Gwalior : भारी बारिश के बाद भी ग्वालियर अंचल के बांध खाली क्यों?

पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि ग्वालियर स्टेट टाइम के समय ग्वालियर अंचल में जल प्रबंधन के बने बेहतर सिस्टम का उपयोग नहीं करना अफसरों की गंभीर लापरवाही है।
भारी बारिश के बाद भी ग्वालियर अंचल के बांध खाली क्यों?
भारी बारिश के बाद भी ग्वालियर अंचल के बांध खाली क्यों?Raj Express

हाइलाइट्स :

  • जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई होना चाहिए: अनूप मिश्रा

  • ग्वालियर स्टेट के समय का सिस्टम यूज न करने से बने यह हालात

ग्वालियर, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता अनूप मिश्रा ने कहा है कि अधिकारियों द्वारा मौसम विभाग की चेतावनी के बावजूद सही जल प्रबंधन नहीं करने से एक ओर जहां तीन दर्जन से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में आ गए वहीं ग्वालियर जिले के बांधों में इस पानी का संग्रहण नहीं हो सका। इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर उन पर कार्यवाही होना चाहिए।

पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि ग्वालियर स्टेट टाइम के समय ग्वालियर अंचल में जल प्रबंधन के बनें बेहतर सिस्टम का उपयोग नहीं करना अफसरों की गंभीर लापरवाही है, इसके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्वालियर चंबल-संभाग में मौसम विभाग ने पहले ही भारी बारिश की चेतावनी दी थी। वर्षा शुरू होने से पहले किसान भी धान के लिए पानी छोड़े जाने की मांग करते रहे, लेकिन अधिकारी अपनी जिद पर अड़े रहे और उन्हें पानी नहीं मिला।

मिश्रा ने कहा कि जब श्योपुर में और अशोकनगर, गुना में अच्छी बारिश हो रही थी तब भी अधिकारियों को यह समझना चाहिए था कि यह पानी कहां जाएगा। यदि पहले ही मडीखेडा डेम से किसानों को पानी छोड़ा जाता और नहर को चालू कर दिया जाता तो मडीखेडा से जुडे बांधों में पहले ही पानी पहुंच गया होता। इसी तरह अपर ककेटो के फुल होने से पहले इसका पानी ककेटो को और ककेटो से पेहसारी तथा ग्वालियर के रायपुर, मामा का बांध हिम्मतगढ़ तालाब, हनुमान बांध तथा वीरपुर बांध को भरा जा सकता था, यह सभी बांध एक दूसरे से लिंक हैं। यदि इन बांधों में पहले ही पानी छोड़ दिया जाता तो ग्वालियर का भूमिगत जल स्तर भी बढ़ जाता।

उन्होंने कहा कि तिघरा में भी समय से पानी नहीं पहुंचाए जाने से तिघरा में 725 फुट पानी ही आ सका है। यदि पहले ही ककेटो व पेहसारी बांधों से तिघरा को पानी दिया जाता तो तिघरा बांध भर गया होता, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से सारा पानी व्यर्थ तो गया ही साथ ही इससे बाढ़ भी आ गई। ग्वालियर के आस-पास के बांध भी खाली रह गए। इस लापरवाही के लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर उन पर कार्रवाई करना चाहिए। उन्होंने जल संसाधन मंत्री एवं ग्वालियर के प्रभारी मंत्री को अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्यवाही करने के लिए पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा कि बाढ़ के हालात के बाद भी अगर अंचल के बांध नहीं भर पाते हैं तो इससे ग्वालियर शहर के लिए फिर पानी का संकट पैदा हो सकता है। इस अवसर पर भाजपा नेता दीपक वाजपेयी भी उपस्थित थे।

भाजपा के सत्ता में आने पर बना था अपर ककेटो :

पूर्व मंत्री मिश्रा ने कहा कि ग्वालियर अंचल में सभी बांध स्टेट समय के हैं, ये बांध स्टेट समय की बेहतर जल प्रबंधन का एक नमूना है। इन बांधों को एक दूसरे से इसलिए जोड़ गया था ताकि जब जहां जरूरत हो पानी को उधर डायवर्ट किया जा सके। पानी की और आवश्यकता महसूस होने पर भाजपा सरकार के समय ककेटो के ऊपर एक और बांध अपर ककेटो का निर्माण किया गया। यदि श्योपुर में वर्षा होती है तो यह बांध भर जाता है और इसका लाभ ग्वालियर को मिलता है। अधिकारियों की गलतियों का परिणाम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।उन्होंने कहा कि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है इसे नहीं रोका जा सकता है लेकिन जल प्रबंधन को तो ठीक किया जा सकता है।

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