तवांग झड़प पर पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन को जमकर फटकारा
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तवांग झड़प पर पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन को जमकर फटकारा

अरुणाचल प्रदेश के तवांग झड़प पर भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने चीन को जमकर फटकार लगाते हुए खरी खरी सुनाई...

दिल्‍ली, भारत। अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 09 दिसंबर, 2022 को भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प का मुद्दे काफी सुर्खियों में बना है। इस बीच अब तवांग झड़प पर भारत के पूर्व विदेश सचिव व चीन में भारत के राजदूत रह चुके विजय गोखले का बयान सामने आया है, जिसमें चीन को जमकर फटकार लगाते हुए खरी खरी सुनाई है।

विजय गोखले ने चीन को फटकारा :

इस दौरान पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले की ओर से चीन को फटकार लगाते हुए यह कहा गया है कि, ''चीन इस मुगालते में न रहे कि, भारत एलएसी पर उसे मुंहतोड़ जवाब नहीं देगा। भारत उसकी हर गलत नीतियों का करारा जवाब देगा। साल 2020 के गलवान घटना ने चीन के बारे में राष्ट्रीय जनमत को फिर से आकार देने का काम किया है। हमारी सेना हर मोर्चे पर तैयार है।''

अगस्त 2020 में रेजांग ला/रेचिन ला में स्नो लेपर्ड काउंटर-ऑपरेशन किया गया था। भारत ने इस ऑपरेशन को सोच-समझकर अंजाम दिया था और चीन ने इसके बारे में सोचा भी नहीं था। भारतीय सेना ने स्नो लेपर्ड ऑपरेशन के जरिए पेंगोंग त्सो झील से चीन को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया था। ऐसे में चीन की ये धारणा कि एलएसी पर छोटी-मोटी घटनाओं के बदले में भारत पलटवार नहीं करेगा, क्योंकि भारत जोखिम नहीं लेना चाहता, शायद अब यह काम नहीं करती।

पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले

चीन की दो धारणाएं हैं :

विजय गोखले ने आगे यह भी बताया कि, ''चीन की दो धारणाएं हैं - पहली ये है कि भारत किसी छिटपुट घटना के बदले में बड़े स्तर पर सैन्य पलटवार करने का फैसला नहीं करेगा, दूसरी ये है कि, भारत उसके साथ सैन्य टकराव करने वाले पक्ष के खिलाफ दूसरे देशों के साथ मिलकर मोर्चेबंदी नहीं करेगा। इन दोनों धारणाओं को भारत की रणनीतिक सोच में 2020 के बाद आए बदलावों को ध्यान में रखते हुए देखा जाना चाहिए।"

  • चीनी राजनेताओं को अपनी इस धारणा को भी छोड़ देना चाहिए कि आने वाले समय में किसी सैन्य टकराव के बाद भारतीय प्रतिक्रिया बेहद मामूली होगी, क्योंकि भारत  एलएसी पर खुद की सैन्य क्षमताओं और चुनौतियों  को ध्यान में रखते हुए विकास करने को लेकर समर्पित है।

  • भारत के फैसले लेने और रणनीतिक हलकों में यह अस्पष्टता है कि,क्या चीन एक पार्टनर है या राइवल, लेकिन अब यह रणनीतिक नजरिए से स्पष्ट हो गया है। चीन के व्यवहार को अब विरोधात्मक माना जाता है। चीनी स्कॉलर्स को इस बात पर फिर से विचार करने की जरूरत है कि, भारत भविष्य में उसकी नीतियों का जवाब नहीं देगा।

  • भारत की हालिया क्षमता पर चीनी स्कॉलर्स को यह नहीं मानना चाहिए कि, भारत भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। चीन के लिए समस्याएं बढ़ने वाली है।

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