पंजाब: चंडीगढ़ में 3 राज्यों के CM एकजुट, किसानों के नाम दिया यह संदेश
पंजाब, भारत। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर तैयारियों का दौर शुरू हो चुका है और कई क्षेत्रीय नेता खुद को केंद्र में स्थापित करने की जुगत भिड़ा रहे हैं। इस बीच आज रविवार को 3 राज्यों के CM एकजुट हुए। दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल, पंजाब के CM भगवंत मान और तेलंगाना के CM के चंद्रशेखर राव ने चंडीगढ़ में गलवान घाटी के शहीदों और किसानों के विरोध के दौरान मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि दी एवं किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों से मुलाकात की।
किसानी बचाने के लिए शहादत देने वाले किसानों पर गर्व :
इस दौरान दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल ने अपने संबोधन में कहा- हमारे जवान और किसान देश की शान हैं। देश की रक्षा में हमारे जवान और खेती को बचाने के लिए हमारे किसान के बलिदान को हम नमन करते हैं। हमें गलवान घाटी के शहीद जवानों और देश की किसानी बचाने के लिए शहादत देने वाले किसानों पर गर्व है। आज तेलंगाना के CM सम्मान राशि देने आए हैं। पंजाब सरकार पहले ही सम्मान राशि दे चुकी है। दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने भी किसान आंदोलन में आहुति दी।
वकील का बेटा वकील बनना चाहता है
Actor का बेटा Actor बनना चाहता है
Doctor का बेटा Doctor बनना चाहता है
लेकिन किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता.. हम Punjab में ऐसा Model तैयार करेंगे कि किसान का बेटा भी कहेगा- मुझे भी किसान बनना है!
आज शहीद किसानों के परिवार को 3 लाख रूपए और गलवान घाटी में शहीद जवानों के परिवार को 10 लाख रूपए सम्मान राशि दी जा रही है। ये समारोह आपके शहीद किसानों और शहीद जवानों को सम्मान देने के लिए है। आज उनकी आत्मा को सुकून मिलेगा कि, उनके परिवार का ध्यान रखने वाले लोग हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
किसानों को मैं सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं :
तो वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पंजाब में किसान नेताओं से केंद्र के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखने की अपील की और कहा- शहीदों को वापस नहीं ला सकते, लेकिन हमदर्दी जरूर जता सकते हैं। पंजाब ने देश के लिए 2 महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक आजादी की जंग में और दूसरा जब देश अन्न के लिए परेशान था तब राज्य में पहले हरित क्रांति से किसानों ने जो योगदान दिया,कभी भूला नहीं जा सकता। अफसोस है कि 75 साल की आजादी के बाद भी हमें ऐसी सभाएं करनी पड़ती हैं। बहुत दुख होता है... किसान आंदोलन चलाते हुए और केंद्र सरकार को कानून वापस लेने के मजबूर करने वाले किसानों को मैं सिर झुकाकर प्रणाम करता हूं।
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