ट्रैन अब नागदा, कोटा के रास्ते जयपुर पहुंचेगी।

कई जगहों पर स्टेशन और रेलवे ट्रैक पर पानी भर जाने से ट्रैनों को रोक दिया गया है।

भारी बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त।
भारी बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त। Bhagat Patel

अगस्त महीने से जारी बारिश ने लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। गंज बासोदा जिले के गांव सिरावदा में एक 35 वर्षीय युवक की नदी उफान पर आने से सही समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण मौत हो गई। वहीं बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ने से दमोह जिले के बिजवार गांव में एक मगरमच्छ खेत तक आ गया। पुलिस और वन विभाग की मदद से उसे बाहर किया गया।

राजधानी भोपाल के विभिन्न बांधों से पानी छोड़ने के कारण कई जगह जल भराव की स्थिति निर्मित हो रही है। दामखेडा में लोगों के घर पहुंचकर जिला प्रशासन की टीम ने 11 सितम्बर को भोजन और स्वच्छ पीने का पानी उपलब्ध कराया।

जिला कलेक्टर श्री तरुण पिथोड़े ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि निचली बस्तियों और वर्षा जल भराव वाली जगहों पर लगातार दौरे करते रहें। वहां लोगों से सतत संपर्क में रहें। यह भी ध्यान रखें कि कोई बीमारी तो नही हो रही है। पीने का स्वच्छ पानी अनिवार्य रूप से मिलता रहे इसका विशेष ध्यान रखा जाए और यह भी देखें कि जल भराव कहीं ना होने पाए। लगातार दवाई का छिड़काव भी होता रहे। जिला प्रशासन के अधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्रों में निरीक्षण कर रहे है। राज्य सरकार के वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री, ब्रिजेन्द्र सिंह राठौर का कहना है,

“सरकार इन हालातों लिए पहले से तैयार थी। जहां-जहां बारिश हो रही है वहां के जिला प्रशासन को सचेत किया गया है। भोपाल में जहां लोगों के घर डूब गए हैं वहां अलग से मकान बनाने की बात चल रही है। अभी हाल के लिए उन्हें दूसरी सुरक्षित जगहों पर भेजा जा रहा है। सरकार अपने स्तर पर जो भी सबसे बेहतर कर सकती है वो कर रही है।"

ब्रिजेन्द्र सिंह राठौर, वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री (मध्यप्रदेश शासन)

“डैम के आस-पास के निचले इलाकों के लिए सरकार व्यवस्थाएं कर रही है। मौसम विभाग लगातार चेतावनियां जारी कर रहा है। अगले एक हफ्ते तक तेज़ बारिश के आसार हैं। सरकार का धर्म है कि वो लोगों के लिए अच्छे-से-अच्छी व्यवस्थाएं करे, वो सरकार कर रही है लेकिन अब ईश्वर की मर्ज़ी के आगे तो किसी की चल नहीं पाती।”

ब्रिजेन्द्र सिंह राठौर, वाणिज्यिक कर विभाग मंत्री (मध्यप्रदेश शासन)

बारिश में भी नहीं खत्म हो रही पार्टियों की राजनीति-

जुलाई के महीने में जब बारिश नहीं हो रही थी तो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान दिया था कि कांग्रेस सरकार के कारण बारिश नहीं हो रही है। वहीं अब जब प्रदेश के कई जिलों में अत्याधिक बारिश से लोग परेशान हैं तो राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान आया है कि भगवान कांग्रेस सरकार से खुश हैं इसलिए हर जगह बारिश हो रही है।

अधिक वर्षा वाले जिलों की हालत-

1. रायसेन-

रायसेन जिले में 1 जून से 11 सितम्बर 2019 तक 1480.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई। जिला प्रशासन के अनुसार ये पिछले साल इसी अवधि में हुई औसत वर्षा से 448.60 मिलीमीटर अधिक है।

रायसेन जिले के जिला जनसम्पर्क कार्यालय में कार्यरत सहायक संचालक देवेन्द्र ओगारे ने हमसे फोन पर बात करते हुए बताया कि-

“निचले स्थानों में जहां जल भराव की समस्या है वहां से लोगों को ऊंचे स्थानों पर भेज दिया गया है। हम लोगों को केवल बरेली में एक जगह दिक्कत आई थी कि दो अस्थाई शिविर बनाने पड़े थे। यहां पर 150 लोगों को शिफ्ट कर दिया था। यहां लोगों के लिए भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं भी मौजूद थीं। कुछ 5-6 लोग छूट गए थे, उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया था लेकिन बारिश आने पर उन्हें बचा लिया गया है।”

देवेन्द्र ओगारे

"ग्रामीण इलाकों में हमने कंट्रोल रूम बनाए हुए हैं। सभी सरकारी अधिकारियों को अलर्ट किया गया है, जहां कहीं भी आपको लगता है कि बारिश ज़्यादा हो रही है, गांव वाले उन्हें सूचना देते हैं और राहत बचाव दल उनतक तुरन्त पहुंच जाता है।"

“हमारे यहां किसी भी तरह की कोई दुर्घटना की खबर अभी तक नहीं है बल्कि एक अच्छी खबर सामने आई है कि एक गर्भवती महिला गांव में रह गई थीं। तीन कि.मी. दूर से होमगार्ड और चिकित्सा सहायता टीम वहां गई और उन्हें लेकर आई। इसके बाद महिला ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है।”

देवेन्द्र ओगारे

गांव मेहरा खुर्द निवासी भवानी प्रसाद की पत्नी ने बरेली अस्पताल में एक बेटी और एक बेटे को जन्म दिया।

2. विदिशा-

विदिशा जिले में अब तक 1348.7 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई है। जबकि पिछले वर्ष इस अवधि में 831.7 मिमी औसत वर्षा दर्ज हुई थी। जिले की सामान्य वर्षा 1075.5 मिमी है।

जिले में लगातार जारी वर्षा एवं जलभराव से उत्पन्न बाढ़ प्रभावितों के लिए निःशुल्क खाद्यान्न उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। जिला आपूर्ति अधिकारी श्रीमती रश्मि साहू ने बताया कि मंगलवार को विदिशा शहर के साढ़े तीन सौ परिवारों के द्वारा खाद्यान्न प्राप्त किया गया है। प्रत्येक परिवारों को क्रमशः बीस किलो गेहूं एवं पांच किलो चावल निःशुल्क उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से वितरित करने की कार्यवाही की जा रही है।

अपर कलेक्टर श्री वृदांवन सिंह ने बताया कि विदिशा शहर के अंतर्गत निगरानी रखने के लिए कुल चार दल गठित किए गए है। प्रभारी अधिकारी के साथ-साथ सहायक अधिकारियों को शामिल कर दलों का गठन किया गया है और उन्हें क्षेत्र आवंटित किए गए हैं ताकि सौंपे गए क्षेत्रों की सतत निगरानी कर बाढ़ पीड़ितों के लिए तुरन्त सहायता मुहैया कराई जा सके।

भारी बारिश के चलते लोगों को उठानी पड़ रही हैं कई परेशानियां।
भारी बारिश के चलते लोगों को उठानी पड़ रही हैं कई परेशानियां।Gaurav Jain

3. रतलाम-

जारी मानसून सत्र में जिले में पिछले वर्ष की तुलना में 19 इंच से अधिक वर्षा दर्ज की जा चुकी है। 10 सितम्बर की सुबह 8:00 बजे तक जिले में लगभग 1230.1 मिलीमीटर (49 इंच) वर्षा औसत रूप से दर्ज की गई है। जबकि पिछले वर्ष इस अवधि तक 756.7 मिलीमीटर (लगभग 30 इंच) वर्षा दर्ज की गई थी।

जिले के सहायक सूचना अधिकारी शकील अहमद ने राज एक्सप्रेस को जानकारी दी कि रतलाम में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा कुंए, बावड़ी, तालाबों में जल के शुद्धिकरण के लिए ब्लीचिंग पाउडर का प्रयोग किया जा रहा है। विभिन्न स्त्रोतों से लिए जाने वाले पेयजल को शुद्ध करने के पश्चात ही सप्लाई किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा मच्छरों से बचाव के लिए कीटनाशक स्प्रे तथा फॉगिंग की कार्रवाई तेज कर दी गई है।

हाई रिस्क एरिया में विशेष रूप से कार्रवाई की जा रही है, मच्छरदानियों का भी वितरण किया जा रहा है। मच्छर भक्षी मछलियां जल स्रोतों में छोड़ी जा रही है। जलजनित रोगों से बचाव के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर पर सावधानी बरती जा रही है। ओआरएस पाउडर, जिंक टेबलेट, पेरासिटामोल, फुराजोलीडोन का स्टॉक रखकर आवश्यकता पड़ने पर वितरण किया जा रहा है। स्वास्थ विभाग द्वारा आवश्यकता पड़ने पर ग्रामीण क्षेत्रों में खासतौर पर हेल्थ शिविरों का आयोजन तत्काल करने की योजना भी तैयार की गई है।

शकील अहमद, सहायक सूचना अधिकारी

घरों में क्लोरीन टेबलेट का वितरण किया जा रहा है जिससे घर वाले शुद्ध पानी पी सकें। छात्रावासों में मलेरिया टेस्ट किट उपलब्ध कराए गए हैं। गांव में ग्राम आरोग्य केंद्र है जहां आशा कार्यकर्ता द्वारा रक्त स्लाइड भी बनाई जा सकती है। वायरल तथा दस्त जैसे रोगों के विरुद्ध आवश्यक दवाओं का स्टॉक भी ग्रामीण क्षेत्रों में रखा गया है।

जिले के नगरीय निकायों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की पाईप लाइन की लिकेजिंग चेक करने के विशेष इंतजाम किए गए हैं। पेयजल स्रोतों से सैंपल लिए जा रहे हैं ताकि पानी की गुणवत्ता सतत बनाई जा सके। प्रतिदिन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पर रॉ-वॉटर की टेस्टिंग की जा रही है। जलभराव वाले स्थानों पर ब्लीचिंग पाउडर, कीटनाशक दवाइयां डलवाई जा रही हैं।

4. खण्डवा-

इस वर्ष 1 जून से 10 सितंबर तक जिले में कुल 4815.2 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई है। इस वर्ष अब तक औसत वर्षा 963.04 मि.मी. दर्ज की जा चुकी है। पिछले साल 10 सितम्बर तक 653.56 मि.मी. औसतन वर्षा दर्ज की गई थी।

नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध के 23 में से 18 गेट खोल दिए गए हैं। भारी बारिश के कारण बांध से पानी छोड़े जाने से बाढ़ की स्थिति और विकराल हुई है। बरगी बांध एवं तवा बांध के बाद इंदिरा सागर बांध के गेट खोले जाने के बाद लगातार ओंकारेश्वर बांध का वाटर लेवल भी बढ़ रहा है। इसके चलते ओंकारेश्वर बांध के 18 गेटों को सुबह तक 6, 5 मीटर तक खोला गया है, जिससे नर्मदा नदी अपने रौद्र रूप में नजर आ रही है। इसके चलते निचले इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है।

अगस्त माह से नर्मदा के बढ़े हुए जलस्तर के कारण नाविकों व फुलपत्ती के दुकानदारों पर खासा असर पड़ा है। नर्मदा घाटों पर दुकान लगाकर घर चला रही महिलाओं को अपने बच्चों की स्कूल फीस से लेकर रसोई तक की चिंता सता रही है। वही नाव संचालन करने वाले लोग भी 1 माह से बेरोज़गारी की मार झेल रहे हैं। आर्थिक तंगी से परेशान होकर कुछ लोग अपनी जान पर खेलकर भयंकर बाढ़ में मछलियां पकड़ने का कार्य कर रहे हैं।

जिले में लोगों को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन सहायक जनसम्पर्क अधिकारी का कुछ और ही कहना है।

“जिले में बारिश के कारण किसी तरह का बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। ओंकारेश्वर बांध के गेट खोलने से पहले ही निचली बस्तियों से लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेज दिया गया है। कलेक्टर ने दौरा कर के लोगों तक भोजन और साफ पीने के पानी की व्यवस्था का प्रबंध कर दिया था। यह हर साल की रूटीन प्रक्रिया है, इस साल भी लोगों को स्कूलों और सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित कर दिया गया है।”

ब्रिजेन्द्र शर्मा, सहायक जनसम्पर्क अधिकारी

जबलपुर जिले में मौसम की सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई।
जबलपुर जिले में मौसम की सबसे अधिक बारिश दर्ज की गई। नेहा श्रीवास्तव - RE

5. जबलपुर-

जिले में एक जून से 9 सितम्बर की सुबह तक 1089.4 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई। पिछले वर्ष इस अवधि तक जिले में 1045.9 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई थी।

जबलपुर जिले के जनसम्पर्क कार्यालय में कार्यरत संयुक्त संचालक अतुल खरे राज एक्सप्रेस से फोन पर बात करते हुए कहते हैं कि जिले में बहुत अधिक जल भराव की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है पर जहां कहीं भी भारी बारिश के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है जिला प्रशासन वहां ज़रूरी राहत सामाग्री लगातार पहुंचा रहा है। पानी निकासी की व्यवस्थाएं भी बारिश का मौसम शुरू होने के पहले से ही की जा रही हैं। जहां कहीं पानी भराव की स्थिति बनी भी वहां से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम प्रशासन लगातार कर रहा है।

6. टीकमगढ़-

टीकमगढ़ एवं निवाड़ी जिले में एक जून से 10 सितम्बर 2019 तक 699.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। नर्मदा में लगातार बड़ रहे जल स्तर के बाद नर्मदा के नगर में प्रवेश द्वार पर आगे बढ़ना शुरू किया है जहां एक ओर सभी घाट जल मग्न हैं वहीं नर्मदा ने खतरे के निशान को छुआ है। पेशवा मार्ग पर जगनाथ मंदिर के आगे नर्मदा आई है वहीं सामने घाट पर गणेश मंदिर की घाटी को छुआ।

मंगलवार को नर्मदा का जल स्तर खतरे के निशान 150 मीटर करीब ऊपर पहुंच चुका है। साथ ही प्राप्त जानकारी के अनुसार ओंकारेश्वर इंदिरा सागर से मंगलवार शाम 6.30 पर 12 गेट 7 मीटर खोले गए जिससे 19000 क्यूमेकस जल छोड़ा गया है। लगातार बड़ रहे पानी से लग रहा है कि 1994 की तरह नर्मदा महेश्वर शहर में प्रवेश कर सकती है ज्ञात हो कि सहायक नदी माहेश्वरी में भी मंगलवार शाम को अधिक मात्रा में जल स्तर देखा गया है।

7. शाजापुर-

जिले में इस वर्षाकाल में अब तक 1250.1 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज हुई है। जबकि जिले की औसत वर्षा 990.1 मिलीमीटर है। इस प्रकार जिले में औसत वर्षा की तुलना में अब तक 260 मिली मीटर वर्षा अधिक हुई है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इस अवधि तक 676.9 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई थी।

8. उज्जैन-

उज्जैन जिले में मंगलवार को औसत 26.3 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। जिले में अभी तक औसत 1190.5 मिमी वर्षा हो चुकी है, जबकि गत वर्ष इसी अवधि में जिले में औसत 650 मिमी वर्षा हुई थी।

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