सीजेआई को चुनाव आयोग में नहीं देखना चाहता केंद्र, शीर्ष कोर्ट के फैसले को बेअसर करने को बिल लाने की तैयारी
राज एक्सप्रेस । चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और इससे पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में चुनाव आयोग में मन माफिक लोगों को बिठाने पर सरकार का विशेष जोर है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसे अपनी योजना में बाधक नजर आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि चुनाव आयोग में अब सरकार अपनी मर्जी से नियुक्ति नहीं कर सकेगी। प्रधानमंत्री के साथ नेता प्रतिविपक्ष और सीजेआई भी उस पैनल का हिस्सा होंगे, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर निर्णय लेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि 2024 तक सीजेईआई डीवाई चंद्रचूड़ हर उस नियुक्ति में शामिल होंगे जो चुनाव आय़ोग में की जाएगी।
अलग तरह की शख्सियत है जस्टिस चंद्रचूड़
अपने बेलाग अंदाज के लिए चर्चित सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ एक अलग तरह की शख्सियत हैं। वह अपने बेलाग अंदाज के लिए जाने जाते हैं। दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग पर उन्होंने ही अपने निर्णय से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को संजीवनी दी थी। यह अलग बात है कि केंद्र सरकार ने संसद में दिल्ली सर्विस बिल पास कराकर उसे कानून का रूप दे दिया और इस संवेदनशील मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट की सीमा से बाहर निकाल दिया। इस बार भी केंद्र कोई ऐसा ही उपाय सोच रहा है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस बीच कई फैसले केंद्र सरकार के विरुद्ध जाकर लिए हैं। इस लिए केंद्र उन्हें लेकर बेहद सतर्क है।
केंद्र ने शुरू की लगाम लगाने की तैयारी
केंद्र सरकार को सीजेआई का वह फैसला भुलाए नहीं भूलता इसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली की सरकार लोगों के जरिये चुनी गई है। लिहाजा अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार उसके पास ही होना चाहिए। इस फैसले ने केंद्र सरकार को सतर्क कर दिया है कि सीजेआई का केंद्र सरकार के प्रति रुख सख्त है इस लिए उन पर सख्त लगाम लगाना जरूरी है। केंद्र सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर लगाम लगाने की तैयारी कर ली है, जिसकी वजह से उसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में झटका लग सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि चुनाव आयोग में अब सरकार अपनी मर्जी से नियुक्ति नहीं कर सकेगी। प्रधानमंत्री के साथ नेता प्रतिविपक्ष और सीजेआई भी उस पैनल में होंगे जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर निर्णय लेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि 2024 तक सीजेईआई डीवाई चंद्रचूड़ हर उस नियुक्ति में शामिल होंगे जो चुनाव आय़ोग में की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले सरकार के खिलाफ
सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की कार्यप्रणाली ऐसी है कि वह निर्णय लेते समय किसी दबाव में नहीं आते। हाल के कुछ फैसले देखे जाएं, तो उससे यह बात साफ हो जाती है सीजेआई को अपने मन मुताबिक चलाना सरकार के लिए आसान काम नहीं है। वह ओपन कोर्ट में ओआरओपी के मसले पर सॉलीसिटर के जरिये सरकार को धमकी भरा संदेश भिजवा चुके हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को ताकत देने का फैसला भी उनकी ही पीठ ने किया था। बिलकिस बानो हो या फिर तीस्ता सीतलवाड़ को बेल देने जैसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले भी केंद्र सरकार की इच्छा के अनुरूप नहीं थे। प्रवर्तन निदेशालय के डायरेक्टर को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट में सरकार की किरकिरी हो रही है।
बिल के मुताबिक सीजेआई की जगह पैनल में होगा एक केंद्रीय मंत्री
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्रीय सरकार के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है। 2024 से पहले कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग में मन माफिक लोगों को बिठाने पर सरकार का विशेष जोर रहता है। यही वजह है, उसने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को बेअसर करने के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की जगह एक केंद्रीय मंत्री को रखे जाने का प्रावधान किया गया है। जाहिर है कि जब कमेटी में प्रधानमंत्री के साथ उनके ही केंद्रीय मंत्री होंगे तो नेता विपक्ष की राय की कोई अहमियत ही नहीं रह जाएगी। लेकिन कल्पना कीजिए, अगर कमेटी में सीजेआई हुए तो नेता विपक्ष की राय पर भी फैसला हो सकता है। ऐसे में सरकार के लिए मुश्किल तो खड़ी हो सकती है।
केंद्र जानता है सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में रोकना कठिन नहीं
दिल्ली सर्विस बिल अब पास हो चुका है। केंद्र सरकार को पता है कि चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद में रोकना उसके लिए बड़ी मुश्किल नहीं है। सीएम अरविंद केजरीवाल के मसले पर सारा विपक्ष एक हो गया, फिर भी वह केंद्र सरकार पर दबाव नहीं बना पाया। संवैधानिक बेंच ने मार्च 2023 में कहा था कि पैनल में सीजेआई भी होंगे। दरअसल, जस्टिस केएम जोसफ, अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार की संवैधानिक बेंच ने 2 मार्च 2023 को निर्णय दिया था कि जब तक संसद कोई कानून नहीं बनाती तब तक चुनाव आयोग की हर नियुक्ति का फैसला एक पैनल करेगा, जिसमें प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई शामिल होंगे। यह फैसला केंद्र सरकार के गले की फांस बन गया है।
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