रेल परीक्षा के अभ्यर्थियों के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील : रेलमंत्री

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि रेलवे की भर्ती की प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों की भावनाओं को लेकर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है और उनकी शिकायतों का एक निश्चित समयसीमा में समाधान किया जाएगा।
रेल परीक्षा के अभ्यर्थियों के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील : रेलमंत्री
रेल परीक्षा के अभ्यर्थियों के मुद्दे पर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील : रेलमंत्रीRaj Express

नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज कहा कि रेलवे की भर्ती की प्रक्रिया को लेकर अभ्यर्थियों की भावनाओं को लेकर सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है और उनकी शिकायतों का एक निश्चित समयसीमा में समाधान किया जाएगा।

रेलमंत्री ने गणतंत्र दिवस के अवकाश के बावजूद रेल भवन में रेलवे के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और कहा कि रेलवे भर्ती बोर्ड के वर्ष 2019 के नोटिस के अनुरूप ही पारदर्शिता के साथ पूरी प्रक्रिया अपनाई गई है लेकिन आवेदन करने वाले विद्यार्थी भी अपने परिवार के अंग हैं इसलिए उनकी शिकायतों एवं चिंताओं को पूरी संवेदनशीलता से सुना जाएगा और एक निश्चित समयसीमा में समाधान किया जाएगा।

श्री वैष्णव ने कहा कि रेलवे की एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है। अभ्यर्थियों को तीन सप्ताह के भीतर यानी 16 फरवरी तक अपना ज्ञापन देना होगा और समिति उन पर विचार करके चार मार्च तक अपनी रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंप देगी। यदि ज्ञापनों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं हुई तो रिपार्ट जल्दी भी आ सकती है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के प्राप्त होने के बाद मंत्रालय सहानुभूतिपूर्वक समुचित निर्णय करेगा।

संवाददाताओं द्वारा प्रक्रिया को लेकर छात्रों के सवालों का उल्लेख किये जाने पर रेल मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में जब तकनीकी गैर तकनीकी श्रेणियों के पदों के लिए विज्ञापन निकले तो उसे विश्व का सबसे बड़ा भर्ती अभियान कहा गया था क्योंकि इनके लिए सवा करोड़ से अधिक आवेदन मिले थे। जबकि इससे पहले संघ लोकसेवा आयोग या कर्मचारी चयन आयोग के भर्ती परीक्षाओं को सबसे बड़ा भर्ती अभियान माना जाता था जहां अधिकतम पांच या सात लाख आवेदन आया करते थे। उन्होंने कहा कि भर्ती के नोटिस में स्पष्ट कहा गया था कि आवश्यकता पडऩे पर दो चरणों में परीक्षा करायी जाएगी।

रेल मंत्री ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदन मिलने के बाद परीक्षा संचालित करने वाली एजेंसी के चयन में करीब छह महीने का समय लग गया। दूसरा मुद्दा यह है कि इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आने पर यह संभव नहीं हो सकता था कि एक ही चरण में परीक्षा करायी जाये। इसलिए दो चरणों में परीक्षा कराने का निर्णय लिया गया। इसबीच कोविड की महामारी आ गयी लेकिन हमने दिसंबर 2020 में परीक्षा कराने का फैसला किया और कोविड की दूसरी लहर के बावजूद वर्ष 2021 के मध्य में कठिन कोविड प्रोटोकॉल के साथ प्रथम चरण की कंप्यूटर आधारित परीक्षा करायी गयी जो क्वालिफाइंग परीक्षा थी।

श्री वैष्णव ने कहा कि विवाद शुरू होने पर उन्होंने रेलवे भर्ती बोर्ड से जानकारी तलब की तो पता चला कि हर स्तर पर भर्ती के लिए तय पदों के विरुद्ध प्रत्येक स्तर में 20 गुना प्रत्याशियों का चयन किया गया है। कई विद्यार्थियों ने एक साथ अलग अलग स्तरों के लिए आवेदन कर रखा है और वे कट ऑफ के लिए अर्हता भी रखते हैं। इस कारण से 35 हजार 281 पदों के विरुद्ध सात लाख पांच हजार 446 प्रत्याशियों का चयन किया है। समस्या यह है कि ये संख्या व्यक्तियों की नहीं बल्कि रोल नंबरों की है। हर स्तर पर उम्मीदवारों की संख्या का आकलन अलग अलग किया गया है।

उन्होंने कहा कि, नोटिस एक वैधानिक दस्तावेज होता है और उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है। इसलिए रेलवे भर्ती बोर्ड सावधानी पूर्वक नोटिस के अनुसार ही परीक्षा का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संतोष की बात है कि कहीं से प्रश्नपत्र लीक होने की बात नहीं है। केवल यही है कि कुछ लोग जिन्होंने तैयारी की है, वे चाहते हैं कि उन्हें परीक्षा में शामिल होने का एक मौका और मिल जाए।

रेल मंत्री ने कहा कि अभ्यर्थियों के मुद्दों और चिंताओं पर सहानुभूति से विचार किया जाएगा। उन्होंने अपील की कि रेलवे की संपत्ति अभ्यर्थियों की अपनी संपत्ति है तो वे अपनी संपत्ति को क्यों जला रहे हैं। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। राज्य सरकारें भी पूरी संवेदनशीलता से मामले को देख रहीं हैं।

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