First Amendment of the Indian Constitution
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PM मोदी ने क्यों बताया संविधान में किए गए प्रथम संशोधन के दौरान की गई कटौती को दुर्भाग्य, क्या थे वो तीन बिंदु

First Amendment of the Indian Constitution : भारतीय संविधान के भाग 3 में नागरिकों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लेख है। ये अधिकार नागरिकों को राज्य के मनमानी पूर्ण व्यवहार के खिलाफ गारंटी देते हैं।

हाइलाइट्स :

  • संविधान में अब तक कुल 106 संशोधन किये जा चुके हैं।

  • भारतीय संविधान का पहला संशोधन 18 जून साल 1951 में किया गया।

  • प्रथम संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 19 में 3 बिंदु जोड़े गए।

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात में संविधान दिवस के मौके पर संविधान में किए गए प्रथम संशोधन के दौरान की गई तीन कटौतियों को दुर्भाग्य पूर्ण बताया। संविधान लागू होने से अब तक कुल 106 संशोधन किये जा चुके हैं। भारतीय संविधान का पहला संशोधन 18 जून साल 1951 में किया गया था। आइए जानते हैं कि, प्रथम संशोधन के दौरान किये गए बदलाव।

संविधान के पहले संशोधन के पीछे उच्चतम न्यायालय के कुछ निर्णय शामिल थे। पहले संशोधन संविधान के द्वारा आर्टिकल 15 और 19 समेत कई अनुच्छेदों को संशोधित किया गया। प्रधानमंत्री द्वारा जिस कटौती को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया वो अनुच्छेद 19 में की गई थी। प्रथम संशोधन के द्वारा अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of Speech And Expression) को नियंत्रित करने के 3 और आधार संविधान में शामिल किये गए।

क्या थे 3 आधार :

भारतीय संविधान के भाग 3 में नागरिकों के लिए अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लेख है। ये अधिकार नागरिकों को राज्य के मनमानी पूर्ण व्यवहार के खिलाफ गारंटी देते हैं। अनुच्छेद 19 में नागरिकों को प्राप्त अभिव्यक्ति की आजादी की गारंटी को प्रथम संशोधन द्वारा कम कर दिया गया। प्रथम संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 19 में ही 3 बिंदु जोड़े गए। प्रथम संशोधन के बाद विदेशी राज्यों से मैत्रीपूर्ण संबंध, पब्लिक सेफ्टी और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य को नागरिकों के अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार को नियंत्रित (limit) करने का अधिकार मिल गया।

अनुच्छेद 19 में नागरिकों को ये अधिकार प्राप्त है :

  • वाक और अभिव्यक्ति (Freedom of Speech and Expression) की स्वतंत्रता का अधिकार।

  • शांतिपूर्वक सम्मेलन (Freedom of Peaceful Assembly) की स्वतंत्रता का अधिकार।

  • संगम या संघ (Right to Form Association or Union) बनाने का अधिकार।

  • भारत में कहीं भी सामान्य परिस्थितियों में संचरण (Unhindered Transmission) का अधिकार।

  • भारत के किसी भी क्षेत्र में निवास (Right to Reside Anywhere) का अधिकार।

  • व्यवसाय आदि की स्वतंत्रता (Freedom of Occupation) का अधिकार।

इसलिए किया गया था पहला संशोधन :

भारतीय संविधान की पार्ट 3 में नागरिकों को कुछ मूलभूत अधिकार दिए गए हैं। इन अधिकारों के उद्देश्य में व्यक्ति की गरिमा और विकास प्रमुख रूप से शामिल है। आजादी के बाद उच्चतम न्यायालय में ऐसे कई मामले लाये गए जहाँ अभिव्यक्ति की आजादी को वरीयता देते हुए सरकार द्वारा पास किये गए कानूनों/नियमों को असंवैधानिक बताया गया।

उच्चतम न्यायालय का निर्णय :

सरकार द्वारा 1950 में लागू संविधान को साल 1951 में संशोधन करने के पीछे प्रमुख रूप से उच्चतम न्यायालय के दो प्रमुख निर्णय जिम्मेदार थे। इसमें रोमेश थापर बनाम स्टेट ऑफ मद्रास और ब्रज भूषण बनाम दिल्ली राज शामिल है।

रोमेश थापर बनाम स्टेट ऑफ मद्रास में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए मद्रास मेंटेनेंस एक्ट को समाप्त कर दिया गया था। वहीं ब्रज भूषण केस में अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए ईस्ट पंजाब पब्लिक सेफ्टी एक्ट को समाप्त कर दिया गया था।

अनुच्छेद 15 को भी किया गया संशोधित :

प्रथम संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 15 को संशोधित किया गया। अनुच्छेद 15 समानता के अधिकार से सम्बंधित है। प्रथम संशोधन के द्वारा इसमें अनुसूचित जाति और जनजाति को उचित प्रतिनिधित्व देने के लिए संशोधन किया गया था। जिसके बाद अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए विशेष प्रावधान को समानता के अधिकार के उल्लंघन नहीं माना गया।

साथियो, हम सभी जानते हैं कि संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। श्री सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे। 60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का Draft तैयार हुआ था। Draft तैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे। 1950 में संविधान लागू होने के बाद अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है। समय, परिस्थिति, देश की आवश्यकता को देखते हुए अलग-अलग सरकारों ने अलग-अलग समय पर संशोधन किए, लेकिन ये भी दुर्भाग्य रहा कि संविधान का पहला संशोधन, Freedom of Speech और Freedom of Expression के अधिकारों में कटौती करने के लिए हुआ था। वहीँ संविधान के 44 वें संशोधन के माध्यम से, Emergency के दौरान की गई गलतियों को सुधारा गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मन की बात का अंश

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