निर्भया के आरोपियों को मृत्युदंड, डमी को दी गई फांसी

निर्भया केस में चारों आरोपियों को मृत्युदंड सुनाया गया है। रविवार, 12 जनवरी को दिल्ली के तिहाड़ जेल में इनके डमी को दी गई फांसी।
दिल्ली में स्थित तिहाड़ जेल
दिल्ली में स्थित तिहाड़ जेलएएनआई, ट्विटर

राज एक्सप्रेस। दिसंबर 2012 में हुए मेडिकल छात्रा के साथ बलात्कार के केस में चारों आरोपियों को फांसी की सज़ा सुनाई गई है। इन्हें 22 जनवरी 2020 की सुबह 7 बजे दिल्ली के तिहाड़ जेल में फांसी दी जाएगी। रविवार 12 जनवरी को इन आरोपियों के डमी को फांसी दी गई। यह फांसी देने के पहले की प्रक्रिया है। चारों आरोपियों के वज़न के हिसाब से उनके डमी तैयार किए गए। जेल प्रशासन ने इस प्रक्रिया को पूरा किया।

समाचार एजेंसी एएनआई ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी-

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जेल प्रशासन ने बताया कि, चारों आरोपियों को 3 नम्बर जेल में फांसी दी जाएगी। साथ ही उत्तर प्रदेश जेल प्राधिकरण ने पुष्टि की है कि, मेरठ से पवन जल्लाद को फांसी देने के लिए भेजा जाएगा। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश जेल प्राधिकरण को चिट्ठी लिखकर दो जल्लादों को फांसी देने के लिए भेजने को कहा है।

चारों दोषियों को एक साथ फांसी देने की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही तिहाड़ जेल भारत का पहला जेल होगा जहां चार आरोपियों को एक साथ फांसी दी जाएगी। तिहाड़ में अब तक एक बार में केवल एक व्यक्ति को ही फांसी दी गई है।

जेल प्रशासन हर दिन आरोपियों से बात कर रहा है ताकि, यह सुनिश्चित हो सके कि वे अच्छी मानसिक स्थिति में हैं। चारों आरोपियों का हर 24 घंटे के अंतराल पर दो बार नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा रहा है। इसके साथ ही चारों पर हर पल नजर रखी जा रही है। उनके व्यवहार, बातचीत और सोचने-समझने के तौर-तरीकों पर भी जेल अधिकारी नजर बनाए हुए हैं।

मंगलवार, 7 जनवरी 2020 को दिल्ली न्यायालय ने चारों आरोपियों मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को डेथ वॉरेंट(फांसी का आदेश) जारी किया। अदालत ने उनके नाम काला वॉरेंट जारी कर, क्यूरेटिव और दया याचिका दायर करने के लिए उन्हें दो सप्ताह का समय दिया था।

जिसके बाद दो आरोपियों मुकेश और विनय ने भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में क्यूरेटिव प्ली दायर की है। यह आखिरी तरीका है जिससे शायद वो फांसी से बच जाएं। सर्वोच्च न्यायालय 14 जनवरी को इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। पांच जजों की पीठ इसकी सुनवाई करेगी जिसमें, न्यायाधीश एन. वी. रमण, अरूण मिश्रा, आर. एफ. नरिमन, आर. भानुमथि और अशोक भूषण शामिल हैं।

अगर आरोपियों की क्यूरेटिव प्ली खारिज होती है तो उनके पास केवल दया याचिका भेजने का विकल्प बाकी होगा। भारत के राष्ट्रपति को भेजी गई इस याचिका के ज़रिए उनकी फांसी की सज़ा को आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। भारतीय राष्ट्रपति के पास यह अधिकार है कि वो दया याचिका पर फैसला लें।

सात साल पहले 16 दिसंबर की रात राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा का सामूहिक बलात्कार कर सड़क पर फेंक दिया गया था। उसे इलाज के लिए सिंगापुर रिफर किया गया जहां 29 दिसंबर 2012 को माउंट एलिज़ाबेथ अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया। पीड़ित को बाद में निर्भया नाम से जाना गया।

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