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कानूनों का मसौदा आसान भाषाओं में तैयार करना सरकार का प्रयास : नरेंद्र मोदी

भारत सरकार में हम सोच रहे हैं कि कानून दो तरह से बनाया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा जिसके आप आदी हैं और दूसरा जो आम लोगों को समझ में आ सके।

हाइलाइट्स :

  • इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित किया।

  • भारत की न्याय व्यवस्था में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है।

  • भारत के उच्च्तम न्यायालय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार आम आदमी को आसानी से समझ में आने वाली अधिकतम भाषाओं में कानूनों का मसौदा तैयार करने का गंभीर प्रयास कर रही है ताकि उन्हें महसूस हो सके कि ये उनका अपना कानून है।

नरेंद्र मोदी ने यहां बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा न्याय सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाती है। इसलिए कानून ऐसी भाषा में बनाया जाना चाहिए जिसे देश का आम आदमी समझ सके और उसे कानून को अपना मानना ​​चाहिए।

उन्होंने कहा, “भारत सरकार में हम सोच रहे हैं कि कानून दो तरह से बनाया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा जिसके आप आदी हैं और दूसरा जो आम लोगों को समझ में आ सके।"

प्रधानमंत्री ने शीर्ष अदालत के अपने फैसलों का हिंदी, तमिल, गुजराती और उड़िया समेत स्थानीय भाषाओं में अनुवाद कराने की व्यवस्था करने के लिए उसकी एक बार फिर सराहना की। उन्होंने कहा, “कानून किस भाषा में लिखे जा रहे हैं। अदालती कार्यवाही किस भाषा में हो रही है। ये बात न्याय सुनिश्चित कराने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है। पहले किसी भी कानून की डराफ्टिंग बहुत मुश्किल होती थी। सरकार के तौर पर अब हम भारत में नए कानून जैसा मैंने आपको कहा- दो प्रकार से और जितना ज्यादा हम सरल बना सकें और हो सके उतना भारतीय भाषाओं में उपलब्ध करा सकें, उस दिशा में हम बहुत गंभीर प्रयास कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “डेटा संरक्षण कानून आपने देखा होगा, उसमें भी सरलता से हमने पहली शुरूआत की है और मैं पक्का मानता हूं कि सामान्य व्यक्ति को उस परिभाषा से सुविधा रहेगी। मैं समझता हूं कि भारत की न्याय व्यवस्था में यह एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत के उच्च्तम न्यायालय को इस बात के लिए भी बधाई दूंगा कि उसने अपने फैसलों को कई स्थानीय भाषाओं में भी अनुवाद करने की व्यवस्था की है। इससे भी भारत के सामान्य व्यक्ति को बहुत मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा कि कोई डॉक्टर यदि रोगी की भाषा में उससे बात करे तो उसकी आधी बीमारी यूं ही ठीक हो जाती है, बस यहां यही मामला है।

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