तमिलनाडु। आज पूरे देश में कोरोना का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है। भारत में कोरोना की एंट्री के बाद बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़ों तक के जीवन में बहुत बदलाव आ गया है। जहां पहले स्टूडेंट्स स्कूल जाकर पढ़ाई करते थे। वहीं, अब महामारी के चलते स्कूल-कॉलेज की क्लासेस भी ऑनलाइन हो रही हैं। हालांकि, स्टूडेंट्स का मानना है कि, ऑनलाइन क्लासेस में उतनी अच्छे से पढ़ाई नहीं हो पाती जितनी क्लास में होती थी। साथ ही बच्चों पर प्रेशर रहता है। इसी से जुड़ा एक मामला तमिलनाडु से सामने आया है।
क्या है मामला ?
दरअसल, पूरे भारत में लॉकडाउन से ही स्टूडेंट्स की क्लासेस ऑनलाइन ही ली जा रही है, लेकिन इस प्रकार पढाई से स्टूडेंड्स संतुष्ट नहीं है। इस बात का अंदाजा तमिलनाडु से सामने आए इस मामले से लगाया जा सकता है। इस मामले के तहत तमिलनाडु के शिवगंगा जिले में एक महीने तक लगातार ऑनलाइन क्लास अटेंड कर के परेशान होकर दसवीं की एक छात्रा ने आत्महत्या कर ली। खबरों की मानें तो, छात्रा को ऑनलाइन क्लास में हो रही पढ़ाई कुछ भी अच्छे से समझ नहीं आ रही थी, लेकिन वह तब भी क्लास रोज अटेंड करती रही, परंतु ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से पढ़ाए गए पाठ उसे समझ नहीं आ रहे थे। अपनी ऑनलाइन क्लासेस के चलते छात्रा डिप्रेशन की शिकार हो गई और उसने आत्महत्या कर ली।
पहला मामला नहीं :
बताते चलें, तमिलनाडु से इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। इस तरह के पहले भी 2 मामले सामने आ चुके हैं। पहले सामने आये मामलों में 11वीं क्लास के 17 साल के विक्रपंडी ने भी ऑनलाइन क्लास से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या करने वाली इन बच्चों को क्लास में पढ़ाया हुआ न समझ आने के कारण परीक्षा में कम अंक प्राप्त होने का डर सताने लगता है। जिसके कारण यह स्टूडेंट्स सोच सोच कर काफी डिप्रेशन में चले जाते है और फिर कुछ न समझ आने पर आत्महत्या कर लेते हैं।
विशेषज्ञों का मानना :
बताते चलें, ऑनलाइन क्लासेस को लेकर विशेषज्ञों का भी यही मानना है कि, ऑनलाइन क्लासेस के मुकाबले स्कूल क्लास रूम में स्टूडेंट्स को ज्यादा अच्छे से पढ़ाये गए पाठ समझ आते हैं।
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