Red Sandal Wood: छत्तीसगढ़ में भी होगी अब लाल चन्दन की खेती, पेड़ बनने में लगते है 15 साल
Red Sandal Wood in CG: भारत में उगाया जाने वाला लाल चन्दन (Red Sandalwood) दुनिया भर में मशहूर है। लाल चंदन आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) के चार जिलों चित्तूर (Chittoor), कडप्पा (Kadapa), नेल्लौर (Nellore), कुरनूल (Kurnool) की पहाड़ियों में ही उगाया जाता है। जल्द ही छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के दुर्ग (Durg) जिले के जंगलों में भी लाल चंदन के पौधे उगायें जायेंगे। लाल चन्दन की कीमत बाजार में 20 लाख से लेकर 50 लाख रुपए प्रति क्विंटल तक होती है। 2002 के बाद आम लोगों के लिए चंदन की खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अब इसके पेड़ लगाए जा सकते है लेकिन, लाल चन्दन की लकड़ी को खुद काटना और खुले बाजार में बेचना गैरकानूनी है। वन विभाग (Forest Department) की अनुमति के बाद ही कटाई की जा सकती है।
क्या है लाल चन्दन की खासियत :
लाल चंदन को दुनिया की सबसे दुर्लभ पर सबसे महत्वपूर्ण लकड़ी माना जाता है। भारत में लाल चंदन सिर्फ दक्षिणी इलाकों में घने जंगलों में पाया जाता है। चीन इसका सबसे बड़ा बाजार है। इसका इस्तेमाल संगीत के वाद्य यंत्र बनाने, फर्नीचर और मूर्तियां बनाने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग औषधी बनाने में भी किया जाता है। इसके पेड़ों का घनत्व अधिक होता है इसलिए लाल चंदन की लकड़ी पानी में डूब जाती है और यही इसकी असली पहचान है। लाल चन्दन में सफ़ेद चन्दन जैसी सुगंध नहीं होती है।
लाल चन्दन के लिए जरूरी वातावरण :
लाल चन्दन के उगाने के लिए 26 से 32 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। यह धीमी गति से बढ़ने वाला पौधा है। तेज़ धूप में यह अच्छे से विकास करता है। सर्दी के मौसम में इस पर नज़र रखना जरूरी है क्योकिं यह पाला की गिरफ्त में बहुत जल्द आ जाता है जिससे इसका तना सूखने लगता है।
15 साल लगते है पेड़ बनने में :
एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाता है, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है। जब पेड़ बड़ा हो जाता है तो किसान हर साल 15-20 किलो लकड़ी आसानी से काट सकता है।
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