सरकार बदलने जा रही अंग्रेजों के जमाने के कानून, राजद्रोह खत्म, लव जिहाद अब गंभीर अपराध
हाइलाइट्स :
सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए कानून खत्म करने की तैयारी कर ली है।
अमित शाह ने मानसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में तीन नए विधेयक पेश किए है।
इन विधेयक के पास होते ही अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून खत्म हो जाएंगे।
राज एक्सप्रेस। सरकार ने अंग्रेजों के जमाने के बनाए हुए कानून खत्म करने की तैयारी कर ली है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मानसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में सुधार के लिए तीन विधेयक पेश किए है। इस विधेयक के पास होते ही अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानून खत्म हो जाएंगे। इस संशोधन के चलते आईपीसी में 511 धाराओं की जगह 356 धाराएं ही बचेगी। इसी तरह सीआरपीसी में भी अब 533 धाराएं ही होगी। सरकार ने कई पुरानी धाराओं को खत्म किया है, जबकि कुछ नई धाराओं को जोड़ा भी गया है। इसी तरह कुछ धाराओं को बदला गया है। तो चलिए जानते हैं कि सरकार के इस कदम से क्या-क्या महत्वपूर्ण बदलाव होंगे।
राजद्रोह होगा खत्म
सरकार ने इस संशोधन के जरिए राजद्रोह कानून को खत्म कर दिया है। इसकी जगह सरकार ने अलगाववादी गतिविधियों, सशस्त्र विद्रोह और देश की एकता-अखंडता के खिलाफ काम करने वालों के खिलाफ नया अध्याय जोड़ा गया है। इसके अलावा आतंकवाद शब्द को भी परिभाषित किया जाएगा। वर्तमान में आईपीसी की धारा 124ए में राजद्रोह के तहत 3 साल से लेकर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है।
मॉब लिंचिंग पर सजा-ए-मौत
नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को भी हत्या की श्रेणी में रखा गया है। अब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास की आधार पर किसी की हत्या करता है तो इस स्थति में उस समूह के हर सदस्य को 7 साल से लेकर सजा-ए-मौत दी जाएगी।
नाबालिग से रेप पर भी मौत की सजा का प्रावधान
सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सख्त रुख दिखाया है। गैंग रेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा से लेकर आजीवन कारावास का प्रबंध किया गया है। इसी तरह नाबालिग से बलात्कार करने पर मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।
लव जिहाद भी संगीन अपराध
नए संशोधन के अनुसार अब अपनी पहचान छिपाकर किसी के साथ शारीरिक संबंध बनाना गंभीर अपराध होगा। ऐसा करते पाए जाने पर सात साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान किया गया है।
सजा माफी भी सीमित
सरकार सजा में छूट को भी सीमित करने जा रही है। नए प्रावधानों के अनुसार अब मौत की सजा सिर्फ आजीवन कारावास और आजीवन कारावास को 7 साल तक सजा में बदला जा सकेगा। यानि अब अपराधी अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करते हुए सजा को माफ नहीं करवा पाएंगे।
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