इन दवाओं पर जारी कोविड-19 वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल – नीति आयोग

"नीति आयोग ने 8 दवाइयों के नामों की जानकारी देते हुए बताया कि देश की कई कुशल प्रयोशालाओं में इन पर परीक्षण किया जा रहा है।"
नीति आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस।
नीति आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस। - Social Media

हाइलाइट्स

  • नीति आयोग ने दी जानकारी

  • 8 दवाओं से Covid-19 vaccine की आस

  • कई संस्थानों में परीक्षण जारी - डॉ. पॉल

  • BCG वैक्सीन से लेकर रेमडेसिविर तक पर शोध

राज एक्सप्रेस। नीति आयोग ने उन प्रमुख आठ दवाइयों के नाम बताए हैं जिन पर देश में कोविड-19 वैक्सीन संबंधी क्लीनिकल ट्रायल चल रहे हैं। NITI Aayog के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने बताया कि भारत में Covid-19 वैक्सीन खोज का काम द्रुत गति से जारी है। इस लक्ष्य को हासिल करने विभिन्न संस्थानों में वैक्सीन पर क्लीनिकल ट्रायल किये जा रहे हैं।

भारत के प्रयास -

कोविड उन्नीस (Covid-19) यानी कोरोना वायरस डिजीज-19 से निपटने के लिए भारत में किये जा रहे प्रयासों के बारे में नीति आयोग और भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने सविस्तार जानकारी दी।

Covid-19 से लड़ने मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने देश में क्या कुछ किया जा रहा है इस बारे में नीति आयोग के सदस्य एवं Covid-19 निदान के लिये गठित समूह के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल ने जानकारी दी।

उन्होंने वैक्सीन ईजाद करने किन औषधियों पर नैदानिक परीक्षण किया जा रहा है? इस बात का भी खुलासा प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया। इस दौरान नीति आयोग ने 8 दवाइयों के नामों की जानकारी देते हुए बताया कि देश की कई कुशल प्रयोशालाओं में इन पर परीक्षण किया जा रहा है।

8 में 4 संतोषजनक -

डॉ. पॉल ने कहा कि इन आठ दवाओं में से चार की स्टडी रिपोर्ट अपेक्षाकृत बेहतर है। राष्ट्रीय विज्ञान प्रयोशालाओं में छह वैक्सीन परीक्षण प्रयोगरत हैं। इनमें से तीन मामलों में उम्मीद प्रबल है।

BCG टीके का मेन रोल –

मीडिया प्रतिनिधियों को डॉ. पॉल ने बीसीजी वैक्सीन (BCG vaccine) की खासियत के बारे में बताया। उन्होंने संभावना जताई कि बीसीजी वैक्सीन कोविड-19 से बचाव में भी कारगर भूमिका निभा सकता है।

उदाहरण बतौर उन्होंने बताया कि “भारत में बच्चों को दिए जाने वाले इस टीके से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी स्वतः मजबूत हो जाती है। प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत होने से हमारा शरीर सभी बीमारियों से लड़ने में समर्थ रहता है।” सनद रहे बीसीजी का टीका टीबी से बचाव के लिये प्रयोग किया जाता है।

भारत में 91.9 फीसद टीकाकरण –

प्राणघातक बीमारी टीबी की रोकथाम के लिए भारत समेत एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के कई राष्ट्रों में बीसीजी के टीके के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई गई है। डॉ. पॉल ने बताया कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत के कुछ इलाकों को छोड़कर 91.9 प्रतिशत बच्चों में बीसीजी टीकाकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत 2,800 लाख बीसीजी वैक्सीन डोज उत्पादन क्षमता से लैस है।

ये हैं सुपर 8 मेडिसिन -

डॉ. पॉल ने बताया कि बीसीजी के अलावा ट्रायल की जा रही सभी मेडिसिन एंटी वायरल दवाएं हैं। जिसमें बीसीजी, कॉन्वेलेस्सेंट प्लाज़्मा (Convalescent plasma), मायकोबैक्टेरियम डब्ल्यू (Mycobacterium W), फेविपिरविर (favipiravir), इटोलीज़ुमैब (Itolizumab), अर्बिडॉल (Arbidol) और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) और रेमडेसिविर (Remdesivir) पर क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है।

इन पर यहां परीक्षण -

उन्होंने बताया कि ओरल मेडिसिन संबंधी फेविपिरविर पर ट्रायल किया जा रहा है। इटोलिज़ुमैब को ऑर्थराइटिस की समस्या में दिया जाता है। इसी तरह मायकोबैक्टीरियम भी प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत बनाने में कारगर है।

उन्होंने बताया कि संबंधित दवाओं का ट्रायल पीजीआई समेत अन्य संस्थानों में गहन निगरानी में जारी है। आईसीएमआर की देखरेख में भी काम किया जा रहा है। अर्बिडॉल पर सीएसआईआर परीक्षण कर रहा है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से भी उपाय खोजे जा रहे हैं।

कोई तरीका हो तो बताएं -

डॉ. पॉल ने बताया कि सभी परीक्षणों में नियम-कायदों, विज्ञान, सुरक्षा और नैतिक मूल्यों का परिपालन किया जा रहा है। उन्होंने सभी से कोविड-19 के इलाज के लिए वैक्सीन संबंधी कारगर तरीकों को जनहित में साझा करने की भी अपील इस दौरान की। उन्होंने कहा कि नीति आयोग या भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. के विजय राघवन से इस बारे में संपर्क किया जा सकता है।

30 समूहों का साझा सहयोग -

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि देश के 30 समूह वैक्सीन बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। जिसमें भारतीय कंपनियों के साथ विदेशी कंपनियों का भी साझा सहयोग शामिल है। डॉ. पाल ने भारत के विज्ञान, तकनीकी संस्थान और फार्मा इंडस्ट्री को भरोसेमंद और सशक्त बताते हुए कहा; हमारे देश में बनी दवाएं और वैक्सीन पूरी दुनिया में उपयोग की जाती हैं।

"कोरोना से हम जंग वैक्सीन और दवाओं से जीतेंगे। भारतीय विज्ञान, तकनीकी संस्थान एवं फार्मा इंडस्ट्री बहुत मजबूत है। भारत की फार्मा इंडस्ट्री फार्मा ऑफ द वर्ल्ड के तौर पर फैमस है।"

डॉ. वीके पॉल, सदस्य, नीति आयोग

जोखिम भरा काम -

प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार और प्रोफेसर के. विजय राघवन ने कहा कि कई स्टार्टअप्स भी खोज कर रहे हैं। देश के 30 समूह कोविड-19 के इलाज के लिए प्रयासरत हैं। यह बड़ी चुनौती के साथ ही बहुत जोखिम भरा काम है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने साल भर में कोरोना वायरस का टीका खोजने की उम्मीद जताई है। प्रो. राघवन ने कहा कि खोज पर 2 से 3 बिलियन डॉलर का खर्च आ सकता है। गौरतलब है भारत में इंसानों पर ट्रायल के स्तर तक वैक्सीन बनाने का कार्य अभी नहीं पहुंचा है। दी गई जानकारी के मुताबिक ह्यूमन ट्रायल में फिलहाल 6 माह का वक्त लग सकता है।

स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य, इंडियन मेडिकल काउंसिल फॉर रिसर्च (ICMR) एवं भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार उपस्थित हुए।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल एजेंंसी रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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