नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने उठाया बेहतर सुविधा का बीड़ा
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों ने उठाया बेहतर सुविधा का बीड़ा Deepika Pal - RE

नक्सली क्षेत्र में ग्रामीणों ने खुद बनायी सड़क, कलेक्टर की राय अलग

सुकमा, छत्तीसगढ़ : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा बेहतर कनेक्टिविटी देने के कार्य के बावजूद इन सब से हटकर लोगों ने स्वयं ही कार्य में योगदान देने का उठाया बीड़ा।

राज एक्सप्रेस। छत्तीसगढ़ के कई गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में गिने जाते हैं जहां नक्सलियों का आतंक होने की वजह से बेहतर सुविधाएं लोगों तक नहीं पहुंच पाती हैं, इन सब से हटकर सुकमा के नक्सल प्रभावित गांव पलामडगू के ग्रामीणों ने बेहतर कनेक्टिविटी के लिए स्वयं ही सड़क निर्माण का बीड़ा उठाया है, ग्रामीणों के इस योगदान पर डिप्टी कलेक्टर ने कहा कि,- फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत सड़क निर्माण का काम चल रहा है। लेकिन यह अच्छा है अगर स्थानीय लोग विकास कार्यों में योगदान दे रहे हैं "। दरअसल राज्य के कई आदिवासी क्षेत्र नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की श्रेणी में आते है जो वामपंथी, उग्रवादी, चरमपंथी, माओवादी क्रांतिकारी के रूप में पहचान रखते हैं।

ग्रामीणों से स्वयं उठाया बीड़ा :

बता दें कि माओवाद से प्रभावित इस गांव के ग्रामीणों ने स्वयं ही क्षेत्र में स्कूल, कॉलेजों, अस्पतालों जैसी सार्वजनिक सुविधाओं के साथ ही संपर्क के लिए एक सड़क बनाने के लिए इसे अपने ऊपर ले लिया है। इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है, "हम अपने दम पर यहां सुविधाओं का निर्माण कर रहे हैं। हम पंचायत चुनाव में अपना वोट नहीं डालेंगे। हम चाहते थे, लेकिन कोई भी यहां नहीं आता है इसलिए हम नहीं करेंगे।"।

बता दें कि यह मामला पहला नहीं है कि, ग्रामीणों ने क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में योगदान दिया हो, 2018 में इससे पहले भी कांकेर जिले में राज्य पुलिस और ग्रामीणों ने एक साथ घने जंगल में चट्टानी इलाके पर एक सड़क का निर्माण किया था।

हमलों से प्रभावित है क्षेत्र :

राज्य के इस क्षेत्र में माओवादियों का आधिपत्य स्थापित है, हाल फिलहाल कई हमलों की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिसमें सबसे घातक हमला रहा जिसमें संघीय पुलिस बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 9 लोग मारे गए और एक आईईडी विस्फोट में दो घायल हो गए थे वहीं, उनके खान-संरक्षित वाहन भी नष्ट कर दिए गए थे। जिसके जवाब में राज्य पुलिस द्वारा लगभग 37 नक्सलियों को एक आमने-सामने की लड़ाई में मार दिया था, लड़ाई महाराष्ट्र के साथ राज्य की सीमाओं पर लगभग चार घंटे तक जारी रही। छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों के कई जिले माओवादी चरमपंथ से प्रभावित हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस के अनुसार, 2019 में राज्य के सुरक्षा बलों के साथ 116 मुठभेड़ों में 79 नक्सली मारे गए, जबकि 46 नागरिकों के अलावा 22 सुरक्षाकर्मियों की भी जान चली गई। इस अवधि के दौरान, 484 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और 308 को सुरक्षा बलों द्वारा गिरफ्तार किया गया।

ताज़ा ख़बर पढ़ने के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। @rajexpresshindi के नाम से सर्च करें टेलीग्राम पर।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

Related Stories

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com