लॉकडाउन का असर, सहारनपुर से 30 साल बाद दिखा हिमालय पर्वत

लॉकडाउन से न सिर्फ कोरोना को हराने में मदद मिली है, बल्कि प्राकृतिक सुधार और प्रदूषण भी कम होता नज़र आ रहा है। इसका एक प्रमाण हमें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में देखने को मिला।
लॉकडाउन का असर, सहारनपुर से 30 साल बाद दिखा हिमालय पर्वत
लॉकडाउन का असर, सहारनपुर से 30 साल बाद दिखा हिमालय पर्वतsocial media

राजएक्सप्रेस। कोरोना वायरस और भारत में लॉकडाउन में रह रही भारत की लगभग 80 प्रतिशत आबादी अपने घरों में कैद रहने को मजबूर है और ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि इन्ही इंसानों की रोजमर्रा की ज़रूरतों की वजह से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी। आज लोगों को अपने घरों में बंद रहते करीब 40 दिन बीत गए हैं और इन 40 दिनों में प्रकृति ने खुद को कितना सुधारा है इस बात का एक और सबूत हमें उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में देखने को मिला।

सहारनपुर से आज 30 साल में पहली बार हिमालय की बर्फीली पहाड़ियां फिर से दिखने लगी हैं। ऐसा उत्तर प्रदेश की वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी कि एयर क्वालिटी इंडेक्स के 50 अंकों से नीचे गिरने की वजह से हुआ है। ये इस लॉकडाउन और पर्यावरण में सुधार का पहला दृश्य नहीं है, इससे पहले भी पंजाब के जालंधर से हिमालय की धौलाधार रेंज दिखने लगी थी, गंगा और यमुना का पानी पीने योग्य हो गया है और इतना ही नहीं कई न्यूज़ एजेंसीज में तो गंगा नदी में डॉल्फिंस देखने का दावा भी किया था।

रमेश पांडेय, जो कि एक फारेस्ट सर्विस अफसर और उत्तर प्रदेश के बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सेक्रेटरी है, ने ट्विटर के माध्यम से ये ट्वीट किया कि "हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियां अब सहारनपुर से दिखने लगी हैं। लॉकडाउन और बरसात ने हवा की गुणवत्ता को बेहतर कर दिया है। इन तस्वीरों को दुष्यंत, जो एक इन्कम टैक्स इंस्पेक्टर हैं, ने सोमवार की शाम को अपने वसंत विहार कालोनी से क्लिक किया है,।"

आपको बता दें कि रविवार की शाम बारिश के बाद अचानक ये दृश्य सामने आया। ये चोटी सहारनपुर से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है। इन्कम टैक्स अधिकारी दुष्यंत कुमार सिंह ने बताया, ‘रविवार शाम बारिश के बाद नजारा देखकर वह भी एक बार को शॉक्ड हो गए थे। चकराता से ऊपर की ओर गंगोत्री यमुनोत्री पर्वत श्रृंखला की बंदर पूंछ आदि की पहाड़ियां साफ दिखाई दे रही थीं, जिन्हें उन्होंने अपने कैमरे में कैद किया हैं। यह पहाड़ियां करीब 200 किलोमीटर दूर हैं।’

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