पंजाब: किसानों ने किया कृषि बिल का जम कर विरोध, शुरू किया 'रेल रोको' आंदोलन

पंजाब में किसानों ने कृषि बिल के खिलाफ 'रेल रोको' आंदोलन शुरू कर के जम कर प्रदर्शन किया। यह किसान तीन अहम कृषि बिल का विरोध करते हुए इस आंदोलन को 3 दिनों तक चलाएंगे।
Farmers begin 3 day protest against farm bills in Punjab
Farmers begin 3 day protest against farm bills in Punjab Social Media

चंडीगढ़। हाल ही में केंद्र सरकार ने किसानों के हित के लिए कृषि बिल पेश किया था, परंतु कई कांग्रेस शासित राज्यों की सरकार ने इसका विरोध किया है। वहीं, इसी विरोध के चलते आज यानि गुरुवार को पंजाब में किसानों ने जम कर प्रदर्शन किया। यह किसान तीन अहम कृषि बिल के खिलाफ 'रेल रोको' आंदोलन कर रहे हैं।

कृषि बिल के खिलाफ 'रेल रोको' आंदोलन :

दरअसल, आज पंजाब के किसानों ने कृषि बिल का विरोध करते हुए राज्य में तीन दिनों का रेल रोको आंदोलन शुरू किया है। इस आंदोलन के तहत 3 दिनों तक राज्य में ट्रेन नहीं चल सकेगी क्योंकि, यह सभी किसान अमृतसर, फिरोजपुर जिलों के रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठे हैं। इस रेल रोको आंदोलन के चलते दिल्ली आने-जाने वाली गाड़ियां प्रभावित होंगी। इतना ही नहीं इन किसानों ने अपने विरोध के तहत 25 सितंबर (शुक्रवार) को पूरे राज्य में राज्यव्यापी लॉकडाउन की भी घोषणा की है।

राज्यव्यापी लॉकडाउन के चलते ट्रेने रहेंगी रद्द :

बताते चलें, किसानों द्वारा हुए इस विरोध प्रदर्शन के तहत 25 सितंबर को पूरे राज्य में राज्यव्यापी लॉकडाउन रहेगा जिसके चलते फिरोजपुर रेल मंडल द्वारा 14 ट्रेनें रद्द करने का ऐलान किया है। पंजाब के किसानों ने अपने इस आंदोलन के बाद 1 अक्टूबर से अनिश्चितकाल के लिए लॉकडाउन का आह्वान किया है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच भी इन आंदोलनों को देख कर लगता है। मानों, यह किसान इस बिल को मानने के लिए ही तैयार नहीं हैं। हालांकि, संसद में यह बिल पारित हो चुका है।

किसानों को सता रही चिंता :

दरअसल, किसानों को यह चिंता है कि, यदि किसानों की फसलों की खरीद मंडी के बाहर शुरू हो गई तो, उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रणाली से हाथ धोना पड़ सकता है। बताते चलें, आज पंजाब सहित अमृतसर के ग्रामीण इलाकों के किसानों ने भी अपने परिवार सहित (बच्चे-बूढ़े) नजदीकी रेलवे ट्रैक पर बैठ कर प्रदर्शन किया। किसानों का कहना है कि, 'सरकार हम किसानों से बात नहीं करना चाहती है। अगर हम इन कानूनों को स्वीकार नहीं करते हैं तो, उन्हें जमीन पर लागू नहीं किया जा सकता है। हम लड़ते रहेंगे, यह लड़ाई 2, 5 या 10 साल चल सकती है। सरकार ये मत सोचे कि देश के किसान और मजदूर इन बिलों को स्वीकार कर लेंगे।'

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