ग्वालियर : कांग्रेस का सत्ता पाने का सपना कैसे होगा पूरा?

ग्वालियर, मध्य प्रदेश : कांग्रेस के कुछ नेता कहने लगे थे कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस के अंदर गुटबाजी नहीं रहेगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि गुट कई हो गए और कांग्रेसियों पर किसी की कमांड तक नहीं रही।
कांग्रेस का सत्ता पाने का सपना कैसे होगा पूरा?
कांग्रेस का सत्ता पाने का सपना कैसे होगा पूरा?Social Media

ग्वालियर, मध्य प्रदेश। प्रदेश से कांग्रेस सरकार गिरने के बाद उप चुनाव का समय भी आ गया है। कांग्रेस कह रही है कि जिसने पार्टी के साथ गद्दारी की उनको उप चुनाव में जनता सबक सिखाएंगी ओर कांग्रेस दुबारा सत्ता में लौटेगी। अब सवाल यह है कि कैसे लौटेगी, क्योंकि कांग्रेस के अंदर तो नेताओं में एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ मची हुई है। ग्वालियर में एक नेता ने प्रदेश में नियुक्ति कराई तो दूसरे ने उसकी नियुक्ति निरस्त करा दी। इससे समझा जा सकता है कि कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है।

ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस के अंदर कई नेता ऐसे हैं जो काफी वजूद रखते हैं, लेकिन उनको जिम्मेदारी न देते हुए बाहर से अपने समर्थकों को अंचल में पहुंचाकर जिम्मेदारी दी है। इससे लगता है कि एक वरिष्ठ नेता इस समय कांग्रेस को अपने हिसाब से संचालित करने में लगे हुए है। यही कारण है कि अंचल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस समय नाराज चल रहे हैं, लेकिन वह अपनी नाराजगी जाहिर नहीं कर रहे। वरिष्ठ नेता भी साफ कह चुके हैं कि इस बार जनता का चुनाव है ओर वहीं फैसला करेगी, यानि एक तरह से कांग्रेस सोच रही है कि सब कुछ जनता कर देगी हमें कोई मेहनत नहीं करना। वहीं दूसरी तरफ भाजपा हर बूथ पर जाकर जनता से मिलने का काम कर रही है ओर उनके कई नेता ग्वालियर में डटे हुए है। सिंधिया के बिना कांग्रेस सूनी लग रही है, लेकिन कुछ कांग्रेसी इस सूनेपन का फायदा उठाकर अपना पॉवर सेंटर मजबूत करने में लगे हुए है। कांग्रेस में इस समय हालात यह है कि नेताओ को पार्टी के प्रत्याशियो के लिए काम से मतलब न होकर सिर्फ अपना पॉवर सेंटर मजबूत करने की चिंता है। कांग्रेस के कुछ नेता कहने लगे थे कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस के अंदर गुटबाजी नहीं रहेगी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि गुट कई हो गए ओर कांग्रेसियों पर किसी की कमांड तक नहीं रही। ऐसे में उप चुनाव में कांग्रेस जो रास्ता आसान समझ रही है वह उसके लिए आसान नहीं है।

प्रत्याशी भी नहीं दे रहे दूसरों को महत्व :

कांग्रेस के जो प्रत्याशी है वह भी समझ चुके है कि कांग्रेस में नेताओं की गुटबाजी इस समय काफी चरम पर है, क्योंकि हर नेता अपने आपको बड़ा नेता समझने लगा है। ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशियो ने भी अपने समर्थको के सहारे ही प्रचार का काम शुरू कर दिया है ओर वह दूसरों को बुलाने से भी बच रहे है। अब ऐसे में कांग्रेस का दुबारा सत्ता में आने का सपना कैसे पूरा होगा इसको लेकर राजनीतिक अटकले लगने लगी है।

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