यमन में कैद से छूट, समुद्र के रास्ते देश वापस आए 9 भारतीय मछुआरे

तमिलनाडु और केरल राज्य के नौ मछुआरे शुक्रवार, 29 नवंबर को यमन में अपने मालिक की कैद से छूटकर भारत पहुंचे। वे 10 दिन से समुद्र के मुश्किल रास्ते में सफर कर रहे थे।
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीरPixabay

राज एक्सप्रेस। भारत के नौ मछुवारे शुक्रवार, 29 नवंबर 2019 को यमन में कैद से छूटकर अपने देश लौट आए। इन मछुवारों को यमन देश में एक व्यापारी ने नाव में कैद कर रखा था, जहां इन्हें बमुश्किल खाना दिया जाता था, इसके अलावा कुछ भी नहीं दिया जाता था। ये नौ मछुवारे 10 दिनों तक समुद्र में यात्रा कर के शुक्रवार को दिन में लगभग डेढ़ बजे भारत पहुंचे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय तटरक्षक बल के समय पर हस्तक्षेप करने के कारण उनका आना संभव हो पाया। मिडिल-ईस्ट देश यमन में अपने मालिक द्वारा परेशान किए जाने से भागे मछुआरों को बचा लिया गया है। तटरक्षक बल ने गुरुवार को साउथ एशियन फिशरमेन फ्रेटर्निटी (कन्याकुमारी) के समुद्र में संकट में नौ भारतीय मछुआरों के फंसे होने बारे में एक ई-मेल के बाद हस्तक्षेप किया।

इन नौ में से सात मछुवारे तमिलनाडु और दो केरल के रहने वाले थे। वे यमन में जिस व्यक्ति के लिए काम करते थे, उसने उन्हें अपने मैकेनाइज्ड फिशिंग ट्रॉलर में मछली पकड़ने के लिए काम पर रखा था।

मालिक उन्हें तनख्वाह नहीं देता था। खाना या घर जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उन्हें नहीं मिलती थीं इसलिए मछुआरों ने अपनी जान बचाने के लिए यमन से भागने का फैसला किया।

संदेश मिलने पर, कोस्ट गार्ड्स ने मछुआरों में से एक की पत्नी से संपर्क किया तो उसने बाताया कि, उसके पति ने 27 नवंबर को लक्ष्यद्वीप से सुबह 5.30 बजे उससे संपर्क किया था। उसने यह भी बताया कि, मछुआरे कोच्चि की तरफ आ रहे हैं। साथ ही उनके पास ईंधन और राशन काफी कम बचा है।

कोस्ट गार्ड्स ने एक योजना के तहत एयरक्राफ्ट के ज़रिए मछआरों की नाव को खोजा, जो कि कोच्चि से 100 नॉटिकल माइल्स की दूरी पर थी। जब गार्ड्स का जहाज आर्यमन इन मछुआरों की मदद के लिए पहुंचा तो ये नाव 75 नॉटिकल माइल्स की दूरी पर रह गई थी। गार्ड्स ने मछुआरों की भारत आने में मदद की।

जब मछुआरे भारत पहुंचे तो वे बेहद भावुक थे, उन्होंने देश की धरती के पैर पड़े और उसे चूम लिया। उनके पास केवल 500 लीटर पैट्रोल और कुछ प्याज़ बचे थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वे सभी मछआरे स्वस्थ्य और सुरक्षित हैं। उन्होंने बताया कि, उन्हें नौकरी देने के वादे पर यमन ले जाया गया था। जो आदमी उन्हें यमन ले गया उसे वे पहले से जानते थे। दिसंबर 2018 में पांच लोग तिरूवनंतपुरम से सारजाह गए। अजमन की एक नाव में वे एक महीने तक रहे। उन्हें कहा गया था कि, उन्हें ओमान ले जाया जाएगा।

तमिलनाडु के रहने वाले मछुआरों में जे विंसटन, एस अलबर्ट न्यूटन, ए इस्केलिन, पी अमल विवेक, जे शाजां, एस सहाया जगन और पी सहाया रवि कुमार शामिल थे तो वहीं नौशाद और निज़ार केरल के कोल्लम जिले से ताल्लुक रखते हैं।

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