प्रदेश में ग्रीन इंडिया मिशन में हुए कार्यो को विश्व बैंक ने सराहा : शाह

मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने बताया है कि प्रदेश में वनों के सुधार और उसके पड़ने वाले प्रभाव के लिए ग्रीन इण्डिया मिशन योजना को विश्व बैंक द्वारा सराहा गया है।
प्रदेश में ग्रीन इंडिया मिशन में हुए कार्यो को विश्व बैंक ने सराहा : शाह
प्रदेश में ग्रीन इंडिया मिशन में हुए कार्यो को विश्व बैंक ने सराहा : शाहSocial Media

भोपाल, मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने बताया है कि प्रदेश में वनों के सुधार से कार्बन संचयन और जलागम क्षेत्रों का संरक्षण कर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने, प्रशिक्षण-कौशल विकास के जरिए स्थानीय समुदाय की आजीविका को सुदृढ़ करने में ग्रीन इण्डिया मिशन योजना को विश्व बैंक द्वारा सराहा गया है।

आधिकारिक जानकारी में श्री शाह ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में नेशनल मिशन फॉर ग्रीन इंडिया में पिछले वित्तीय वर्ष में 9 हजार 217 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधारोपण का उपचारित कराया गया। विश्व बैंक द्वारा शत-प्रतिशत अनुदान प्राप्त योजना इकोसिस्टम सर्विसेज इम्प्रूवमेंट परियोजना में 5367 हितग्राहियों की पहचान की जाकर 3203 हितग्राहियों को प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन द्वारा रोजगार के साधन के विकास आदि कार्य कराए गए हैं।

वन मंत्री ने बताया कि विश्व बैंक द्वारा स्टार मेप आधारित प्लानिंग मॉनीटरिंग सिस्टम में अग्रणी मान्य किया गया है और महुआ संग्रहण के क्षेत्र में महुआ नेट के उपयोग से होशंगाबाद और बैतूल में उत्तर बैतूल वन मण्डल के लैण्डस्केप के आदिवासियों द्वारा अपनी आय में बढ़ोत्तरी करने के साथ ही 18 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र को अग्नि के प्रभाव से मुक्त रखने में कामयाबी हासिल की गई है।

प्रदेश के सतना, बालाघाट (दक्षिण बालाघाट), बैतूल (पश्चिम बैतूल), धार, झाबुआ, बड़वानी, बडवानी (सेंधवा), पन्ना (दक्षिण पन्ना), श्योपुर, उमरिया, होशंगाबाद, सिवनी (दक्षिण सिवनी), बैतूल (उत्तर बैतूल), रायसेन, औब्दुलागंज, सीहोर और सागर जिले के दक्षिण सागर वन मण्डल को अति संवेदनशील लैण्ड स्कैप के रूप में चयनित किया गया है। वन मंत्री ने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इस वित्तीय वर्ष में 26 करोड़ 22 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई है।

प्रदेश स्तर पर वन विभाग में गठित परियोजना क्रियान्वयन इकाई द्वारा जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर 5 वर्षीय दीर्घकालीन योजना तैयार की गई है। प्रदेश के वनों को 8 विभिन्न लैण्ड स्कैप परि²श्यों में बॉटा जाकर जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से अति संवेदन शील, संवेदनशील और कम संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की गई है।

डिस्क्लेमर : यह आर्टिकल न्यूज एजेंसी फीड के आधार पर प्रकाशित किया गया है। इसमें राज एक्सप्रेस द्वारा कोई संशोधन नहीं किया गया है।

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