गुजरात में PM मोदी, राष्ट्रीय एकता दिवस को कर रहे संबोधित
गुजरात में PM मोदी, राष्ट्रीय एकता दिवस को कर रहे संबोधित Raj Express

राष्ट्रीय एकता दिवस को संबोधित कर बोले PM मोदी- 25 वर्षों में हमे भारत को समृद्ध, विकसित बनाना है

गुजरात में राष्ट्रीय एकता दिवस को संबोधित कर PM मोदी ने कहा- मन के अनेक है, लेकिन माला एक है तन अनेक है, लेकिन मन एक है।

हाइलाइट्स :

  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर PM मोदी ने सरदार पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की

  • देशवासियों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा की दिलाई शपथ

  • गुजरात में PM मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस को संबोधित किया

गुजरात, भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात में है। इस दौरान उन्‍होंने आज मंगलवार को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को पुष्पांजलि अर्पित की एवं राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में शामिल हुए, जिसमें बीएसएफ और विभिन्न राज्य पुलिस के मार्चिंग दल शामिल हुए और अपना शानदार प्रदर्शन दिखाया। साथ ही देशवासियों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सुरक्षा की शपथ दिलाई। इसके बाद PM मोदी ने राष्ट्रीय एकता दिवस को संबोधित किया।

राष्ट्रीय एकता दिवस को संबोधित कर PM नरेंद्र मोदी ने कहा- मन के अनेक है, लेकिन माला एक है तन अनेक है, लेकिन मन एक है। जैसे 15 अगस्त हमारी स्वतंत्रता के उत्सव का, 26 जनवरी हमारे गणतंत्र के जयघोष का दिवस है, उसी तरह 31 अक्टूबर का ये दिन देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता के संचार का पर्व बन गया है। आसपास एकत्रित सभी लोगों का उत्साह राष्ट्रीय एकता दिवस की एक महत्वपूर्ण ताकत है। एक तरह से ये 'मिनी इंडिया' जैसा है। राज्य अलग है, भाषा अलग है, संस्कृति अलग है, लेकिन यहां मौजूद हर कोई एक एकीकृत शक्ति से जुड़ा हुआ है।

15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर होने वाला आयोजन, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्यपथ पर परेड और 31 अक्टूबर को Statue Of Unity के सानिध्य में मां नर्मदा के तट पर राष्ट्रीय एकता दिवस का ये मुख्य कार्यक्रम, राष्ट्र उत्थान की त्रिशक्ति बन गए हैं। एकता नगर में आने वालों को सिर्फ इस भव्य प्रतिमा के ही दर्शन नहीं होते, बल्कि उसे सरदार साहब के जीवन, त्याग और एक भारत के निर्माण में उनके योगदान की झलक भी मिलती है। इस प्रतिमा की निर्माण गाथा में ही 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' की भावना का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

PM मोदी के संबोधन की प्रमुख बातें-

  • आज देश भर में लाखों लोग 'रन फॉर यूनिटी' में हिस्सा ले रहे हैं। लाखों लोग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए आज के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। 15 अगस्त को दिल्ली के लाल किले पर कार्यक्रम, 26 जनवरी को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर परेड, 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के सामने नर्मदा नदी के तट पर कार्यक्रम। ये हैं राष्ट्रीय उत्थान के तीन आधार।

  • आने वाले 25 साल भारत के लिए इस शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण 25 साल हैं। इन 25 वर्षों में हमे भारत को समृद्ध बनाना है, विकसित बनाना है।

  • अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता को त्यागकर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। हम विकास भी कर रहे हैं और अपनी विरासत का संरक्षण भी कर रहे हैं। भारत ने अपनी नौसेना के ध्वज पर लगे गुलामी के निशान को हटा दिया है। गुलामी के दौर में बनाए गए गैर जरूरी कानूनों को भी हटाया जा रहा है। IPC की जगह भी भारतीय न्याय संहिता लाई जा रही है। इंडिया गेट पर जहां कभी विदेशी सत्ता के प्रतिनिधि की प्रतिमा थी, वहां अब नेताजी सुभाष की प्रतिमा हमें प्रेरणा दे रही है।

  • आज ऐसा कोई लक्ष्य नहीं है, जो भारत पा न सके। ऐसा कोई संकल्प नहीं है, जो हम भारतवासी सिद्ध न कर सकें। बीते 9 वर्षों में देश ने देखा है कि जब सबका प्रयास होता है, तो कुछ भी असंभव नहीं रह जाता। दुनिया भारत की सराहना कर रही है, हमें दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर गर्व है। हमें गर्व है कि, जब दुनिया युद्ध और अन्य संकटों का सामना कर रही है, तब भी हमारी सीमाएँ सुरक्षित हैं। हमें गर्व है कि हम जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनने वाले हैं।

  • संकल्प से सिद्धि का एक बहुत बड़ा उदाहरण हमारा ये एकता नगर भी है। आज एकता नगर की पहचान Global Green City के तौर पर हो रही है। यही वो शहर है जहां से दुनिया भर के देशों का ध्यान खींचने वाले Mission Life की शुरुआत हुई थी।

  • इस अमृत काल में भारत अपने औपनिवेशिक अतीत को मिटा रहा है। हम अपनी विरासत को संजोकर भी आगे बढ़ रहे हैं। भारतीय नौसेना के झंडे पर अब ब्रिटिश शासकों का चिह्न नहीं है। इंडिया गेट पर ब्रिटिश सम्राट की जगह अब हमें प्रेरणा देने के लिए नेताजी सुभाष की मूर्ति है।

  • यहां का एकता मॉल, एकता नर्सरी, आरोग्य वन, जंगल सफारी आदि पर्यटकों को बहुत आकर्षित कर रहे हैं। पिछले 6 महीने में ही यहां 1.50 लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं। आज यहां एक special heritage train का नया आकर्षण भी जुड़ने जा रहा है।

  • आज पूरा विश्व भारत के संकल्प की दृढ़ता को, भारतवासियों के पौरुष और प्रखरता को, भारतीय जनशक्ति बाकी जिजीविषा को, आदर और विश्वास से देख रहा है। भारत की अविश्वसनीय, अतुलनीय यात्रा से प्रेरणा ले रहा है।

  • देश की एकता के रास्ते में, हमारी विकास यात्रा में सबसे बड़ी रुकावट है- तुष्टिकरण की राजनीति। भारत के बीते कई दशक साक्षी हैं कि तुष्टिकरण करने वालों को आतंकवाद, उसकी भयानकता, विकरालता कभी दिखाई नहीं देती। तुष्टिकरण करने वालों को मानवता के दुश्मनों के साथ खड़े होने में संकोच नहीं हो रहा है। वो आतंकी गतिविधियों की जांच में कोताही करते हैं, वो देशविरोधी तत्वों पर सख्ती करने से बचते हैं। तुष्टिकरण की ये सोच इतनी खतरनाक है कि वो आतंकियों को बचाने के लिए अदालत तक पहुंच जाती है। ऐसी सोच से किसी समाज या देश का भला नहीं हो सकता। एकता को खतरे में डालने वाली ऐसी सोच से हर पल, हर समय, हर देशवासी को सावधान रहना ही है।

  • हमें विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए देश की एकता को बनाए रखने का प्रयास एक पल भी नहीं छोड़ना है। एक कदम भी पीछे नहीं रहना है। हम जिस भी क्षेत्र में हैं, हमें उसमें अपना शत-प्रतिशत देना है।

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