देश की पहली कार्डियोलॉजिस्ट महिला पद्मावती का 103 साल में कोरोना से निधन

देश में पहली महिला कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में जानी जाने वाली डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती का शनिवार की देर रात कोरोना के चलते 103 साल की उम्र में निधन हो गया।
First Indian Cardiologist Woman Doctor Passes Away
First Indian Cardiologist Woman Doctor Passes AwayKavita Singh Rathore -RE

राज एक्सप्रेस। वैसे तो आज भारत में कई कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर (हृदय रोग विशेषज्ञ) मौजूद है। लेकिन देश की वो पहली महिला जो कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के रूप में जानी गई उनका नाम 'डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती' है। उनका शनिवार की देर रात कोरोना के चलते 103 साल की उम्र में निधन हो गया। बताते चलें, डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती ने ही दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में देश के पहले कार्डियक केयर अस्पताल की स्थापना की थी।

11 दिन में कोरोना से लड़ते हुए गई जान :

बताते चलें, डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती 11 दिन पहले ही कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं। उनकी रिपोर्ट आने के बाद उन्हें उनके द्वारा ही साल 1981 में स्थापित किए गए नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट (NHI) में भर्ती कराया गया। उनकी उम्र ज्यादा होने के कारण उन्हें पहले दिन से ही ऑक्सीनज पर रखा गया था। 10 दिन बीत जाने के बाद 11वें दिन उनकी मृत्यु हो गई। उनका इलाज कर रहे मुख्य डॉक्टर हृदय रोग विशेषज्ञ ओपी यादव ने बताया कि, शनिवार की सुबह तक वह ऑक्सीजन पर रहते काफी स्थिर हालत में थीं। उन्हें रविवार से वेंटिलेटर पर रखा जाना था, लेकिन शनिवार रातही उनका निधन हो गया।

पहली कार्डियोलॉजिस्ट महिला :

बताते चलें, डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती का जन्म 20 जून 1917 में म्यांमार में हुआ था। परंतु वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान द्वारा किए गए आक्रमण के बाद भारत आ गई थीं और तब से वह भारत में ही थी। उनकी MBBS की पढ़ाई रंगून के रंगून मेडिकल कॉलेज से हुई थी। उनकी आगे की पढ़ाई लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन से हुई। इसके बाद उनके करियर की शुरुआत 1953 में दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में एक लेक्चरर के रूप में हुई। भारत में उन्हें देश की पहली कार्डियोलॉजिस्ट (हृदय रोग विशेषज्ञ) महिला डॉक्टर के रूम में जाना गया।

2015 में हुई थीं रिटायर :

डॉ शिवरामकृष्ण अय्यर पद्मावती साल 2015 में दिल्ली नेशनल हार्ट इंस्‍टीट्यूट से रिटायर हुई थीं। हालांकि, रिटायर होने के बाद भी वह लगातार गंभीर मरीजों का इलाज करने हेतु अस्पताल जाया करती थीं। बाद में उन्होंने बहुत काम मरीजों को देखना शुरू कर दिया था। उनकी उम्र 100 साल से ज्यादा होने के कारण वह चलने फिरने में थोड़ी असमर्थ थी इसलिए वह बीते पांच सालों से व्हीलचेयर पर थी और उसी के सहारे कही आया जाया करती थीं। हालांकि इन उम्र में भी वो मानसिक रूप से काफी तेज थी।

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