बिहार में 22 साल पहले हुए खूनी खेल के आरोपियों के बरी होने पर बवाल

बिहार की पटना हाईकोर्ट ने बहुचर्चित सेनारी हत्याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। HC के इस फैसले के बाद बवाल मचने लगा और अब इस मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है।
बिहार में 22 साल पहले हुए खूनी खेल के आरोपियों के बरी होने पर बवाल
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बिहार, भारत। देश के कई राज्‍यों में हत्‍या जैसी कई वारदातें होने के बाद इसका केस कई सालों तक चलता रहा है। ऐसे ही अब बिहार राज्‍य में 22 साल पहले हुए खूनी खेल का मामला यानी बहुचर्चित सेनारी हत्याकांड फिर चर्चा में आया है, क्‍योंकि पटना हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए इस हत्‍याकांड के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है।

आरोपियों के बरी होने पर बवाल :

दरअसल, 1999 में 18 मार्च की रात बेहद ही खौफनाक रात रही है, यहां गाजर-मूली की तरह नौजवानों की गर्दनें काटी जा रही थी, इतना ही नहीं बल्कि सिर धड़ से अलग होने के बाद तड़पते लोगों के पेट फाड़े जा रहे थे। मंजर काफी भयावह था और अब 22 साल बाद इस जघन्य बहुचर्चित सेनारी हत्याकांड के सभी 13 आरोपियों को शुक्रवार को पटना हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी किए जाने पर बवाल मचने लगा है। इतना नहीं नहीं बल्कि सभी को अविलंब जेल से रिहा करने का भी आदेश दिया गया है। अब पटना हाईकोर्ट के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं कि, क्या 34 लोगों की हत्या किसी ने नहीं की थी? तो वहीं, राज्य सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया है।

कोर्ट का कहना आरोपियों की पहचान की प्रक्रिया सही नहीं :

सेनारी नरसंहार कांड का पटना हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के न्यायामूर्ति अश्वनी कुमार सिंह और न्यायमूर्ति अरविंद श्रीवास्ताव द्वारा बीते दिन ही यह फैसला है। इस दौरान कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि, "अभियोजन पक्ष के साक्ष्य एक दूसरे से मेल नहीं खाते हैं, आरोपियों की पहचान की प्रक्रिया सही नहीं है। अनुसंधानकर्ता पुलिस ने पहचान की प्रक्रिया नहीं की है, गवाहों ने आरोपियों की पहचान कोर्ट में की है जो पुख्ता साक्ष्य की गिनती में नहीं है, इसलिए संदेह का लाभ आरोपियों को मिलता है।"

34 लोगों की हुई थी निर्मम हत्या :

बता दें कि, बिहार के तत्कालीन जहानाबाद और वर्तमान अरवल जिले के करपी थाने के सेनारी गांव में 18 मार्च, 1999 को हुए नरसंहार में प्रतिबंधित नक्सली संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) के उग्रवादियों ने 34 लोगों की निर्मम हत्या कर जीवन लीला समाप्त कर दी थी, आज भी इस खूनी खेल का जिक्र होने पर वहां के लोगों की रूह कांप उठती है।

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