SC का अहम निर्णय, बैंक लोन फ्रॉड मामले में DHFL पूर्व प्रमोटर Kapil Wadhawan की जमानत रद्द

Kapil Wadhawan Bail Cancelled : न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और एस सी शर्मा की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया।
Kapil Wadhawan की जमानत रद्द
Kapil Wadhawan की जमानत रद्दRaj Express

हाइलाइट्स :

  • निचली अदालत से मिली थी वधावन बंधुओं को जमानत।

  • CBI की याचिका पर उच्तम न्यायालय में सुनवाई।

  • निचली अदालत के फैसले को SC ने बताया त्रुटिपूर्ण।

नई दिल्ली। DHFL के पूर्व प्रमोटर कपिल वधावन को बड़ा झटका लगा है। बुधवार को उच्तम न्यायालय ने कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को करोड़ों रुपए के बैंक लोन घोटाले में मिली जमानत रद्द कर दी है। बता दें कि, वधावन भाइयों पर करोड़ों रुपए के लोन में धोखाधड़ी का आरोप है। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि, 'इस अदालत को यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वधावन बंधुओं के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया और उचित समय पर संज्ञान लिया गया, लेकिन वे (वधावन बंधु) अधिकार के तौर पर वैधानिक जमानत का दावा नहीं कर सकते। पीठ ने उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा आरोपियों को 'डिफॉल्ट' जमानत देने फैसले को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि निचली अदालत वधावन बंधुओं की नियमित जमानत के मामले में नए सिरे से सुनवाई कर सकती है।'

CBI ने 42,871.42 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को निचली अदालतों द्वारा दी गई वैधानिक जमानत को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि, इस मामले में आरोप पत्र 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के भीतर दायर किया गया और फिर भी आरोपी को वैधानिक जमानत दी गई।

CrPC के प्रावधानों के मुताबिक यदि जांच एजेंसी 60 या 90 दिनों की अवधि के भीतर किसी आपराधिक मामले में जांच के समापन पर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आपराधिक आरोपी को वैधानिक जमानत लेने की अनुमति दी जाती है। सीबीआई ने इस मामले में FIR दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी के 88 वें दिन आरोप पत्र दायर किया और निचली अदालत ने आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी। इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल मई में निचली अदालत के आदेश पर मुहर लगा दी थी।

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि, उन्हें जमानत देने का निर्णय 'अच्छी दलीलों और तर्कों पर आधारित' था। सीबीआई का आरोप है कि, DHFL, इसके तत्कालीन सीएमडी कपिल वधावन, निदेशक धीरज और अन्य आरोपियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम को 42,871.42 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

और खबरें

No stories found.
logo
Raj Express | Top Hindi News, Trending, Latest Viral News, Breaking News
www.rajexpress.com