खुशखबरी: बोर्डिंग पास नहीं अब फेस देखकर दिल्‍ली एयरपोर्ट पर एंट्री

नई दिल्ली: राजधानी के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) एयरपोर्ट से विमान यात्रा करने वालों के लिए एक Good News है कि, दिल्‍ली एयरपोर्ट पर अब एंट्री करने के लिए हर बार बोर्डिंग पास नहीं दिखाना पड़ेगा।
फेस देखकर दिल्‍ली एयरपोर्ट पर एंट्री
फेस देखकर दिल्‍ली एयरपोर्ट पर एंट्रीPriyanka Sahu- RE

राज एक्‍सप्रेस। राष्‍ट्रीय राजधानी नई दिल्‍ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट से विमान यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक खुशखबरी ये है कि, दिल्‍ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 3 से आज 6 सितंबर से बायोमेट्रिक इनेबल्ड सीमलेस ट्रेवल (BEST) प्रणाली शुरू की गई है, जिससे अब यात्रीयों को बार-बार बोर्डिंग पास दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की मदद से उनका फेस देखकर ही चेक इन गेट खुलेगा।

कैसे काम करेगा यह सिस्‍टम :

दिल्‍ली एयरपोर्ट पर इस प्रणाली के तहत प्रवेश गेट्स पर कैमरे लगाए गए हैं, जो पैसेंजर के फेस की डिटेल्‍स कैप्चर करेंगे। विस्तारा से जाने वाले पैसेंजर वहां अपना टिकट और पहचान पत्र लेकर जाएंगे। दोनों की जांच के बाद यात्री का कैमरे से फेस रिकग्निशन कर यूनिक ID बनेगी। इसी डेस्क पर CISF के जवान पैसेंजर के फेस का मिलान कर पुष्टि करेंगे, फिर इसे कम्प्यूटर में सेव कर दिया जाएगा और यह फोटो वाला यूनिक ID एंट्री गेट, चेक इन गेट और बोर्डिंग गेट पर सर्वर की मदद से चला जाएगा, जहां कैमरे लगे हुए हैं। तो इस प्रकार से ये सिस्‍टम काम करेगा और यात्रियों को एयरपोर्ट पर कहीं भी ID दिखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, हालांकि इस प्रणाली में रजिस्ट्रेशन के लिए पहले पैसेंजरों से भी उनकी सहमति ली जाएगी।

रजिस्ट्रेशन के लिए ये पेपर अनिवार्य :

पैसेंजरों को इस प्रणाली के रजिस्ट्रेशन के लिए टिकट की हार्ड कॉपी या साफ्ट कॉपी में कोई भी एक की आवश्‍यकता होगी, साथ ही कोई भी एक मान्य पहचान पत्र जैसे- आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट आदि ले जाना अनिवार्य होगा।

क्या हैं फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी :

फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी की यह तकनीकी सरकार के डिजी यात्रा की स्‍कीम का एक हिस्‍सा हैं। इससे आपका फेस आपकी ID का ही काम करता है। ये एक उच्च परिभाषा वाला कैमरा है, जो किसी भी व्यक्ति के फेस की छवि को कैप्चर करता हैं, फिर इन निष्कर्षों की तुलना अपने डेटाबेस में करता है।

3 महीने का ट्रायल :

खबरों के मुताबिक, इस प्रणाली को अभी सिर्फ 3 महीने के ट्रायल पर लागू किया गया है, अगर यह प्रयोग कामयाब रहा, तो देश के अन्य एयरपोर्ट पर भी इसे लागू करने की योजना है। वहीं दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के प्रवक्ता द्वारा इस प्रणाली से चेक-इन से सुरक्षा जांच में लगने वाले समय में भी कमी आएगी।

डिजी यात्रा स्‍कीम द्वारा यहां ट्रायल शुरू :

  • हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जुलाई माह से ट्रायल शुरू हो चुका है।

  • इसके अलावा बेंगलुरू और मुंबई में भी इस पर काम चल रहा है।

  • अब दिल्‍ली में भी 4 सितंबर से यह ट्रायल शुरू कर दिया है।

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