बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते समय से पहले होगा कुंभ मेले का समापन

कोरोना के मामलों को मद्देनजर रखते हुए कुंभ के मेले को बंद करने को लेकर विचार किया गया था। आज इस मामले में अंतिम फैसला आ गया है और तय कर लिया गया है कि, कुंभ मेले को समय से पहले बंद कर दिया जाएगा।
बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते समय से पहले होगा कुंभ मेले का समापन
बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते समय से पहले होगा कुंभ मेले का समापनSocial Media

उत्तराखंड। देश में कोरोना महामारी बहुत ही तेजी से फैलती नजर आरही है, हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। हर दिन लाखों मामले सामने आरहे हैं और सैकड़ों लोगों की जान जा रही है। ऐसे में उत्तराखंड के हरिद्वार में कुंभ का मेला जारी है, वहीं, कल पूरे देश में कोरोना के मामलों को मद्देनजर रखते हुए कुंभ के मेले को बंद करने को लेकर विचार किया गया था। आज इस मामले में अंतिम फैसला आ गया है और तय कर लिया गया है कि, कुंभ मेले को निर्धारित अवधि से पहले बंद कर दिया जाएगा।

कब होगा कुंभ मेले का समापन :

दरअसल, कई राज्यों के बाद अब उत्तराखंड के हरिद्वार में भी कोरोना का प्रसार तेजी से बढ़ता नजर आया है। यहां, अब तक कई संत और श्रद्धालुं भी कोरोना से संक्रमित पाए जा चुके हैं। इन सब हालातों को ध्यान में रखते हुए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी ने कुंभ मेले का समापन इसी आगामी 17 अप्रैल को करने की घोषणा कर दी है। बताते चलें, इस मामले में बुधवार को उत्तराखंड सरकार और धार्मिक नेताओं के बीच चर्चा की गई थी। इस चर्चा के दौरान कुंभ मेले को निर्धारित समय से पहले बंद करने को लेकर विचार विमर्श किया गया।

कुंभ मेला प्रभारी एवं सचिव का कहना :

इस मामले में अखाड़े के कुंभ मेला प्रभारी एवं सचिव महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि, 'कोरोना का प्रसार तेज हो गया है। साधु संत और श्रद्धालु इसकी चपेट में आने लगे हैं। निरंजनी अखाड़े के साधु संतों की छावनियां 17 अप्रैल को खाली कर दी जाएंगी। बाकी अखाड़ों को भी एहतियातन कदम उठाते हुए कोविड से बचाव के प्रति ध्यान देना चाहिए।' बता दें, यह कुंभ मेले का समापन या कहें अंतिम शाही स्नान पहले 27 अप्रैल को चैत्र पूर्णिमा पर होना था, लेकिन हालातों को देखते हुए इसके समापन का फैसला लेना पड़ा।

अखाड़े के अध्यक्ष ने बताया :

अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास ने बताया है कि, 'संत परंपरा सनातन संस्कृति की वाहक है। संतों का कार्य सदैव समाज को प्रेरणा देता है। स्वामी शिवपाल दास विद्वान संत हैं। अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अणि अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत धर्मदास एवं अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अणि अखाड़े के श्रीमहंत कृष्णदास ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है।'

महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा के विचार :

महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि, 'संतों के तपोबल से भारत की पूरे विश्व में एक अलग पहचान है। नवनियुक्त महामंडलेश्वर स्वामी शिवपाल दास ने कहा कि जो दायित्व उन्हें वैष्णव समाज द्वारा सौंपा है उसका निष्ठा के साथ निर्वहन करेंगे।'

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