राज एक्सप्रेस। भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को सदैव उनके अनगिनत योगदानों के लिए याद किया जाता है। बाबा साहेब ने ना केवल स्वतंत्र भारत के निर्माण में अपना योगदान दिया, बल्कि लोगों को नई तरह से सोचने में भी मदद की है। उनका जन्म मध्य प्रदेश के महू में हुआ था। मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा उनकी जन्मस्थली पर उनका एक स्मारक भी बनाया गया है, जिसे भीम जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। ऐसी ही बाबा साहेब के बारे में कई बातें हैं जिनसे ज्यादातर लोग अंजान हैं। तो चलिए जानते हैं इनके बारे में।
1. बाबा साहेब अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को हुआ था। सैन्य छावनी महू में जन्मे अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाबाई था।
2. उनका परिवार महार जाति से ताल्लुक रखता था, जिसके चलते उन्हें बचपन से ही सामाजिक और आर्थिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था। हालाँकि इसके बावजूद भी उन्होंने पढ़ाई शुरू की और खुद का नाम बनाया।
3. बाबा साहेब की शादी काफी कम उम्र में हो गई थी। उनके माता-पिता ने साल 1906 में बाबा साहेब की शादी महज 9 साल की लड़की रमाबाई से करवा दी थी।
4. हालाँकि शादी के बाद भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और साल 1908 में एलफिंस्टन कॉलेज में एडमिशन लिया। यहाँ दलित जाति से एडमिशन लेने वाले वे पहले छात्र थे, क्योंकि इस समय दलितों को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता था जिस कारण कम दलित ही आगे बढ़ पाते थे।
5. एलफिंस्टन कॉलेज से पढ़ने के बाद साल 1913 में अंबेडकर एमए करने के लिये अमेरिका गए। इस दौरान उन्हें बड़ौदा के गायकवाड़ शासक सहयाजी राव तृतीय से मासिक वजीफा मिला था। इसके बाद साल 1921 में उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकॉनोमिक्स से एमए किया
6. बाबा साहेब अंबेडकर को साल 1925 के दौरान बॉम्बे प्रेसिडेंसी समिति के द्वारा साइमन आयोग में नियुक्त किया गया।
7. अब वह समय था जब बाबा साहेब ने दलितों पर हो रहे अत्याचार का विरोध करते हुए बहिष्कृत भारत, मूक नायक, जनता नाम से पत्र निकालना शुरू किया।
8. जिसके उपरांत आजाद भारत में उन्हें देश का कानून मंत्री नियुक्त किया गया। आगे बढ़ते हुए वे 29 अगस्त 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष बने।
9. साल 1951 के दौरान संसद में हिन्दू कोड बिल मसौदे को रोका जाना उन्हें पसंद नहीं आया और उन्होंने मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया। इस मसौदे में कई मुद्दे जैसे उत्तराधिकार, विवाह, अर्थव्यवस्था के कानूनों में लैंगिक समानता की बातें कही गई थीं।
10. साल 1956 में 14 अक्टूबर के दिन बाबा साहेब ने स्वेच्छा से बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया, क्योंकि वे मानते थे कि हिंदू धर्म में दलित व्यक्ति को उसका अधिकार नहीं मिल सकता। हालाँकि इसके कुछ समय बाद 6 दिसंबर 1956 को बाबा साहेब अंबेडकर ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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