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सराहनीय कार्य: संयुक्त टीम ने सूरजपुर में तीन दिन में रोके 5 बाल विवाह

सूरजपुर, छत्तीसगढ़। कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रवेश सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन जिले में बाल विवाह के रोकथाम के लिये संयुक्त टीम सक्रिय है।

सूरजपुर,छत्तीसगढ़। कलेक्टर संजय अग्रवाल के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रवेश सिंह सिसोदिया के मार्गदर्शन जिले में बाल विवाह के रोकथाम के लिये संयुक्त टीम सक्रिय है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण ईकाई, चाईल्ड लाईन एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम सतर्क है। जिले में सूचना प्राप्त होते ही टीम मौके पर पहुंचकर बाल विवाह को रुकवा रही है।

तीन बालिकाओं को वधु होने से बचाया :

संयुक्त टीम द्वारा विकास खण्ड सूरजपुर के ग्राम रामनगर में एक 16 वर्षीय बालिका, ग्राम गिरवरगंज में एक 17वर्षीय बालिका, ग्राम डुमरिया में 15 वर्षीय बालिका, विकास खण्ड ओड़गी के दुरुस्थ ग्राम खोड़ में एक17 वर्षीय बालिका विकास खण्ड रामानुजनगर के ग्राम रामतीर्थ में एक 16 वर्षीय बालिका को बालिका वधु होने से बचाया गया। जिला बाल संरक्षण अधिकारी को सूचना मिली थी कि एक 16 वर्षीय बालिका का बाल विवाह होने जा रहा है, जिस पर संयुक्त टीम तत्काल मौके पर पहुंची, जहां बालिका एवं उसकी मां के द्वारा बताया गया कि बालिका के पास कोई भी जन्म संबंधी दस्तावेज नहीं है, बालिका सिर्फ चौथी तक पढ़ाई की है, और उसका समस्त दस्तावेज स्कूल में है तथा स्कूल बंद है।

बालिका के परिजनों द्वारा टीम को आधार कार्ड दिखाया गया, जिसमें बालिका का उम्र 18 वर्ष पूर्ण हो चुका था। जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा पड़ताल करने पर पता चला की बालिका इस वर्ष 10 वीं की परिक्षा दी है तथा उसका उम्र 16 वर्ष ही है। दाखिल खारिज पंजी का फोटो मंगाया गया तब जाकर परिजनों में विवाह रोकने की सहमती दी गई तत्पश्चात इस आशय का पंचनामा, कथन एवं अन्य दस्तावेज तैयार किया गया।

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 :

जिले में संयुक्त टीम को सूचना प्राप्त होते ही मौके पर जाकर बाल विवाह रोक कर घरवालों और गांववालों को बाल विवाह से होने वाले दुष्परिणामों के संबंध में जानकारी दी जाती है। सूचना पर तत्काल संयुक्त टीम द्वारा बालिकाओं के घर जाकर दस्तावेज सत्यापन कर बाल विवाह न करने की समझाइश दी। मौके पर वर पक्ष से भी सम्पर्क कर बालिका के नाबालिक होने एवं यह विवाह न करने की समझाइश दिया गया, यह विवाह हुआ तो सभी को परेशानी उठानी पड़ सकती है, तब वधु एवं वर पक्ष सभी ने विवाह नहीं करने का निर्णय लिया।

यदि विवाह होता है तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत् विवाह कराने वाले, सहयोग करने वाले अनुमति देने वालों एवं शामिल होने वालों के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध होगा और 2 वर्ष तक की सजा एवं 1लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। जिसके बाद बालविवाह को रोका गया और 18 वर्ष पूर्ण होने के बाद विवाह करने का निर्णय लिया और पंचनामा बना कर टीम को दिया।

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