जेएनयू हमले की जांच में दिल्ली पुलिस ने की 7 नए लोगों की पहचान

रविवार 5 जनवरी को जेएनयू में नकाबपोश लोगों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। इसकी जांच में दिल्ली पुलिस ने अब 7 नए लोगों की पहचान की।
जेएनयू में हुए हमले के बाद हुआ विरोध प्रदर्शन
जेएनयू में हुए हमले के बाद हुआ विरोध प्रदर्शनजेएनयू छात्रसंघ, फेसबुक

राज एक्सप्रेस। पिछले रविवार 5 जनवरी को हुए जेएनयू में हमले की जांच आगे बढ़ रही है। दिल्ली पुलिस ने 7 नए लोगों की पहचान की है। इससे पहले पुलिस ने 9 लोगों को नोटिस भेजा, जिनका ज़िक्र उन्होंने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था। जिन लोगों की पहचान हुई है, वो भी व्हाट्सएप ग्रुप 'यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट' से जुड़े हुए हैं।

इससे पहले शनिवार को भी पुलिस ने इस ही ग्रुप से 37 लोगों की पहचान की थी। दिल्ली पुलिस अब तक 44 लोगों की पहचान कर चुकी है। व्हाट्सअप ग्रुप में कुल 60 लोग शामिल हैं। पुलिस इसे आधार मान कर अपनी जांच आगे बढ़ा रही है।

दिल्ली पुलिस द्वारा की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि पुलिस का रूख पक्षपाती है और उसने केवल एक विचारधारा के लोगों को टारगेट किया है। वहीं समाचार समूह इंडिया टुडे ने जेएनयू में स्टिंग ऑपरेशन कर कई नए खुलासे किए। पुलिस ने इसे भी अपनी जांच का आधार बनाया है और समाचार समूह से इसकी जानकारी मांगी है।

इस स्टिंग में जेएनयू हिंसा में शामिल होने का दावा करने वाले छात्र अक्षत अवस्थी को भी पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया है। अक्षत अवस्थी जेएनयू में फ्रेंच डिग्री प्रोग्राम में प्रथम वर्ष का छात्र है। इंडिया टुडे द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन में अक्षत ने स्वीकार किया था कि, वह एबीवीपी का कार्यकर्ता है और रविवार को विश्वविद्यालय कैंपस में हुई हिंसा में शामिल था। इसके अलावा स्टिंग में ही एक अन्य छात्र रोहित शाह ने माना था कि हिंसा में जेएनयू के एबीवीपी के 20 छात्र शामिल थे। एबीवीपी इन छात्रों को अपना सदस्य मानने से इनकार कर चुकी है।

दिल्ली पुलिस ने दोनों छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाया है। इसके अलावा पुलिस ने हिंसा के मामले में विश्वविद्यालय के वॉर्डन, 13 सिक्योरिटी गार्ड्स और पांच छात्रों के भी बयान दर्ज किए हैं।

घायल छात्रों का बयान केस की सबसे मजबूत कड़ी है। पुलिस ने इनका बयान लेने में क्यों इतनी देरी की, यह समझ से परे है। वायरल विडियो फुटेज के अलावा एक यही सबूत है जो आरोपियों तक पहुंचा सकता है। वरिष्ठ एसआईटी सदस्यों ने साफ किया है कि जिन 9 संदिग्धों को शुक्रवार को नामजद किया है, उन पर कैंपस में दिनभर कामकाज को प्रभावित करने का आरोप है न कि शाम को हुए हमले का। शाम को हुए हमले की जांच अभी की जा रही है।

इन 9 लोगों में जेएनयू अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल हैं। जेएनयू हिंसा मामले में कुल तीन एफआईआर दर्ज की गई हैं। पहला केस सर्वर रूम को नुकसान पहुंचाने का, दूसरा केस रजिस्ट्रेशन करवाने वाले छात्रों के साथ मारपीट करने का और तीसरा केस हॉस्टल में घुसकर हमला करने का है।

जेएनयू हिंसा की जांच के लिए कांग्रेस ने एक कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी ने कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस रिपोर्ट में कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिसमें जेएनयू के उप-कुलपति जगदीश कुमार को उनके पद से हटाने का सुझाव शामिल है।

इसके अलावा एक स्वतंत्र कमेटी से जेएनयू में वीसी के दौरान हुई नियुक्तियां और प्रशासनिक फैसलों की जांच करने को कहा गया है। इसके साथ ही हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस कमिश्नर की जवाबदेही तय करने को भी कहा गया है। वहीं जेएनयू वीसी जगदीश कुमार ने अपने बयान में कहा है कि "जो भी हुआ सो हुआ। अब हमें बीती बातों को भुला देना चाहिए। हम किसी पर भी ऊंगली उठाने या आरोप लगाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हमारे लिए महत्वपूर्ण ये है कि हम आगे बढ़ें और विश्वविद्यालय सुचारू रूप से काम करें।"

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