Patanjali ने भ्रामक विज्ञापन पर सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी, कहा - भविष्य में जारी नहीं करेंगे ऐसे ऐड

Patanjali Apologizes To Supreme Court On Misleading Advertisement : पतंजलि का कहना है कि, विज्ञापन का उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि उत्पादों का उपभोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था।
Patanjali Apologizes To Supreme Court On Misleading Advertisement
Patanjali Apologizes To Supreme Court On Misleading AdvertisementRaj Express

हाइलाइट्स :

  • आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को SC में व्यक्तिगत रूप से होना था पेश।

  • भ्रामक विज्ञापन के लिए Patanjali ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त मांगी माफी।

Patanjali Apologizes To Supreme Court On Misleading Advertisement : नई दिल्ली। Patanjali ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मांगी मांग ली है।पतंजलि आयुर्वेद और उसके एमडी आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि, भविष्य में ऐसे विज्ञापन दोबारा जारी नहीं किये जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया था कि, पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। पतंजलि के एमडी का कहना है कि, कंपनी के मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी।

पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने औषधीय इलाज पर भ्रामक विज्ञापन प्रसारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष बिना शर्त माफी मांगी है। उन्होंने दोबारा इसे न दोहराने का वचन दिया है। कोर्ट ने 2 अप्रैल को बाबा रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था।

पतंजलि के एमडी का कहना है कि, विज्ञापन का उद्देश्य नागरिकों को पतंजलि उत्पादों का उपभोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करना था। प्रबंध निदेशक ने यह भी आश्वासन दिया है कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किये जायेंगे। सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि, "स्पष्टीकरण के माध्यम से, बचाव के रूप में नहीं, अभिसाक्षी यह प्रस्तुत करना चाहता है कि उसका इरादा केवल इस देश के नागरिकों को पतंजलि के उत्पादों का उपभोग करके स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है, जिसमें उपयोग के माध्यम से जीवनशैली संबंधी बीमारियों के उत्पाद भी शामिल हैं। सदियों पुराना साहित्य और सामग्रियां आयुर्वेदिक अनुसंधान द्वारा पूरक और समर्थित हैं।"

आगे यह भी कहा गया कि, विचार आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देना था, जो वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा समर्थित सदियों पुराने साहित्य, सामग्री पर आधारित हैं। 27 फरवरी को पारित आदेश में, न्यायालय ने पतंजलि आयुर्वेद को अपने उत्पादों का विज्ञापन या ब्रांडिंग करने से रोक दिया था, जो कि इस बीच ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 में निर्दिष्ट बीमारियों को संबोधित करने के लिए हैं। इसने पतंजलि आयुर्वेद को चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के प्रतिकूल कोई भी बयान देने से आगाह किया।

सुप्रीम कोर्ट ने 19 मार्च को बाबा रामदेव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित होने का निर्देश दिया था। भ्रामक विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ शुरू की गई अवमानना कार्यवाही में कारण बताओ नोटिस का जवाब दाखिल न करने पर उन्हें यह निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि, रामदेव और पतंजलि के अध्यक्ष आचार्य बालकृष्ण प्रथम दृष्टया ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3 और 4 का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके दो दिन बाद पतंजलि ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर माफी मांग ली है।

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